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बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार किसकी सरकार?

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महिला सम्मान

याद है ना वो नारा “ बहुत हुआ नारी पर वार अबकी बार मोदी सरकार। “ 2014में इसी नारे पर नरेंद्र मोदी सत्ता में आए थे। लेकिन उसके बाद नारी सुरक्षा, महिला सम्मान का दस साला रिकार्ड़ क्या?प्रधानमंत्री मोदी जिस प्रजव्वल रैवन्ना के लिए वोट मांगते हुए कह रहे थेकि इन्हें दिया हुआ हर वोट मुझे मजबूत करेगा वो तो हकीकत का अल्टिमेट है। भयानक।..इससे पहले सबसे बड़ा मामला भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह का…हाथरस में बलात्कार के बाद दलितबेटी के शव को रातों रात जला देना..

याद है ना वो नारा “ बहुत हुआ नारी पर वार अबकी बार मोदी सरकार। “ 2014”में इसी नारे पर नरेंद्र मोदी सत्ता में आए थे। लेकिन उसके बाद नारीसुरक्षा, महिला सम्मान का क्या हुआ? प्रधानमंत्री मोदी जिस प्रजव्वल रैवन्ना के लिए वोट मांगते हुए कह रहे थे कि इन्हें दिया हुआ हर वोट मुझे मजबूत करेगा वो तो अल्टिमेट है। भयानक।मगर उस प्रजव्वल से पहले जाने कितने मामले नारी पर वार के हुए और कुछनहीं हुआ।

अभी इससे पहले सबसे बड़ा मामला भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह का था। देश को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर नाम दिलाने वाली ओलम्पिक मेडल विजेता  महिलापहलवानों के यौन शोषण का। कोर्ट में चालान पेश होने के बावजूद भाजपा नेअपने सांसद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। और उसने भाजपा सहित पूरीन्याय व्यवस्था सरकार को चैलेंज किया कि देखें कौन क्या करता है? दबदबाहै दबदबा रहेगा।

खुला चैलेंज पूरे देश के सिस्टम को। और सबने देखा किदबदबा बना हुआ है। रोकर अपने मेडल प्रधानमंत्री निवास के बाहर रखकर यहस्वीकार करके कि नारी पर वार होता रहेगा, चाहे वह अन्तरराष्ट्रीय स्तर कीपहलवान ही क्यों न हों वे वापस अपने अखाड़ों में आकर अपनी प्रेक्टिस मेंलग गईं। बहुत खराब है यह लिखना मगर सच है कि जो कभी बड़े बड़े मुकाबलोंमें नहीं हारीं अपने देश में एक सत्ता का संरक्षण पाए दुराचारी से हारगईं।

और इससे पहले कितनी घटनाओं को याद करें। हाथरस में बलात्कार के बाद दलितबेटी का शव भी परिवार वालों को नहीं मिला था। रातों रात जला दिया गया।परिवार को भी प्रताड़ित किया गया। उससे पहले भी भाजपा विधायक सेंगर नेबलात्कार पीड़िता के पूरे परिवार को हर तरह से आतंकित किया। चिन्मयानंदपर से केस ही वापस ले लिए गए। गिनते जाइए नारी पर वार की यह घटनाएंप्रजव्वल रैवन्ना तक आते आते सौ तक आ जाएंगी।

भस्मामुर हो गई सरकार। जनता कब तक चुप रहेगी? लोकतंत्र में तो जनताजनार्दन कहते हैं। जनता ही भगवान है। शिव है। 99 तक की ही तो छूट दी थीभस्मासुर को। हासन से पहले वे हो चुकीं।देखते हैं जनता जनार्दन क्या करती है? लेकिन यह सच है कि आज की तारीख मेंपूर्व प्रधानमंत्री दैवेगोड़ा के सगे पोते और प्रधानमंत्री मोदी केसमर्थन प्राप्त प्रजव्व्ल के यौन अपराध इस चुनाव में बड़ा मुद्दा बन गएहैं। अभी तक तीन हजार के लगभग सीडी सामने आ चुकी हैं।

दस साल से वह यहकाम कर रहा था। राज्य में भाजपा की सरकार थी। केन्द्र में मोदी सरकार।जिसकी सबसे ज्यादा बात की जाती है वही डबल इंजन की सरकार। मामले तो तबखुले जब कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार आई। और मीडिया एवं भक्तों कीस्वामी भक्ति देखिए। कर्नाटक की पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं कि वह जर्मनी

कैसे भागा? लोकसभा का चुनाव लड़ रहा था?  प्रधानमंत्री मोदी के बगल मेंस्टेज पर खड़ा था। मोदी कह रहे थे इसे दिया वोट सीधे मुझे मिलेगा। औरसवाल प्रधानमंत्री से न करके कर्नाटक पुलिस से किए जा रहे हैं। एयरपोर्टपर केन्द्र की एजेन्सियां होती हैं। पासपोर्ट वीसा पहचान वे चेक करतेहैं। मगर सवाल बेशर्मी से इधर घुमाया जा रहा है।

याद है ना जैसा चंड़ीगढ़ में कहा था। व्यंग्य में उपहास उड़ाते हुए किकांग्रेस और आप के पार्षदों को वोट डालना नहीं आता। वह तो सुप्रीम कोर्टने पकड़ लिया। चुनाव अधिकारी को वोट खराब करते हुए। और चुनाव पलट दिया।नहीं तो कैमरे में देखने के बावजूद भाजपा, मीडिया, भक्त उल्टा कांग्रेसऔर आप को कटघरे में खड़े किए जा रहे थे। या चीन की घुसपैठ पर एक बड़ेचैनल की एंकर कह रही थी सेना की गलती है। सरकार क्या करेगी। कोरोना मेंभी सिस्टम को दोषी बता दिया था। हर हाल में मोदी सरकार को बचाना है।

मगर अब तो ब्रिटिश कोर्ट में यह बात सामने आ गई कि भारत में सबसे ज्यादालगाई जान वाली वैक्सीन कोविडशिल्ड के खतरनाक साइड इफेक्ट थे। खून के थक्केजमने के साथ प्लेटलेट की संख्या भी कम हो जाने तक। खुद वैक्सिन बनानेवाली कंपनी ने यह स्वीकारा।

इसे कंपनी ने भाजपाको इलेक्ट्रोरल बांड के जरिए 50 करोड़ का चंदा दिया था। यह पचास करोड़ कामामला भी सुप्रीम कोर्ट की वजह से सामने आ गया। वरना चंदा देने वालो केनाम तो छुपे हुए थे। इसके अलावा और कितना पैसा दिया गया है यह भी कभी बादमें सामने आएगा। इस वैक्सिन को भारत में बनाने वाले साइरस पूनावाला नेकितना पैसा कमाया है यह भी अब छुपा नहीं रहेगा।

फिलहाल हम बस इतना याददिला देते है कि कोरोना के बाद साइरस के बेटे अदार पूनावाला ने लंदन मेंअब तक का सबसे मंहगा घर 1446 करोड़ में खरीदा। जहां बेटा इतना मंहगा घरखरीद रहा हो वहां बाप ने कितना कमाया इसका अंदाजा आप लगाते रहिए। एक तथ्यऔर बता देते हैं कि भारत में लगने वाली वैक्सीन में से 80 प्रतिशत इनकीही थी। जनता की जान की कीमत पर यह लाखों करोड़ रुपए का घपला है। देश कासबसे बड़ा घोटाला और वह भी जनता की जिन्दगी को दांव पर लगाकर।

अब यह फिर जनता पर है कि उसके जीवन को खतरे में डालने वाली वैक्सीन इसचुनाव में कितना बड़ा मुद्दा बनती है। फिलहाल अखिलेश यादव का वह वीडियोवायरल हो रहा है जिसमें वे साफ कह रहे हैं कि भाजपा की वैक्सीन पर वेयकीन नहीं कर सकते।

लोकसभा चुनाव के दो फेज हो चुके हैं। ये भाजपा की आशा के विपरित गए। और अबयह अचानक दो नए मुद्दे सैक्स क्राइम और वैक्सीन क्राइम आना भाजपा के लिएऔर भारी पड़ सकते हैं। पहले ही बेरोजगारी और महंगाई इन दो मुद्दों काउसके पास कोई जवाब नहीं था। वह केवल कांग्रेस आ जाएगी तो यह करेगी वह

करेगी का डर पैदा करने के अलावा और कुछ बोल ही नहीं पा रही थी।

जनता पर इन कहानियों का कोई असर नहीं हो रहा था। भाजपा इसे समझ रही थी।इसलिए उसने खजुराहो के बाद सूरत और इन्दौर का कांड किया। मगर यह भी उल्टापड़ गया। कांग्रेस और इन्डिया गठबंधन का यह आरोप सही साबित होने लगा किभाजपा लोकतंत्र को खत्म कर रही है। आम जनता के लिए लोकतंत्र का सबसे सीधामतलब यही है कि उसके वोट का अधिकार बना रहे। वोट है तभी नेता उसके दरवाजेआता है। सूरत में वोट ही चला गया तो कौन उसे पूछेगा। वहां तो बिना मतदानके भाजपा उम्मीदवार को जीता ही घोषित कर दिया। खजुराहो और इन्दौर में भीकांग्रेस या इंडिया गठबंधन का कोई उम्मीदवार नहीं बचने दिया। कौन वोट

डालने जाएगा। जिस मतदान बढ़ाने की बात चुनाव आयोग करता है बताए किखजुराहो और इन्दौर में कितना होगा?  बढ़ाएं! बढ़ाकर बताएं कि कितना हुआ।पूरी चुनावी पद्धति खत्म कर दी। यही तो लोकतंत्र का खात्मा है!

कांग्रेस के आरोप सही साबित हो रहा है कि लोकतंत्र खत्म किया जा रहा है। औरउसकी खुशी मनाई जा रही है। चंडीगढ़, खजुराहो, सूरत, इन्दौर में खुले आमलोकतांत्रिक सिस्टम की धज्जियां उड़ाईं। और सरे आम डाके की तरह। चोरीछिपे डरते डरते नहीं। हंस कर खुश होकर। इसे अपनी बहादुरी और चतुराई कीतरह पेश करके। अब देखना जनता को है कि वह इसे इनकी योग्यता मानती है जैसायह बता रहे हैं या अपनी खुद की कमजोरी। पांच चरण बचे हैं। साढ़े तीन सौके करीब सीटों पर और मतदान होना है।

मुद्दे साफ हो गए हैं। बेरोजगारी और महंगाई का प्रधानमंत्री मोदी को कोई तोड़ नहीं मिला है। ऐसे में तीन हजार सीडी और जानलेवा वैक्सीन के मुद्देऔर सामने गए हैं। दस साल में पहली बार मोदी को समझ में नहीं आ रहा है किकौन सा शाट खेलें? उनका बैट नहीं चल रहा !

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By शकील अख़्तर

स्वतंत्र पत्रकार। नया इंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर। नवभारत टाइम्स के पूर्व राजनीतिक संपादक और ब्यूरो चीफ। कोई 45 वर्षों का पत्रकारिता अनुभव। सन् 1990 से 2000 के कश्मीर के मुश्किल भरे दस वर्षों में कश्मीर के रहते हुए घाटी को कवर किया।

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