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समावेशी विकास का उत्तराखंड मॉडल

सीएम धामी

भारत में विकास के कई मॉडल की चर्चा होती है। सबकी अपनी खूबियां हैं और अपने अपने राज्य के हिसाब से उनका महत्व और उपयोगिता है। आमतौर पर विकास के मॉडल के तौर पर बड़े राज्यों की चर्चा की जाती है, जिनका सकल घरेलू उत्पाद बहुत बड़ा होता है या जहां औद्योगिकरण की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। छोटे और पहाड़ी राज्य ऐसी चर्चा से बाहर हो जाते हैं। परंतु पिछले कुछ वर्षों में विकास के एक मॉडल के तौर उत्तराखंड का उदय एक बड़ी परिघटना है। मुश्किल पारिस्थितिकी और निरंतर प्रकृति की मार झेल रहे उत्तराखंड ने समावेशी विकास का एक नया मॉडल विकसित किया है। वहां धर्म और न्याय के साथ विकास का क्रम चल रहा है। वैसे भी उत्तराखंड देवभूमि है, जहां ‘कंकड़ कंकड़ शंकर है’। कदम कदम पर तीर्थ हैं और पवित्र भूमि है। शंकराचार्य का स्थापित किया हुआ बद्रीनाथ धाम है तो सबसे जाग्रत महादेव का केदारनाथ मंदिर भी है। पूरे देश के चार धामों में से एक धाम उत्तराखंड में है तो इसका अपना चार धाम भी है। बद्रीनाथ, केदारनाथ के अलावा गंगोत्री और यमुनोत्री भी हैं। आदि शंकराचार्य ने उत्तर से दक्षिण को जोड़ने के लिए रामेश्वरम और बद्रीनाथ धाम की स्थापना की थी। उत्तराखंड से लोग गंगा जल लेकर रामेश्वर जाते हैं तो रामेश्वरम से लोग बद्रीनाथ और केदारनाथ के दर्शन के लिए आते हैं।

यह अनोखी विशेषता इस राज्य को एक अलग पहचान देती है। परंतु पिछले कुछ वर्षों में श्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने उत्तराखंड की प्रगति को नई दिशा और नए आयाम दिए हैं। उन्होंने एक सतत और टिकाऊ विकास का अपना स्वदेशी मॉडल विकसित किया है। इसमें तीर्थाटन की अर्थव्यवस्था को विकसित करना एक आयाम है तो प्राकृतिक संसाधनों के जरिए राज्य के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास एक दूसरा आयाम है। राज्य सरकार ने प्रकृति और पारिस्थितिकी का संरक्षण करते हुए उद्योग धंधे विकसित करने के नए प्रयास भी किए हैं। समावेशी, टिकाऊ और पारिस्थितिकी से संतुलन के साथ विकास की गति बढ़ाने के लिए श्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने अलग अलग उद्योग समूहों के साथ 3.56 लाख करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्तावों के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें से एक लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारा जा चुका है। सरकार की ओर से आयोजित उत्तराखंड निवेश उत्सव में मिले प्रस्तावों को तत्परता के साथ धरातल पर उतारा जाता है। सरकार ने आर्थिक प्रबंधन के मामले में अपनी श्रेणी के ज्यादातर राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। आधिकारिक आंकडों के मुताबिक आर्थिक प्रबंधन के मामले में छोटे राज्यों की श्रेणी में उत्तराखंड दूसरे स्थान पर है। उससे आगे सिर्फ गोवा है।

उत्तराखंड की श्री पुष्कर सिंह धामी सरकार की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि राज्य का वार्षिक बजट एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का हो गया है। राज्य के आकार और आबादी को देखते हुए यह एक बड़ा मील का पत्थर है। राज्य सरकार ने पारिस्थितिकी के साथ संतुलन बनाते हुए हरिद्वार, पंतनगर, सितारगंज और कोटद्वार में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया है। इसके अलावा काशीपुर में एरोमा पार्क और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर भी विकसित किया गया है। सरकार खुरपिया फार्म को स्मार्ट औद्योगिक शहर के रूप में विकसित कर रही है। राज्य सरकार ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के अनुरूप लघु, सूक्ष्म व मझोले उद्यमों यानी एमएसएमई को प्रोत्साहित करने वाली नीतियां लागू की हैं। सरकार 50 नए एमएसएमई कलस्टर बना रही है और साथ ही स्टार्टअप की नई नीति लेकर आई है। उद्योग धंधों के विकास के साथ साथ सरकार लॉजिस्टिक्स पर भी काम कर रही है ताकि राज्य में आने वाले उद्योग समूहों को किसी किस्म की समस्या का सामना नहीं करना पड़े।

माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने औद्योगिक व आर्थिक विकास के साथ साथ सामाजिक व मानव विकास पर भी समान रूप से ध्यान दिया है। उन्होंने समाज के वंचित व हाशिए पर के समूहों को मुख्यधारा में लाने, महिलाओं को सशक्त बनाने और हर उम्र वर्ग के नागरिकों को उसकी आवश्यकता के अनुरूप सेवाएं उपलब्ध कराने की अनेक योजनाएं शुरू की हैं। उत्तराखंड में सरकार ने पेंशन पाने वाले बुजुर्गों के लिए घर पर ही वेरिफिकेशन की सुविधा दी है। इसी तरह वृद्ध व निःशक्त जनों के लिए भी अनेक योजनाएं शुरू की गई हैं। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए लखपति दीदी योजना के माध्यम से 1.64 लाख से अधिक मातृशक्ति को सशक्त बनाने का कदम उठाया गया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की कड़ी में राज्य सरकार किसानों के साथ महिलाओं को प्रोत्साहित कर रही है। किसानों को तीन लाख और महिला स्वंय सहायता समूहों यानी एसएचजी को पांच लाख रुपए तक ब्याज रहित ऋण दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने नव प्रसूता के लिए महालक्ष्मी किट की योजना शुरू की है, जिसके तहत प्रसव के बाद मां और नवजात शिशु को पोषण व स्वच्छता का सामान प्रदान किया जाता है। इस किट में शिशु के लिए सूती टोपी, जुराब, लंगोटी, तौलिया, शिशु साबुन, रबर शीट, कंबल, टीकाकरण कार्ड जैसी चीजें शामिल होती हैं। इसके माध्यम से नव प्रसूता और बच्चे दोनों की स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।

केंद्र में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लागू की गई जन  कल्याण की समस्त योजनाओं को बेहद प्रभावी तरीके से उत्तराखंड में लागू किया गया है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से प्रदेश के 60 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत राज्य के नौ लाख से अधिक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। इसी तरह प्रधानमंत्री आवास योजना में लगभग 55 हजार गरीबों को आवास उपलब्ध कराने की दिशा में तेज़ी से कार्य हो रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में 18,602 अतिरिक्त आवास स्वीकृत किए गए हैं।

आर्थिक, औद्योगिक, सामाजिक व मानव विकास के साथ साथ उत्तराखंड की सरकार सनातन के संरक्षण और भारत के सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा व संवर्धन के लिए भी निरंतर कार्य कर रही है। यह अनायास नहीं है कि समान नागरिक कानून लागू करने वाला सबसे पहला राज्य उत्तराखंड बना। उत्तराखंड की श्री पुष्कर सिंह धामी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्ति न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई और उस कमेटी की अनुशंसा के आधार पर समान नागरिक कानून बनाया गया। अब उत्तराखंड के बनाए कानून के अनुरूप ही देश के दूसरे राज्यों में समान नागरिक कानून का मसौदा बनाया जा रहा है। उत्तराखंड को ही भारतीय जनता पार्टी के सबसे पुराना वादों में से एक यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी लागू करने का सौभाग्य मिला।

राज्य की धामी सरकार उत्तराखंड में जनसंख्या संरचना बदलने के प्रत्यक्ष व परोक्ष षड़यंत्रों को रोकने के लिए भी कई कदम उठाए हैं। देवभूमि होने के बावजूद पिछले कई वर्षों से उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही थी। पहाड़ों में अनेक प्रकार के जिहाद देखने को मिल रहे हैं। कुछ समय पहले ही ‘नकल जिहाद’ सामने आया, जिसमें भर्ती परीक्षा का पेपर लीक किया गया था। मुख्यमंत्री ने इससे सख्ती से निपटने की घोषणा की। ऐसे ही कुछ समय पहले दो मुस्लिम युवक पकड़े गए थे, जो खाने की चीजों में थूक मिला रहे थे। इस ‘थूक जिहाद’ से निपटने के लिए धामी सरकार ने खाने पीने की दुकानों को नियंत्रित करने का सख्त कानून लागू किया है। सरकार ने ‘लव जिहाद’ और ‘लैंड जिहाद’ को प्रभावी तरीके से रोकने के भी कई कदम उठाए हैं। धामी सरकार ने अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025 को मंजूरी दी है, जिसके तहत राज्य के सभी मदरसों को उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद से संबद्ध होना अनिवार्य किया गया है। इस तरह अवैध मदरसों पर शिकंजा कसा गया है और राज्य के अलग अलग हिस्सों में ढाई सौ से अधिक मदरसे सील किए गए हैं।

एक साजिश के तहत जनसंख्या संरचना बदलने का प्रयास कितना सांस्थायिक हो गया है इसकी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री माननीय अमित शाह ने स्वंय दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उनके कार्यालय ने आंकडों के साथ इसकी जानकारी दी है। श्री अमित शाह के कार्यालय ने लिखा हैः

“भारत में आजादी के बाद हुई जनगणनाओं में….

1951 में हिंदू 84.1 प्रतिशत, मुस्लिम 9.8 प्रतिशत

1971 में हिंदू 82.72 प्रतिशत, मुस्लिम 11 प्रतिशत

1991 में हिंदू 81 प्रतिशत, मुस्लिम 12.12 प्रतिशत

2001 में हिंदू 80.5 प्रतिशत, मुस्लिम 13.4 प्रतिशत

2011 में हिंदू 79 प्रतिशत, मुस्लिम 14.2 प्रतिशत

और वही वृद्धि दर की बात करें तोः

2001-2011 में हिंदू जनसंख्या में वृद्धि दर 16.8 प्रतिशत थी और मुस्लिम आबादी 24.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी।

1951 से लेकर 2011 तक जनसंख्या वृद्धि दर में जो असमानता दिखती है उसका प्रमुख कारण ‘घुसपैठ’ है”।

घुसपैठ की वजह से और जनसंख्या वृद्धि दर के कारण, उत्तराखंड में भी जनसंख्या संरचना तेजी से बदल रही थी। श्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने इसे रोकने का प्रयास गंभीरता से किया है। उनकी सरकार ने धर्मांतरण विरोधी सख्त कानून पारित कराया है। गौरतलब है कि उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी 13.95 फीसदी यानी लगभग 14 फीसदी हो गई है। उत्तराखंड की ही तरह देवभूमि प्रदेश हिमाचल भी है, जहां मुस्लिम आबादी महज दो फीसदी है लेकिन उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी का अनुपात राष्ट्रीय अनुपात के बराबर हो गया है। बहरहाल, राज्य सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों से लोगों में भी जागरूकता आई है और वे भी सजग होकर जनसंख्या संरचना बदलने के प्रयासों को सफल बनाने में लगे हैं। इस तरह श्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार न सिर्फ औद्योगिक व आर्थिक विकास को गति और दिशा दे रही है, बल्कि जनसंख्या संरचना को बदलने से रोकने के गंभीर प्रयास भी कर रही है और सनातन के धार्मिक व सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के भी ठोस कदम उठा रही है।

(लेखक दिल्ली में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तामंग (गोले) के कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त विशेष कार्यवाहक अधिकारी हैं।)

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