नई दिल्ली। मणिपुर में स्थायी शांति बहाली की कोशिशों के तहत शनिवार को दिल्ली में एक अहम बैठक हुई। केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहल पर कुकी और मैती समुदायों के प्रतिनिधियों की एक साझा बैठक हुई। बताया गया कि दोनों समुदायों के बीच विश्वास बहाली और स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए इस बैठक का आयोजन किया गया था। बताया जा रहा है कि इस बैठक में कानून व्यवस्था बनाए रखने और सामुदायिक मेलजोल बढ़ाने की रणनीति पर चर्चा की गई। इससे पहले एक और ऐसी बैठक दिल्ली में हुई थी, जिसमें कुकी, मैती और नगा समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया था।
बहरहाल, शनिवार को हुई बैठक में मैती समुदाय की ओर से ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब्स ऑर्गेनाइजेशन और फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन के छह प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। दूसरी ओर कुकी समुदाय की ओर से नौ प्रतिनिधि शामिल हुए। खुफिया ब्यूरो यानी आईबी के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर एके मिश्रा केंद्र सरकार के वार्ताकार के तौर पर बैठक में मौजूद रहे। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन अप्रैल को लोकसभा में कहा था कि गृह मंत्रालय मैती और कुकी संगठनों के साथ पहले भी बातचीत कर चुका है और जल्दी ही दोनों की साझा बैठक आयोजित की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार की प्राथमिकता मणिपुर में शांति बहाल करना है।
गौरतलब है कि मई 2023 में राज्य के बहुसंख्यक मैती समुदाय को अनुसूजित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने के खिलाफ आदिवासी एकजुटता मार्च हुई थी, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा के बाद पिछले करीब दो साल में ढाई से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 60 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने नौ फरवरी को इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लगाया गया। विधानसभा अभी निलंबित स्थिति में।
गौरतलब है कि 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के छह जजों की टीम ने मणिपुर का दौरा किया था। जजों ने राहत शिविरों का दौरा किया था। सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिसल बीआर गवई की अगुवाई वाली इस टीम में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस कोटेश्वर सिंह शामिल थे। जस्टिस कोटेश्वर सिंह मणिपुर के ही रहने वाले हैं। जजों के दौरे के 15 दिन बाद भी राहत शिविरों में स्थिति सुधरने की उम्मीद पूरी नहीं हुई है।