जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर कांग्रेस नेताओं के बयानों से पार्टी की मुश्किलें बढ़ रही हैं। तभी कांग्रेस पार्टी ने अपने नेताओं को इस मसले पर चुप रहने का निर्देश दिया है। साथ ही कांग्रेस ने पहलगाम पर कांग्रेस के अलग अलग नेताओं द्वारा दिए गए बयानों से किनारा कर लिया है। कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी नेताओं ने निजी हैसियत से बयान दिए हैं।
गौरतलब है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कांग्रेस सांसद शशि थरूर, आरबी तिम्मापुर, विजय वडेट्टीवार, मणिशंकर अय्यर, तारिक हमीद कर्रा, सैफुद्दीन सोज और रॉबर्ट वाड्रा के दिए बयानों से कांग्रेस असहज हुई है। इसमें थरूर को छोड़ कर बाकी सात नेताओं के बयानों का विरोध हो रहा है। इसे लकर कांग्रेस महासचिव और संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने सोमवार को कहा, ‘पार्टी नेताओं के बयान उनकी निजी राय हैं। ये कांग्रेस पार्टी की लाइन नहीं है। मैं बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि किसी ने इन नेताओं को ऐसा बोलने का अधिकार नहीं दिया है।’
पहलगाम हमला: कांग्रेस-भाजपा में बयानबाज़ी
जयराम रमेश ने कहा, ‘ऐसे संवेदनशील समय में हमारा प्रस्ताव, सर्वदलीय बैठक में खड़गे जी और राहुल जी ने जो बोला और एआईस सी के अधिकारी जो बोलेंगे, वह मान्य होगा। यहां वहां लोग बोलते रहते हैं, उन्हें बोलना नहीं चाहिए। संवेदनशील समय में नेताओं को बोलने की जरूरत नहीं है’। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक में कह दिया है कि वह सरकार के साथ है और जो भी कहना है कि वह खड़गे और राहुल गांधी बोल चुके हैं।
उधर भाजपा ने इस मसले पर कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि विपक्षी दल के कुछ लोग पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘कांग्रेस सरकार के सभी फैसलों के साथ है, लेकिन कांग्रेस के कुछ नेताओं ने जम्मू कश्मीर में पहलगाम हमले के बारे में गलत और अपमानजनक बयान दिए हैं’। उन्होंने कहा, ‘मुझे याद है कि जब 26/11 हुआ था, तो मुझे पार्टी की ओर से सख्त निर्देश मिले थे कि मुझे केवल एक ही लाइन लेनी चाहिए, हम सरकार के साथ हैं। यहां तक कि एक इंटरनेशनल चैनल पर इंटरव्यू के दौरान भी मैंने कहा था कि यह राजनीतिक हिसाब चुकता करने का समय नहीं है’।
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