nayaindia Parliament Monsoon session लफ़्फाजी, आंकड़े और अनसुनी सिसकियां

लफ़्फाजी, आंकड़े और अनसुनी सिसकियां

संसद सत्र

2024 के चुनाव में हम पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ कर वापस आएंगे। विपक्ष नो बॉल कर रहा है और इधर से सेंचुरी लग रही है। बच्चा सुंदर होता है तो उसे काला टीका लगा देते हैं। आज जब देश में सब अच्छा हो रहा है तो विपक्ष काले कपड़े पहन कर सदन में आया। विपक्ष को एक गुप्त वरदान मिला हुआ है। वह जिस का बुरा चाहता है, उस का अच्छा हो जाता है।…प्रधानमंत्री के 132 मिनट के भाषण में 98 बार तालियां बजीं, 22 बार ठहाके लगे, 29 बार उन्होंने मणिपुर शब्द का ज़िक्र किया।

बावजूद इस के कि संख्या-शक्ति का गणित साफ था, विपक्ष ने सरकार के खि़लाफ़ अविश्वास प्रस्ताव ला कर फेंका तो तुरूप का पत्ता ही था, मगर मैं अब तक सोच रहा हूं कि अपनी लचर दलीलों के बावजूद नरेंद्र भाई मोदी ने तीनों इक्के हथिया कैसे लिए? सो, तफ़सील से नफ़्सियाती तजि़्जया करने के बजाय मैं चुनींदा चेहरों की लोकसभा में कही चुनींदा बातें आप के सामने रख कर सब-कुछ आप पर ही छोड़ता हूं।

राहुल गांधी: पिछले साल मैं ने 130 दिनों तक कन्याकुमारी से कश्मीर तक देश के एक कोने से दूसरे कोने तक की पैदल भारत जोड़ो यात्रा की। यात्रा के दौरान और उस के बाद भी लोग मुझ से यह यात्रा करने का कारण पूछते रहे। शुरू में मैं उन्हें कारण बता नहीं पाता था। शायद  शुरू में मैं ख़ुद भी नहीं जानता था कि यह यात्रा मैं क्यों कर रहा हूं। मुझे लगता था कि मैं भारत को देखना चाहता हूं और लोगों से मिल कर उन्हें समझना चाहता हूं। हज़ारों-लाखों लोग यात्रा में मुझ से मिले। उन का दर्द मेरा दर्द बन गया। उन की व्यथा मेरी व्यथा बन गई। लोग कहते हैं कि भारत एक देश है। सच्चाई यह है कि यह दो है। सच्चाई यह है कि यह देश इस के लोगों की आवाज़ है। उन के दर्द, दुःख और दिक़्कतो की आवाज़। अगर हमें यह आवाज़ सुननी है तो अपना अहंकार त्यागना पड़ेगा। अपने भीतर बसी नफ़रत त्यागनी पड़ेगी। कुछ दिनों पहले मैं मणिपुर गया। आज की हक़ीकत यह है कि मणिपुर अब पहले जैसा नहीं रहा। मणिपुर दो हिस्सों में बंट गया है। आप ने मणिपुर को विभाजित कर दिया है। आप ने मणिपुर के टुकड़े कर दिए हैं। मैं मणिपुर के राहत शिविरों में गया। मैं ने वहां महिलाओं और बच्चों से बात की।हमारे प्रधानमंत्री ने यह नहीं किया। महिलाओं के साथ जो बीता, उस की कथाएं सुन कर मैं सिहर गया। इस सरकार ने मणिपुर को ही नहीं मार डाला है, बल्कि मणिपुर में भारत को मार दिया है। यह देश इस के लोगों की आवाज़ है। इस सरकार ने लोगों की आवाज़ मार दी है। इस सरकार ने मणिपुर में भारतमाता की हत्या की है। हमारी सेना एक दिन में मणिपुर में शांति कायम कर सकती है। लेकिन यह सरकार सेना का सहयोग नहीं ले रही है। राम ने रावण को नहीं मारा था। रावण को उस के अहंकार ने मारा था। रावण सिर्फ़ दो लोगों की बात सुनता था। यह सरकार पूरे देश में आग लगा रही है। इस सरकार ने मणिपुर को भी आग के हवाले कर दिया है। यह सरकार अब हरियाणा में भी यही कर रही है।

 

स्मृति ईरानी: मणिपुर के टुकड़े नहीं हुए हैं। मणिपुर विभाजित नहीं हुआ है। वह भारत का अभिन्न अंग है। आज कांग्रेस के नेता न्याय की बात करते हैं। लेकिन मैं उन से पूछना चाहती हूं कि कश्मीरी पंडितों को न्याय कब मिलेगा? 1984 के दंगों के शिकार सिखों को न्याय कब मिलेगा? 2014 तक सिर्फ़ 39 प्रतिशत घरों में शौचालय थे। 2019 में देश के सौ प्रतिशत घरों में शौचालय बन गए। जब कांग्रेस की सरकार थी तो सिर्फ़ तीन करोड़ परिवारों को नल से पानी मिलता था। 2019 में साढ़े बारह करोड़ परिवारों को मिलने लगा। 23 करोड़ महिलाओं के जनधन खाते बैंकों में खुले। 40 करोड़ लोगों को मुद्रा योजनाउ में कर्ज़ मिले। इन में से 27 करोड़ महिलाएं हैं। बहुत-से नए विश्वविद्यालय खुले। सैकड़ों खिलाड़ियों ने पदक जीते। हज़ारों नए रेल-डिब्बे बने। देश तरक़्की कर रहा है। यह अविश्वास प्रस्ताव निरर्थक है।

डॉ. फ़ारूख़ अब्दुल्ला: स्मृति ईरानी जी की यह बात पूरी तरह ग़लत है कि जब से उन की सरकार आई है, कश्मीर में बाल विवाह बंद हो गए हैं। महाराज हरिसिंह ने 1928 में बाल विवाह पर पाबंदी लगाई थी और तब से इस क़ानून पर अमल हो रहा है। इस देश का फ़र्ज़ सिर्फ़ हिदुओं का ख़्याल करना नहीं है। उन्हें मुस्लिमों, ईसाइयों, सिखों – सभी का ख़्याल रखना है। प्रधानमंत्री एक अरब चालीस करोड़ देशवासियों के प्रधानमंत्री हैं। आप देश को बताएं कि पिछले दस साल में कितने कश्मीरी पंडितों को आप कश्मीर वापस लाए? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप यह मानते ही नहीं हैं कि हम भी इसी देश का हिस्सा हैं। आप देश को त्रासदी में डाल रहे हैं। लोगों का प्यार हमें आपस में एक रखेगा, बंदूक की ताक़त से यह नहीं होगा। आप कहते हैं कि कश्मीर में शांति है, लेकिन आप जी-20 के सदस्यों को गुलमर्ग और दाचीगाम भी नहीं ले जा पाए। आप कश्मीरियों को पाकिस्तानी समझना बंद कीजिए। मणिपुर में भी शांति तभी आएगी, जब हम प्यार से लोगों के दिल जीतेंगे।

अमित शाह: अविश्वास प्रस्ताव वहम पैदा करने के मक़सद से लाया गया है। देश के लोगों का इस सरकार में पूरा विश्वास है। देश के 60 करोड़ ग़रीबों का इस सरकार में पूरा विश्वास है। आज़ादी के बाद अगर किसी सरकार को देशवासियों का इतना विश्वास मिला है तो वह इस सरकार को मिला है। इस सरकार ने नौ साल में पचास से ज़्यादा ऐसे युगांतकारी निर्णय लिए हैं, जो अपने में एक कीर्तिमान है। 2014 से पहले हमारा लोकतंत्र भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और जातिवाद की गिरफ़्त में था। हमारे मौजूदा प्रधानमंत्री ने इसे कार्यदक्षता पर आधारित बनाया। अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष के राजनीतिक दलों के असली चरित्र को उजागर करता है। पहले भी वे अविश्वास प्रस्ताव ला कर अपनी असलियत दिखा चुके हैं। हमारी सरकार ने पूर्वोत्तर भारत को मुख्यधारा में लाने का काम किया है। प्रधानमंत्री जी अब तक पचास से ज़्यादा बार पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर जा चुके हैं। यह ग़लतफ़हमी फैलाई जा रही है कि सरकार मणिपुर पर चर्चा नहीं करना चाहती है। मैं ने तो संसद का सत्र शुरू होने से पहले ही लोकसभा अध्यक्ष जी को पत्र भेज कर कहा था कि मणिपुर पर चर्चा कराएं। मैं आप को मणिपुर की हिंसा के पीछे के कारणों को विस्तार से बता रहा हूं। लेकिन विपक्ष को तो सिर्फ़ हंगामा करना है।

नरेंद्र मोदी: भगवान बहुत दयालु हैं। भगवान का आशीर्वाद है कि उन्होंने विपक्ष को सुझाया और वे अविश्वास प्रस्ताव ले कर आए। अविश्वास प्रस्ताव हमारे लिए शुभ होता है। ये घमंडिया गठबंधन है। इस की बारात में हर कोई दूल्हा बनना चाहता है। 2024 के चुनाव में हम पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ कर वापस आएंगे। विपक्ष नो बॉल कर रहा है और इधर से सेंचुरी लग रही है। बच्चा सुंदर होता है तो उसे काला टीका लगा देते हैं। आज जब देश में सब अच्छा हो रहा है तो विपक्ष काले कपड़े पहन कर सदन में आया। विपक्ष को एक गुप्त वरदान मिला हुआ है। वह जिस का बुरा चाहता है, उस का अच्छा हो जाता है। (प्रधानमंत्री ने क्या कहा, क्या नहीं, यह महत्वपूर्ण नहीं है। बड़ी बात यह है कि 132 मिनट के उन के भाषण में 98 बार तालियां बजीं, 22 बार ठहाके लगे, 29 बार उन्होंने मणिपुर शब्द का ज़िक्र किया और सदस्यों ने 13 बार भाषण के बीच टोकाटोकी की।)

By पंकज शर्मा

स्वतंत्र पत्रकार। नया इंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर। नवभारत टाइम्स में संवाददाता, विशेष संवाददाता का सन् 1980 से 2006 का लंबा अनुभव। पांच वर्ष सीबीएफसी-सदस्य। प्रिंट और ब्रॉडकास्ट में विविध अनुभव और फिलहाल संपादक, न्यूज व्यूज इंडिया और स्वतंत्र पत्रकारिता। नया इंडिया के नियमित लेखक।

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