हेडिंग्ले पर खेलने के लिए सुदृढ़ रणनीति बनाने में भारतीय टीम का विचार-मंडल विफल रहा। जिसके कारण टेस्ट क्रिकेट में जीत के लिए जो सबसे जरूरी, बीस विपक्षी बल्लेबाजों को आउट करना रहता है, उससे भारतीय टीम चूक गयी। अच्छे खेल के बावजूद पांच-छह कैच छोड़ना व गेंदबाजी में कम पड़ना या कुछ अलग न सोच पाना अपने को महंगा पड़ा। जीत के मुहाने से अपन हार छीन लाए।
अपन सभी जानते हैं कि क्रिकेट का खेल बाईस गज की नैसर्गिक पिच पर ही खेला जाता है। इसलिए क्रिकेट का खेल भी वही खेला जा सकता है जिसका मौका या जैसे हालात बाईस गज की पिच उस पर खेलने वाले खिलाड़ियों को देती है। लेकिन अक्सर टीवी पर क्रिकेट देखने वाले उसके प्रेमी भूल जाते हैं की पिच के अनुसार ही खेल चलता है। क्रिकेटर के व्यक्तिगत आंकड़े हर पिच पर उसके कोई काम नहीं आते। टेस्ट मैच में ही क्रिकेटर की प्रतिभा, योग्यता व क्षमता की असल परीक्षा होती है।
पांच दिन चलने वाले टेस्ट मैच में ही खिलाड़ी को हर दिन नयी परिस्थिति में प्रतिभा की दक्षता दिखाते हुए सफलता की चुनौती रहती है। लीडस् के हेडिंग्ले मैदान पर खेले गए ऐतिहासिक पहले टेस्ट मैच में भारत की हार हुई। और इंग्लैंड के अलावा हेडिंग्ले पिच पर टेस्ट क्रिकेट की जीत भी हुई।
आज मनोरंजन के नाम पर रियलिटी शो में रिलेटिविटी या सापेक्ष सत्य को दिखाए जाने का दावा किया जाता है। जब सत्य के नाम पर सापेक्ष असत्य परोसा जा रहा हो तो हेडिंग्ले की पिच केवल टीवी का स्क्रीन व परदा भर रह जाती है। लेकिन टेस्ट क्रिकेट तो सापेक्ष का भी सत्य उजागर कर देता है। हेडिंग्ले टेस्ट मैच में जो क्रिकेट भारत व इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने खेली उसने खेल के ऐतिहासिक विकास को भी सत्यता में दर्शाया। हेडिंग्ले में क्रिकेट में होने वाली महान संभावनाएं व शानदार अनिश्चितताओं के साक्षात दर्शन हुए। दोनों ही टीम ने मनोबल की दृढ़ता, प्रतिभा की कर्मठता और क्षमता की लगन खूब दिखायी। पांच दिन चले टेस्ट मैच के आखिरी क्षणों में ही इंग्लैंड जीता।
हेडिंग्ले की पिच वो अहिंसक युद्ध भूमि रही जिस पर छुपकर मिसाइल या हवाई हमले नहीं किए जा सकते थे। बल्कि उस पिच को समझने की, उसपर अपनी प्रतिभा व क्षमता से खेलने की कोशिश होनी चाहिए थी। यह तो अपन सभी ने देखा कि भारतीय टीम ने जो, और जितने कैच छोड़े वे हार के सबसे बड़े कारण रहे। कहा भी जाता है कि “कैचेस् विन मैचेस्”। लेकिन होनी-अनहोनी के अलावा भारतीय टीम की मानसिकता भी उनके निर्णय से साफ दिखी।
इंग्लैंड में माना जाता है की उनकी गर्मी पर बीती ठंड का असर रहता है। अगर ठंड हलकी रहती है तो गर्मी तेज होती है। हलकी ठंड का लेना-देना पर्याप्त वर्षा न होने से भी है। यानी जिस ठंड में पर्याप्त वर्षा न हो, या देर से हो तो वह तेज, सूखी गर्मी का कारण बनता है। इंग्लैंड में जो सूखा चल रहा है वह हेडिंग्ले में भी दिखा। सूखे मैदान पर सूखी ही हेडिंग्ले की पिच थी।
तो सवाल उठता है कि भारतीय टीम के विचार-मंडल ने बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज कुलदीप यादव को हेडिंग्ले की सूखी पिच पर क्यों नहीं खिलाया? कुलदीप की परंपरा से अलग स्पिन गेंदबाजी ही उस पिच पर दोनों टीम के अंतर को उतार सकती थी। इंग्लैंड के पास तो कुलदीप जैसे स्पिनर को खिलाने की गुंजाइश ही नहीं थी। और इस सवाल का मकसद ‘मैच का मुजरिम’ निकालने भर से नहीं है। लेकिन हेडिंग्ले पर खेलने के लिए सुदृढ़ रणनीति बनाने में भारतीय टीम का विचार-मंडल विफल रहा। जिसके कारण टेस्ट क्रिकेट में जीत के लिए जो सबसे जरूरी, बीस विपक्षी बल्लेबाजों को आउट करना रहता है, उससे भारतीय टीम चूक गयी। अच्छे खेल के बावजूद पांच-छह कैच छोड़ना व गेंदबाजी में कम पड़ना या कुछ अलग न सोच पाना अपने को महंगा पड़ा। जीत के मुहाने से अपन हार छीन लाए।
यह टेस्ट क्रिकेट का नया विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का युग है। टेस्ट क्रिकेट के अस्तित्व का जो संकट कुछ साल पहले दिख रहा था आज वह नए उत्साह के उत्सव में दिख रहा है। इस नए आकर्षक युग का पूरा श्रेय मनोबल से धनी हुए व प्रतिभा से संपन्न क्रिकेटरों को ही जाएगा। और आज की आक्रामक बल्लेबाजी शैली के कारण जो नए खेल प्रेमी जुड़े हैं वे ही महान खेल की लोकप्रियता के दूत हैं।
हेडिंग्ले पिच पर पांच दिन में 1673 रन बने और 35 विकेट गिरे। भारत की ओर से पांच शतक लगाने के अलावा, बुमराह ने एक पारी में पांच विकेट भी लिए। आशा है अगले चार टेस्ट पिच पर हेडिंग्ले की हार हावी न रहे। खेल प्रेमियों का इससे ज्यादा क्या मनोरंजन चाहिए?