Thursday

22-05-2025 Vol 19

मोदी “मैजिक” और विधानसभा चुनाव….?

1719 Views

भोपाल। देश की राजनीति में इन दिनों ‘अग्नि परीक्षा’ का दौर शुरू हो गया है, देश के पांच प्रमुख राज्यों में लोकसभा चुनावों से पहले विधानसभा चुनाव होंगे, जिनके परिणाम लोकसभा चुनावों के परिणामों की झलक प्रस्तुत करेंगे, इस बार जहां देश पर राज कर रही भारतीय जनता पार्टी को अपने नेता नरेंद्र भाई मोदी के ‘मैजिक’ पर पूरा भरोसा है, वहीं प्रतिपक्षी कांग्रेस को भारतीय राजनीति की उस परंपरा पर भरोसा है, जिसमें सत्ता के लिए एक दशक की अवधि लगभग निश्चित हो गई, जिसके तहत कांग्रेस के डॉक्टर मनमोहन सिंह 10 साल तक प्रधानमंत्री रहे और अब मौजूदा प्रधानमंत्री जी के शासन का दसवां साल चल रहा है और पांच राज्यों की विधानसभाओं के बाद लोकसभा चुनाव सामने है, अब इस संक्रमण व चुनौतीपूर्ण दौर में कौन ‘मीर’ सिद्ध होता है? यही आज की मुख्य चिंता भरा प्रश्न है?

भारतीय जनता पार्टी का जहां तक सवाल है उसकी आस्था, विश्वास और भविष्य सिर्फ और सिर्फ मोदी पर केंद्रित है, जबकि प्रतिपक्षी दलों के संगठन ‘इंडिया’ को अपनी एकता पर। अब चुनाव तक यह ‘इंडिया’ एकजुट रह पाता है या नहीं? इस पर भी राजनीति जारी है।

यदि हम आजादी के बाद के इतिहास को उठाकर देखें तो आजादी के बाद करीब 17-17 साल जवाहरलाल और उनकी बेटी इंदिरा जी प्रधानमंत्री रहे, इनके बाद राजीव जी ने सत्ता संभाली और उसके बाद करीब एक दशक कांग्रेस सत्ता से बाहर रही और 2004 में पुन कांग्रेस के श्री मनमोहन सिंह जी एक दशक तक प्रधानमंत्री रहे और उनके बाद एक दशक नरेंद्र भाई मोदी पूरा करने जा रहे हैं और इसी माह के अंत या अगले माह के प्रारंभ में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद अगले वर्ष के प्रारंभ में लोकसभा के चुनाव होंगे।

आज की राजनीति का इसलिए सबसे अहम सवाल यही है कि क्या मोदी जी का “मैजिक” (जादू) पांच राज्यों की विधानसभा चुनावों पर भी चल पाएगा? क्योंकि लोकसभा चुनाव के चंद दिनों पहले ही यह चुनाव होने जा रहे हैं, इसीलिए इन विधानसभाओं के चुनाव परिणाम लोकसभा चुनाव परिणामों के संकेत तो होंगे ही और इनके परिणामों से भारत का भावी राजनीतिक भविष्य भी तय हो जाएगा। यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि मोदी “मैजिक” का असर राज्यों में भी विद्यमान है या खत्म हो गया? क्योंकि अब वह पुरानी धारणा राजनीति में प्रामाणिक नहीं रही की पंचायत के चुनाव गांवों पर, विधानसभा चुनाव विधानसभा क्षेत्रों और लोकसभा चुनाव देश की राजनीतिक हालातो पर निर्भर रहते हैं, अब तो पंचायत चुनाव भी देश के राजनीतिक भविष्य के आधार पर लड़े जाने लगे हैं और मतदाताओं की भी राजनीतिक सोच का भी विस्तार हो चुका है।

अब मौजूदा हालातो में इसीलिए यह सवाल उठाए जा रहा है कि क्या विधानसभा चुनावों में भी “मोदी मैजिक” काम करेगा या नहीं? क्योंकि मोदी पर भरोसा करके चुनावी राज्यों के नेता भी बेफिक्र और निष्क्रिय होकर समय का रुख देख रहे हैं, अब यह परिदृश्य सत्तारूढ़ भाजपा के लिए कितना आशाप्रद सिद्ध हो होगा? यह तो भविष्य के गर्भ में है, किंतु हाल ही में संपन्न कुछ चुनावों के परिणाम यह आवश्यक संकेत दे रहे हैं कि मोदी के ‘मैजिक’ का असर अब दिनों-दिन काम हो रहा है और क्योंकि विधानसभाओं व लोकसभा चुनावों में बहुत ही थोड़ा समय शेष बचा है, इसीलिए भावी चुनाव परिणामों को लेकर आशंकाएं बढ़ती ही जा रही है।

लेकिन यह भी तय है कि यह राज्य विधानसभाओं के चुनाव देश के साथ कई राजनीतिक दलों को परिणाम के आईने में उनका चेहरा दिखाने में भी सफल सिद्ध होंगे। इन पांच राज्यों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान इस दिशा में अति महत्वपूर्ण दायित्व निभाने वाले हैं, क्योंकि इन तीन राज्यों में से मध्य प्रदेश को छोड़ शेष दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार हैं, इसीलिए यह तीनों हिंदी भाषी राज्य देश में कांग्रेस का भविष्य भी तय करने वाले हैं, इन्हीं सब संकेतों के आधार पर इन तीनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के प्रचार-प्रसार की कमान स्वयं मोदी जी ने अपने हाथों में थाम ली है और उनका विधिवत चुनाव प्रचार अभियान शुरू भी हो गया है। मोदी जी को इस अभियान में अमित शाह का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है तथा देश के दोनों सर्वोच्च नेताओं ने अपने इस अभियान को अपनी पहली प्राथमिकता मान लिया है और इसी में जुट गए हैं, यदि उनके प्रयास सफल हो जाते हैं और तीनों हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा की सरकारें कायम हो जाती है, तो फिर लोकसभा चुनाव में मोदी राज पर मोहर लग जाएगी, इसी पर आज देश की राजनीति आधारित हो गई है और इसी से देश का अगला राजनीतिक भविष्य भी तय होना है, कांग्रेस भी इसीलिए जागृत व सजक होने का प्रयास कर रही है।

ओमप्रकाश मेहता

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *