केंद्र सरकार ने इस साल 16 जनवरी को आठवें वेतन आयोग की घोषणा की थी। उस समय दिल्ली में विधानसभा के चुनाव चल रहे थे। ऐन चुनाव के बीच सरकार ने इसकी घोषणा की, जिसका उसको बड़ा फायदा मिला। सरकारी कर्मचारियों की बहुलता वाली नई दिल्ली सीट पर भाजपा के प्रवेश वर्मा ने आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हरा दिया था। लेकिन पांच महीने बाद भी आठवें वेतन आयोग को लेकर कोई पहल नहीं हुई है। अभी तक आयोग का गठन नहीं किया गया है। 16 जनवरी की घोषणा में कहा गया है कि आयोग की सिफारिशें जनवरी 2026 से लागू होंगी।
घोषणा के पांच महीने बीत जाने के बाद भी आयोग का गठन नहीं होने से कर्मचारियों में नाराजगी है और उन्होंने हड़ताल का ऐलान किया है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की ओर से नौ जुलाई को हड़ताल करने की घोषणा की है। महासंघ की ओर से कहा गया है कि सरकार आयोग का गठन में इसलिए देरी कर रही है ताकि उसे जनवरी 2026 से कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं देना पड़े। हालांकि अगर आयोग का गठन देर से भी हो और सिफारिशें देर से आएं तब भी सरकार जनवरी 2026 से उसका लाभ दे सकती है। उसमें कर्मचारियों को बकाए की राशि एकमुश्त मिलेगी। लेकिन सवाल है कि केंद्र सरकार ऐसा क्यों करना चाह रही है। जब उसने 16 जनवरी को आयोग की घोषणा कर दी तो उसका गठन करने में इतना समय क्यों लग रहा है? सरकार ने चुनावी लाभ ले लिया और चुप होकर बैठ गई!