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24-04-2025 Vol 19

बीमारी फैल चुकी है

bulldozer actions : दांव पर कानून की सत्ता लगी हो, तो अपेक्षा शीघ्र कार्रवाई की होती है। सर्वोच्च न्यायालय ने “त्वरित बुल्डोजर न्याय” के खिलाफ फैसला देर कर संवैधानिक भावना की रक्षा की थी। अब अनिवार्य है कि उस पर दृढ़ता से अमल भी कराया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज के तीन व्यक्तियों के मकान बुल्डोजर से गिराने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की है। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह अवैध निर्माण संबंधी नोटिस देने के 24 घंटों के अंदर मकानों को गिरा दिया गया, उससे “अदालत की अंतर्चेतना आहत” हुई है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले पर अंतिम निर्णय होने के बाद मुमकिन है कि वह मकान मालिकों को उसी जगह पर दोबारा निर्माण करने की इजाजत दे। (bulldozer actions)

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने 23 फरवरी को भारत-पाकिस्तान के क्रिकेट मैच के बाद मुंबई में एक 15 साल के किशोर के मकान को गिरा दिए जाने के मामले में महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस पर एक महीने में जवाब मांगा गया है।

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अदालती के आदेश के अनुरूप कार्रवाई  (bulldozer actions) 

गौरतलब कि ऐसी तमाम घटनाएं सुप्रीम कोर्ट के उस बहुचर्चित निर्णय के बाद भी हुई हैं, जिसमें “त्वरित बुल्डोजर इंसाफ” को असंवैधानिक करार दिया गया था। तब कोर्ट ने कहा कि अगर निर्माण पर गैर-कानूनी होने का आरोप हो, तब भी उसे बिना उचित प्रक्रिया के नहीं गिराया जा सकता।

ऐसे मामलों में स्थानीय निकाय के नियमों के तहत या 15 दिन (इन दोनों में जो अवधि अधिक हो) का नोटिस दिया जाना होगा, ताकि उस दौरान पीड़ित व्यक्ति अदालत की पनाह ले सके। (bulldozer actions)

अगली कार्रवाई उसकी याचिका पर अदालती के आदेश के अनुरूप होनी चाहिए। मगर अधिकारियों ने उस आदेश की कोई परवाह की हो, ऐसा नहीं लगता।

इस बीच खुद न्यायपालिका के रुख को लेकर यह दुर्भाग्य धारणा लोगों में बनी है कि अदालतें सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू कराने को लेकर प्रतिबद्ध नहीं हैं। मुंबई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करने में एक महीना लगा दिया है।

अब महीने भर का समय जवाब देने के लिए दिया गया है। जबकि जब दांव पर कानून की सत्ता और न्यायपालिका का रुतबा लगा हो, तो अपेक्षा शीघ्र और प्रभावी कार्रवाई की होती है। (bulldozer actions)

सर्वोच्च न्यायालय ने “त्वरित बुल्डोजर न्याय” के खिलाफ फैसला देर कर संवैधानिक भावना की रक्षा की थी। अब अनिवार्य है कि उसका दृढ़ता से उसका अनुपालन भी कराया जाए।

NI Editorial

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