एक तरफ चुनाव आयोग तैयारी कर रहा है और दूसरी ओर बिहार में विपक्षी पार्टियां तैयारी कर रही हैं। चुनाव आयोग एक अगस्त को मतदाता सूची का मसौदा दस्तावेज जारी करेगा और विपक्ष की तैयारी उसमें कमी खोजने की है। अगर दस्तावेजों की कमी के आधार पर काम कटते हैं तो विपक्ष सड़क पर उतरेगा। सिर्फ कानूनी लड़ाई की तैयारी नहीं है, बल्कि सड़क पर बड़े आंदोलन की तैयारी है। विपक्ष के एक बड़े नेता ने पटना में पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में अंदाजा जाहिर किया कि एक करोड़ से ज्यादा नाम काटने की तैयारी है। महागठबंधन के एक दूसरे नेता ने, जो पहले एनडीए के साथ रहे हैं उन्होंने कहा कि अगर एक भी जीवित और मौजूदा मतदाता का नाम कटा तो सरकार देखेगी कि कैसा तांडव होता है। उनके कहने का मतलब था कि आयोग मृत मतदाताओं के या स्थायी रूप से शिफ्ट हो गए मतदाताओं के नाम काटता है तो उसमें कोई आपत्ति नहीं है।
लेकिन अगर कोई व्यक्ति बिहार का मतदाता है, जीवित है और उसका नाम मसौदा सूची में नहीं आता है तो आंदोलन होगा। असल में विपक्षी गठबंधन के नेताओं को लग रहा है कि सीमांचल के इलाके में यानी मुस्लिम बहुल इलाकों में वोट कटेंगे। इसके अलावा विपक्ष के कोर वोट समीकरण में शामिल जातियों के नाम काटे जा सकते हैं। तभी राजद, कांग्रेस, वीआईपी और लेफ्ट की तीन पार्टियों ने अपने कार्यकर्ताओं को 2024 की मतदाता सूची से लैस करके तैयार रखा है। उनको यह मिलान करना है कि उस सूची में से किसी व्यक्ति का तो नाम दस्तावेज की कमी से तो नहीं कट रहा है। अगर ऐसा होता है तो विपक्ष की पहली कोशिश उसके लिए जरूरी दस्तावेज जुटाने की है और अगर उसमें कामयाबी नहीं मिलती है तो फिर आंदोलन का रास्ता है। विपक्ष की दूसरी कोशिश मसौदा मतदाता सूची में ऐसे नाम खोजने की होगी, जो मृत हो गए हैं या शिफ्ट हो गए हैं। ऐसे नाम मिलेंगे तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा। ध्यान रहे कई रिपोर्ट्स में कई लोगों ने बताया कि उनके माता पिता का निधन हो गया है लेकिन उनके नाम का फॉर्म भी जमा होगा। ऐसा हुआ तो इस फर्जीवाड़े को सबूत के साथ सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा। ध्यान रहे सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर फर्जीवाड़ा मिला तो वह पूरे एसआईआर रद्द करेगा।