Wednesday

30-07-2025 Vol 19

चुनाव से भी भागना!

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By-election: सवाल है नरेंद्र मोदी और अमित शाह कैसे टाइमपास में समय गुजार सकते हैं? इनकी फितरत समय काटने की तो नहीं है। कुछ तो सोच रहे होंगे। बात सही है। लेकिन राजनीति में जब लुढ़कने का वक्त आता है तो कोई कितना भी चतुर, क्रूर और अपने को भगवान मानने वाला हो, वह समय को नहीं पलट सकता। मोदी और शाह दोनों जान रहे हैं कि पिटारा खुल गया है। उनकी मुट्ठी खुल कर खाक की है। दोनों का अहंकार दोनों को (साथ में भाजपा और आरएसएस को भी) उस दिशा की और अनिवार्यतः ले जाएगा, जिसमें आगे खाई है। मैं नरेंद्र मोदी के भविष्य को ले कर तुलसी के इस वाक्य को पहले भी लिख चुका हूं कि, तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान। भीलां लूटी गोपियां, वही अर्जुन वही बाण।

BJP में ईमान-धर्म, वैचारिकता का बचा क्या

और गौरतलब एक ताजा हकीकत। जरा उस चेहरे को याद करें जो अपने आपको तेलंगाना का बेताज बादशाह मानता था। नाम है, केसीआर, चंद्रशेखर राव! बेचारा किस दशा में है? जनता ने हालिया चुनाव में उनके ढोंग, झूठी बातों, अहंकार, कथित चाणक्य बुद्धि, धर्मनिष्ठा, पैसे (सब मोदी-शाह समतुल्य) को ऐसी लात मारी कि छह महीने में ही उनकी पार्टी ढह गई है। और वे बिलखते-रोते हुए सब तरफ स्यापा कर रहे है कि कोई उन्हें बचाए। पूरी पार्टी छिन्न-भिन्न। किसी भी तरफ कोई सहानुभूति, कोई समर्थन नहीं। ऐसी ही दशा दलबदलुओं, अवसरवादियों, लालचियों, भूखों की मोदी-शाहकृत भाजपा की भविष्य में होनी है। इसलिए क्योंकि मोदी-शाह की भाजपा में ईमान-धर्म, वैचारिकता का बचा क्या है जो वह सत्ता गंवाने के बाद केसीआर की टीआरएस-बीआरएस जैसी दुर्गति को प्राप्त न हो!

इसल़िए आश्चर्य नहीं जो मोदी-शाह ने लोकसभा-विधानसभा के उपचुनावों का लटकाया हुआ है। डर है कि कहीं प्रियंका गांधी वायनाड़ से चुन कर संसद में न आ जाएं। इसलिए ये चुनाव महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनावों के साथ ही होंगे। और उन चुनावों में भाजपा सभी राज्यों में बुरी तरह हारनी है ऐसे में प्रियंका गांधी की जीत का हल्ला नहीं होगा। मेरा मानना है यदि राहुल, उद्धव, पवार, हुड्डा, हेमंत सोरेन ने अपने पांवों पर कुल्हाड़ी नहीं मारी और ‘इंडिया’ का मजबूत गठबंधन बनाए रखा तो भाजपा चारों प्रदेश में बुरी तरह हारेगी।

महाराष्ट्र में भाजपा 50-60 सीटें भी नहीं जीतेगी

महाराष्ट्र में भाजपा 50-60 सीटें भी नहीं जीतेगी। बजट से महाराष्ट्र में भी गुजरातियों के महाराष्ट्र के प्रति भेदभाव की हवा बन रही है। इन प्रदेशों में अमित शाह विपक्ष को औरगंजेब एलायंस के जुमले से घेरेबंदी के ख्याल में जो रणनीति बना रहे हैं वह इतनी उलटी पड़ेगी कि सब जगह अयोध्या जैसे भाजपा हारेगी। विश्वास नहीं होता, कोई बात नहीं इतंजार कीजिए। याद रखिए….समय बड़ा बलवान। भीलां लूटी गोपियां, वही अर्जुन वही बाण।

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हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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