देहरादून। उत्तराखंड के जोशीमठ में खतरनाक इमारतों में रह रहे छह सौ परिवार को निकाल लिया गया है और उनको सुरक्षित जगह पर ले जाया गया है। इस बीच केंद्र सरकार की टीम भी जोशीमठ पहुंची है और स्थिति का जायजा ले रही है। गौरतलब है कि पिछले दिनों जोशीमठ से छह सौ से ज्यादा इमारतों में दरारें आ गई थीं और जमीन धंसने लगी थी। इसके बाद जोशीमठ को आधिकारिक रूप से भूस्खलन और धंसाव वाला क्षेत्र घोषित कर दिया गया।
राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोखिम वाले इलाके का दौरा किया और अधिकारियों को निर्देश दिया कि डेंजर जोन के सारे मकान खाली कराए जाएं। बताया जा रहा है कि इन मकानों को गिराया जाएगा। बफर जोन के मकान भी खतरनाक बताए जा रहे हैं। जिला प्रशासन ने सुरक्षित क्षेत्रों में अस्थायी राहत केंद्र बनाए हैं, जहां डेंजर जोन से निकाले गए लोगों को रखी गया है। बताया जा रहा है कि छह सौ परिवारों के करीब चार हजार लोगों को सुरक्षित जगह पर बने राहत केंद्र में रखा गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सेना और आईटीबीपी के प्रतिष्ठानों में भी कुछ हिस्सों में कुछ दरारें देखी गईं है, हालात को देखते हुए पर्याप्त सुरक्षा उपाय अपनाए जा रहे हैं। चमोली जिले के कलेक्टर हिमांशु खुराना ने बताया कि हालात की गंभीरता को देखते हुए शहर की सभी खतरनाक इमारतों पर लाल रंग से ‘एक्स’ का चिन्ह बनाया जा रहा है। जिला प्रशासन की ओर से इन इमारतों को रहने के लिहाज से असुरक्षित घोषित किए जाने के बाद इसके निवासियों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया है।
उन्होंने कहा- हमने उन असुरक्षित क्षेत्रों को चिन्हित किया है, जो रहने के लिहाज से अनुपयुक्त हैं। इन क्षेत्रों में सिंधी गांधीनगर और मनोहर बाग शामिल हैं। गौरतलब है कि लगातार जमीन घंसने की घटनाओं को देखते हुए जोशीमठ को धंसाव वाला क्षेत्र घोषित किया गया है, यहां के कई घरों और सड़कों में पिछले कुछ दिनों में दरारें आई हैं, जिसके चलते क्षेत्र के निवासियों में डर फैला है।