उत्तराखंड में बहुप्रतीक्षित चारधाम यात्रा की शुरुआत होने वाली है, लेकिन यात्रा से ठीक पहले एक गंभीर और चिंताजनक समाचार सामने आया है। यह समाचार उन घोड़े और खच्चरों से संबंधित है, जो चारधाम के केदारनाथ यात्रा मार्ग पर यात्रियों को पहाड़ों में सफर कराने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
हाल ही में सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, यात्रा मार्ग पर चलने वाले 12 घोड़े और खच्चरों में एक्वाईन इन्फ्लूएंजा वायरस (H3N3) की पुष्टि हुई है। यह वायरस अत्यंत संक्रामक और घातक माना जाता है, जिसके चलते उत्तराखंड सरकार ने तत्काल अलर्ट जारी कर दिया है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य के पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने सचिवालय में आपातकालीन बैठक बुलाई और पशुपालन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे यात्रा से पहले सभी घोड़े और खच्चरों की पूरी तरह से स्क्रीनिंग करें।
उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी संक्रमित घोड़े या खच्चर को यात्रा मार्ग पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि कोई अधिकारी इस निर्देश का पालन करने में असफल रहता है और यात्रा मार्ग पर संक्रमित पशु पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
चारधाम यात्रा के केदारनाथ मार्ग पर घोड़े और खच्चरों के स्वास्थ्य की जांच के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों में पशुपालन विभाग द्वारा विशेष स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए गए।
इन शिविरों में रुद्रप्रयाग जिले के विभिन्न गांवों से 422 से अधिक घोड़े और खच्चरों की जांच की गई, जिसमें से 12 घोड़े-खच्चर इस खतरनाक वायरस से संक्रमित पाए गए। इन संक्रमित पशुओं को तुरंत क्वारंटीन में रखा गया है, ताकि संक्रमण अन्य स्वस्थ घोड़े-खच्चरों में न फैले।
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चारधाम यात्रा के दौरान हर साल हजारों श्रद्धालु बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा पर जाते हैं। इस यात्रा के दौरान घोड़े और खच्चर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे कठिन पहाड़ी रास्तों में श्रद्धालुओं के आवागमन का मुख्य साधन होते हैं।
ऐसे में, यदि यह वायरस फैलता है, तो यह न केवल इन पशुओं के लिए बल्कि यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी परेशानी खड़ी कर सकता है।
सरकार और प्रशासन इस स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से सतर्क है। यात्रा से पहले सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चारधाम यात्रा सुरक्षित और बाधारहित रूप से संपन्न हो।
केदारनाथ यात्सरा के दौरान भी पशु मालिकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने घोड़े-खच्चरों का समय पर स्वास्थ्य परीक्षण करवाएं और प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों का पूरी तरह से पालन करें।
इसके अलावा, सरकार यात्रियों से भी अपील कर रही है कि वे यात्रा के दौरान किसी भी अस्वस्थ या कमजोर दिखने वाले घोड़े-खच्चर का उपयोग करने से बचें और किसी भी संदिग्ध मामले की जानकारी तुरंत प्रशासन को दें।
इस वायरस के प्रसार को रोका जा सकेगा और चारधाम यात्रा को सुरक्षित बनाया जा सकेगा। यह घटना इस बात को दर्शाती है कि स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर प्रशासन कोई भी लापरवाही बरतने के मूड में नहीं है।
चारधाम यात्रा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि यह उत्तराखंड की संस्कृति और पर्यटन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। ऐसे में सरकार और प्रशासन हरसंभव प्रयास कर रहे हैं कि इस यात्रा को सुरक्षित और सफल बनाया जाए।
पांच जिलों में बड़े स्तर पर होगी जांच
उत्तराखंड के पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने प्रदेश के रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी और बागेश्वर जिलों में घोड़े-खच्चरों की बड़े स्तर पर टेस्टिंग कराने के निर्देश दिए हैं।
यह जांच आगामी 15 दिनों के भीतर पूरी की जानी है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य केदारनाथ यात्रा शुरू होने से पहले घोड़ों और खच्चरों की स्वास्थ्य स्थिति सुनिश्चित करना है।
पशुपालन विभाग के अनुसार, इन पांच जिलों में कुल 23,120 घोड़े-खच्चर हैं, जो हर साल केदारनाथ यात्रा के दौरान गौरीकुंड पहुंचते हैं। यात्रा से पहले इनकी स्वास्थ्य जांच अनिवार्य रूप से की जाएगी।
पशुपालन मंत्री ने स्पष्ट किया है कि केदारनाथ यात्रा में भी घोड़े-खच्चरों की टेस्टिंग रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही उन्हें यात्रा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी।
12 घोड़ों में मिला खतरनाक वायरस
हाल ही में हुई एक बैठक के दौरान मंत्री सौरभ बहुगुणा ने मीडिया को जानकारी दी कि रुद्रप्रयाग जिले में 12 अश्ववंशीय पशुओं में एक खतरनाक संक्रामक वायरस पाया गया है।
यह वायरस अत्यधिक संक्रामक है और इसके फैलने की संभावना को देखते हुए सरकार ने यात्रा मार्ग पर चलने वाले सभी घोड़े-खच्चरों की अनिवार्य जांच के आदेश जारी किए हैं। इसके अतिरिक्त, आसपास के इलाकों से केदारनाथ यात्रा मार्ग पर आने वाले घोड़े-खच्चरों की भी जांच सुनिश्चित की जाएगी।
सरकार ने इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए विशेष कदम उठाए हैं। फिलहाल जिन 12 घोड़ों में यह वायरस मिला है, उन्हें क्वारंटीन कर दिया गया है।
इस समस्या से निपटने के लिए रुद्रप्रयाग जिले में दो क्वारंटीन सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। एक सेंटर फाटा में और दूसरा कोटमा में बनाया जाएगा। इन सेंटरों में संक्रमित पशुओं का उपचार और निगरानी की जाएगी ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
मंत्री बहुगुणा ने कहा कि इस मामले में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे जांच प्रक्रिया को पूरी गंभीरता से लागू करें।
उन्होंने केदारनाथ यात्रा मार्ग पर चलने वाले घोड़े-खच्चरों के मालिकों से भी अपील की है कि वे अपने पशुओं की अनिवार्य जांच कराएं और सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करें। यह कदम न केवल केदारनाथ यात्रा को सुरक्षित बनाएगा बल्कि यात्रियों और पशुओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।
मुक्तेश्वर संस्थान होगी सैंपल की जांच
चारधाम यात्रा को सुरक्षित और सुचारू रूप से संचालित करने के उद्देश्य से सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि यात्रा मार्ग में कोई भी रोगग्रस्त घोड़ा या खच्चर शामिल न हो, जिससे श्रद्धालुओं और यात्रियों की सुरक्षा को कोई खतरा न हो।
इस दिशा में पशुपालन विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं और आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर एवं दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने जानकारी दी कि सभी घोड़ों और खच्चरों के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु उनके सीरोलॉजिकल सैंपल की जांच मुक्तेश्वर संस्थान में की जाएगी। (केदारनाथ) यदि राज्य के किसी भी जिले में कोई पशु इस वायरस से ग्रसित पाया जाता है, तो उसे तुरंत क्वारंटीन में रखा जाएगा।
दूसरे राज्यों के घोड़ों और खच्चरों की निगरानी
केदारनाथ यात्रा मार्ग की सुरक्षा को और पुख्ता बनाने के लिए सरकार ने दूसरे राज्यों से आने वाले घोड़ों और खच्चरों की भी निगरानी का निर्णय लिया है।
मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि इस दिशा में विशेष रूप से रुद्रप्रयाग जिले में दो क्वारंटीन सेंटर स्थापित किए जाएंगे—एक फटा में और दूसरा कोतमा में। यदि यात्रा के दौरान कोई घोड़ा या खच्चर बीमार पाया जाता है, तो उसे इन केंद्रों में रखा जाएगा और उचित इलाज प्रदान किया जाएगा।
इसके अलावा, अधिकारियों को यह सख्त निर्देश दिए गए हैं कि यात्रा में शामिल होने वाले प्रत्येक घोड़े-खच्चर की स्वास्थ्य जांच की जाए। यदि किसी पशु की रिपोर्ट नेगेटिव आती है, तभी उसे यात्रा में जाने की अनुमति दी जाएगी। इस कदम का उद्देश्य न केवल घोड़ों और खच्चरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, बल्कि यात्रियों के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखना है।
सरकार ने इन सभी नियमों और प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन करने के निर्देश जारी किए हैं ताकि चारधाम यात्रा में किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी न हो और श्रद्धालु बिना किसी चिंता के अपनी यात्रा पूरी कर सकें।
12 लाख पार पहुंचा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन आंकड़ा
चार धाम यात्रा के प्रति श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा और उत्साह देखते हुए मात्र 12 दिनों में ऑनलाइन पंजीकरण का आंकड़ा 12 लाख को पार कर गया है। हर दिन यह संख्या लगभग एक लाख तक पहुँच रही है, (केदारनाथ) जो इस यात्रा की लोकप्रियता और महत्व को दर्शाता है।
यात्रा के लिए यह पंजीकरण सिर्फ ऑनलाइन किया गया है, जबकि यात्रा शुरू होने के बाद लगभग 40% श्रद्धालु ऑफलाइन पंजीकरण भी करवा सकेंगे।
हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु बिना किसी पूर्व पंजीकरण के ही चार धाम यात्रा पर निकल पड़ते हैं। ऐसे श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मौके पर ही पंजीकरण कराने की व्यवस्था की गई है।
इस बार यात्रा को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए कुल 60% पंजीकरण ऑनलाइन किए जा रहे हैं, जबकि शेष 40% पंजीकरण यात्रा शुरू होने के बाद ऑफलाइन किए जाएंगे।
इसके लिए हरिद्वार, ऋषिकेश सहित प्रमुख यात्रा मार्गों पर पंजीकरण केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जिससे यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
स्वास्थ्य विभाग ने जारी की SOP,हेल्पलाइन नंबर 104
चार धाम यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने एक विशेष मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है। देशभर से आने वाले (केदारनाथ ) श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह दिशा-निर्देश 12 विभिन्न भाषाओं में जारी किए गए हैं, ताकि हर यात्री अपनी भाषा में स्वास्थ्य संबंधी निर्देशों को आसानी से समझ सके।
यदि किसी भी श्रद्धालु को यात्रा के दौरान किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या होती है, तो वह हेल्पलाइन नंबर 104 पर कॉल करके सहायता प्राप्त कर सकता है।
इस हेल्पलाइन के माध्यम से श्रद्धालुओं को त्वरित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत राहत मिल सके।
यात्रा मार्गों पर विशेष व्यवस्था
चार धाम यात्रा के दौरान प्रशासन की ओर से यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। स्वास्थ्य सेवा केंद्र, आपातकालीन मेडिकल टीम, एंबुलेंस और राहत शिविरों की व्यवस्था की गई है।
इसके साथ ही, पंजीकरण केंद्रों पर प्रशिक्षित कर्मचारियों को तैनात किया गया है, जो श्रद्धालुओं को उचित मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करेंगे।
इस बार यात्रा को और अधिक व्यवस्थित बनाने के लिए प्रशासन ने विशेष योजनाएं तैयार की हैं, जिससे श्रद्धालुओं को सुगम और सुरक्षित यात्रा का अनुभव प्राप्त हो सके।
कब खुलेंगे कपाट
उत्तराखंड में चारों धामों के कपाट खुलनेकी तारीख घोषित हो चुकी है. गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट 30 अप्रैल को खुल जाएंगे. इसी प्रकार बदरीनाथ धाम के कपाट 4 मई को और केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को खुलेंगे. इसी प्रकार श्री हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खुलेंगे.