ट्रंप की शांति योजना में दो राज्य सिद्धांत के तहत अलग फिलस्तीन की स्थापना का कोई प्रावधान नहीं है, जबकि यह फॉर्मूला खुद अमेरिकी मध्यस्थता में तत्कालीन इजराइल सरकार और फिलस्तीनी मुक्ति संगठन ने स्वीकार किया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने फिलस्तीन के लिए जो कथित शांति योजना पेश की है, उससे इस मसले का टिकाऊ हल निकलने की कम ही गुंजाइश है। ट्रंप की 20 सूत्री योजना साफ तौर पर इजराइल के पक्ष में झुकी हुई है। योजना पेश करते समय ट्रंप ने कहा- ‘बेंजामिन नेतन्याहू (इजराइल के प्रधानमंत्री) योद्धा हैं, जो सामान्य जिंदगी की तरफ लौटना नहीं जानते। इजराइल भाग्यशाली है कि वे वहां के नेता हैं। कई देशों ने, जिनमें हमारे कुछ यूरोपीय दोस्त भी हैं, फिलस्तीनी राज्य को मान्यता देने का मूर्खतापूर्ण कदम उठाया है।’ स्पष्टतः ऐसी बातों के साथ अच्छी योजना भी आज के हालात में अपनी साख नहीं बना सकती।
बहरहाल, ‘जिस मूर्खतापूर्ण’ कदम का जिक्र ट्रंप ने किया, संभवतः वही गजा समेत बाकी फिलस्तीन में ‘शांति लाने’ के उनके प्रयास का प्रेरक तत्व बना है। अनेक पश्चिमी देशों की ओर से फिलस्तीन को मान्यता, कई देशों में इजराइली वस्तुओं एवं कंपनियों के बहिष्कार, और ग्लोबल साउथ में बढ़ती नाराजगी के मद्देनजर ट्रंप ने मामला फिलहाल शांत करने का प्रयास किया है। मगर समस्या यह है कि उनकी योजना में दो राज्य सिद्धांत के तहत अलग फिलस्तीन की स्थापना का कोई प्रावधान नहीं है, जबकि यह फॉर्मूला खुद अमेरिकी मध्यस्थता में तत्कालीन इजराइल सरकार और फिलस्तीनी मुक्ति संगठन ने स्वीकार किया था।
ट्रंप फॉर्मूले में गजा में ‘डी-रैडिकलाइजेशन’ (अर्थात हमास को निरस्त्र करने), सभी इजराइली बंधकों और कुछ फिलस्तीनी बंधकों की रिहाई, एक ऐसी शासन इकाई के गठन जिसमें फिलस्तीनियों के निर्णय की कोई भूमिका नहीं होगी, आर्थिक विकास पर बाहरी नियंत्रण, ‘सहयोगी’ अरब देशों की मदद से अमेरिकी देखरेख में स्थिरता लाने वाले बल का गठन, आदि जैसे प्रावधान हैं। मगर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में इजराइल पर मानव संहार के चल रहे मुकदमे का कोई उल्लेख नहीं है, जिसे खत्म करने की मांग नेतन्याहू कर रहे हैँ। हमास ने कहा है कि उसे ऐसा कोई प्रस्ताव मंजूर नहीं होगा, जिसमें फिलस्तीनी लोगों के आत्म-निर्णय और जनसंहार से रक्षा के प्रावधान ना हों। चूंकि ऐसे प्रावधान ट्रंप योजना में नहीं हैं, इसलिए इसके कामयाब होने की न्यूनतम संभावना ही है।


