nayaindia Lok sabha election Chhindwara seat गढ़ को बचाने कमलनाथ का भाजपा से कांटे का मुकाबला

गढ़ को बचाने कमलनाथ का भाजपा से कांटे का मुकाबला

Kamal Nath

भोपाल। देश में 400 सौ का लक्ष्य लेकर भाजपा चुनाव मैदान में उतरी है इसके लिए जरूरी है कि मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटों पर भाजपा चुनाव जीते लेकिन इसमें सबसे बड़ा रोडा कमलनाथ बने हुए है इस बार भी यहां कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस प्रत्याशी की बजाय भाजपा कमलनाथ को निशाने पर लिए हुए भाजपा प्रत्याशी की स्थिति भी कांग्रेस प्रत्याशी की तरह हो गई है।

प्रथम चरण की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट

दरअसल प्रथम चरण में प्रदेश में जिन छह लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होना है उसमें सबसे रोचक मुकाबला छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में बना हुआ है भाजपा 2019 से ही छिंदवाड़ा और गुना शिवपुरी को निशाने पर लिए हुए हैं गुना शिवपुरी 2019 में भाजपा ने जीत ली और अब सीट पर रोड़ा बने ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं अब प्रदेश में छिंदवाड़ा सीट ही ऐसी सीट है जहां कमलनाथ भाजपा के विजय रथ को रोके हुए हैं

केवल 1998 में भाजपा ने सुंदरलाल पटवा को यहां से चुनाव लड़ा कर कमलनाथ को पटकनी दी थी शायद इसी चुनाव को ध्यान में रखते हुए कमलनाथ छिंदवाड़ा नहीं छोड़ रहे पहली बार छिंदवाड़ा वासियों से भावनात्मक अपील कर रहे हैं और पूरा परिवार मैदान में डटा हुआ है क्योंकि 1980 से लेकर 2019 तक कमलनाथ नौ बार इस सीट से सांसद रहे एक बार 1996 में उनकी पत्नी अलका नाथ और 2019 में पुत्र नकुलनाथ चुनाव जीते हैं 2019 का लोकसभा चुनाव कमलनाथ के लिए अलार्मिंग था

जहां उनके मुख्यमंत्री रहते पुत्र नकुलनाथ मात्र 37000 वोटो से नत्थनशाह कवरेती से जीत सके तब भाजपा ने इतनी जमावट भी नहीं की थी जितनी 2024 में जीतने के लिए की है कमलनाथ के दाएं हाथ कहे जाने वाले दीपक सक्सेना कमलनाथ का साथ छोड़कर भाजपा में चले गए हैं अमरवाड़ा विधायक भाजपा का दामन थाम चुके हैं महापौर पार्षद के साथ-साथ और भी पदाधिकारी कार्यकर्ता कांग्रेस से भाजपा में चले गए हैं इससे जहां भाजपा उत्साहित है वही कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ीं हुई है।

बहरहाल छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी विवेक साहू बंटी और कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ केवल जनता से हाथ जोड़कर जनसंपर्क तक सीमित है भाजपा का प्रादेशिक नेतृत्व छिंदवाड़ा में प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़ रहा है क्योंकि पार्टी का राष्ट्रीय हाई कमान चाहता है मध्य प्रदेश की सभी उन्तीस सीटें जीतना और उसके लिए जरूरी है कि छिंदवाड़ा सीट भी जीती जाए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मतदान करीब आते छिंदवाड़ा के चुनाव को आजादी की लड़ाई की तरफ मोड़ दिया है कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय इस सीट पर फोकस बनाए हुए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा आज शुक्रवार को छिंदवाड़ा में आम सभा को संबोधित करने पहुंच रहे हैं और इसी के साथ ही भाजपा आखिरी एक सप्ताह में पूरी ताकत छिंदवाड़ा में झोंकने जा रही है।

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ को 47 पर्सेंट वोट और भाजपा प्रत्याशी नत्थनशाह कवरेती को 44% वोट मिले थे और तब से ही भाजपा इस सीट को जीतने की रणनीति बना रही है और भाजपा की रणनीति को भापकर कमलनाथ अपने गढ को बचाने के लिए सतर्क और सावधान है 2018 में छिंदवाड़ा लोकसभा के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों में से चार विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास थी और तीन विधानसभा सीटे भाजपा को मिली थी वही 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सभी सात सीटों पर जीत दर्ज की लेकिन एक विधायक कमलेश शाह हाल ही में भाजपा में शामिल हो गए सो अब कांग्रेस के पास 6 विधायक बचे।

कुल मिलाकर पिछले 40 वर्षों से छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ बना हुआ था जिसको तोड़ने के लिए भाजपा अभी नहीं तो कभी नहीं की तर्ज पर पूरी ताकत लगाए हुए हैं 1997 के उपचुनाव की तरह अति आत्मविश्वास में ना रहते हुए कमलनाथ पहली बार परिवार सहित मैदान में सक्रिय है जहां वे संबंधों की दुहाई दे रहे हैं वहीं अंतिम सांस तक सेवा करने की बात बार-बार दोहरा रहे हैं पहली बार भावनात्मक अपील कर रहे हैं अभी तक कमलनाथ के समर्थक छिंदवाड़ा पहुंचे हैं राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से कोई कार्यक्रम नहीं बना है और ना ही कमलनाथ का प्रदेश के किसी अन्य लोकसभा क्षेत्र में जाने का कार्यक्रम बन रहा है

अन्यथा विधानसभा हो लोकसभा हो या नगर निगम के चुनाव हो कमलनाथ प्रदेश में अपने समर्थकों के लिए सभाएं करने जरूर जाते थे जाहिर है छिंदवाड़ा का परिणाम जो भी हो लेकिन भाजपा ने कमलनाथ को छिंदवाड़ा में ऐसा घेर लिया है जिससे वे छिंदवाड़ा से बाहर नहीं निकल पा रहे क्योंकि कमलनाथ का मुकाबला भाजपा से है और भाजपा छिंदवाड़ा को जीतने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए हैं 19 अप्रैल को छिंदवाड़ा के मतदाता ए करेंगे की कमलनाथ का किला कितना सुरक्षित रहेगा।

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