समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आमने सामने की लड़ाई के मूड में हैं। वे भाजपा से लड़ रहे हैं और साथ साथ उन्होंने मीडिया के खिलाफ मोर्चा खोला है। मीडिया के जरिए खास किस्म का नैरेटिव बनाने के खिलाफ उन्होंने सख्त एक्शन लेने का ऐलान किया है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि समाजवादी साथियों को ‘दैनिक जागरण’ अखबार खरीदना और पढ़ना बंद कर देना चाहिए। उन्होंने उत्तर प्रदेश के एक रिटायर अधिकारी का भी नाम लिया और कहा कि ये लोग मिल कर साजिश रच रहे हैं और एक खास किस्म का नैरेटिव बना रहे हैं। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी ने यह भी तय किया कि उसके प्रवक्ता या टेलीविजन के वक्ता ‘न्यूज 24’ के स्टूडियो में नहीं जाएंगे। उसका बहिष्कार करेंगे। सोचें, ‘न्यूज 24’ कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला का चैनल है, जिसे उनकी पत्नी अनुराधा प्रसाद संभालती हैं। वे भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद की बहन हैं।
असल में अखिलेश इस बात से नाराज हैं कि ‘दैनिक जागरण’ ने उनको लेकर एक धारणा बनाई जिसे दूसरे मीडिया समूहों में प्रचारित किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी का मानना है कि जिस समय अखिलेश यादव 2017 का विधानसभा चुनाव हार कर सत्ता से बाहर हुए उस समय इस अखबार ने प्रचारित किया कि मुख्यमंत्री आवास खाली करते हुए अखिलेश और उनके परिवार के लोग नल की टोंटी भी खोल ले गए। उसके बाद भाजपा के इकोसिस्टम ने अखिलेश के लिए ‘टोंटी चोर’ का जुमला प्रचारित किया। सोशल मीडिया में आज भी यह बात प्रचारित होती है। हालांकि इसका कोई आधार नहीं है। बंगले का रखरखाव करने वाली एजेंसी की ओर से आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है और न कोई शिकाय़त दर्ज की गई लेकिन अखिलेश के बारे में एक नकारात्मक धारणा बना दी गई। इस बात को लेकर सपा के प्रवक्ता कई बार टेलीविजन चैनलों पर भाजपा प्रवक्ताओं और एंकर्स से लड़ चुके हैं।
अब यही बात फिर से ‘न्यूज 24’ के एक प्रोग्राम में दोहराई गई। हालांकि एंकर ने कुछ नहीं कहा लेकिन उसने अखिलेश यादव के बारे में पूछा तो दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ‘टोंटी चोर’ का जुमला बोला। इसका कोई प्रतिवाद एंकर ने नहीं किया। अखिलेश और उनकी पार्टी इस बात से बहुत नाराज है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन की पार्टियों ने कई एंकर्स की एक सूची जारी की थी और कहा था कि इनके कार्यक्रम में कोई विपक्षी नेता नहीं जाएगा और न कोई इंटरव्यू देगा। हालांकि कांग्रेस के नेताओं ने जल्दी ही इसका उल्लंघन शुरू कर दिया। पर कम से दो मीडिया समूहों को लेकर समाजवादी नेता गंभीर हैं। ध्यान रहे कोई दो दशक पहले बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती के बारे में भी इस अखबार ने आपत्तिजनक टिप्पणी छापी थी, जिसके बाद बसपा नेताओं ने इस अखबार के खिलाफ हल्ला बोल अभियान चलाया था। बहरहाल, अखिलेश यादव ने जो स्टैंड लिया है उसके असर के बारे में जानने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। लेकिन इतना जरूर है कि इससे मीडिया समूहों को एक मैसेज जाएगा।