कांग्रेस के बाद तेजस्वी यादव ने अपने दूसरे सहयोही वीआईपी के नेता मुकेश सहनी को सीटों के मामले में हैसियत दिखाई तो मुकेश सहनी ने भी एक दांव चल दिया। ध्यान रहे मुकेश सहनी को वैसे ही गिनती की सीटें मिली हैं, जिनमें एक सीट सुगौली पर पहले ही उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया। एक सीट बाबूबरही पर राजद ने उनके उम्मीदवार का नाम वापस कराया। इसके बाद दो सीटों पर दोस्ताना लड़ाई हो रही थी, जिसमें से सहनी की सबसे प्रतिष्ठा वाली गौराबौड़ाम सीट भी राजद ने छीन ली है। इस सीट पर मुकेश सहनी ने अपने भाई और पार्टी के अध्यक्ष संतोष सहनी को चुनाव लड़वाया था। सबसे पहले वे इसी सीट पर नामांकन कराने गए थे। लेकिन पहले ही राजद ने यह सीट अफजल अली को दे दी थी। इसके बाद लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव दिखावा करते रहे कि वे अफजल अली का नाम वापस करा रहे हैं। लेकिन उन्होंने नाम वापस नहीं लिया। फिर अदालत जाने की बात कही गई लेकिन कोई अदालत नहीं गया।
मंगलवार को प्रचार बंद होने तक दिखावा चलता रहा। दोपहर में तेजस्वी यादव ने मुकेश सहनी के साथ एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने गौराबौड़ाम के लोगों से ‘मेरे भाई संतोष सहनी’ को वोट देने की अपील की। लेकिन इसके चार घंटे बाद संतोष सहनी चुनाव मैदान से हट गए और राजद ने अपना समर्थन अफजल अली को दे दिया, जो पहले से लालटेन छाप पर चुनाव मैदान में थे। मुकेश सहनी को अपने को उप मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित करा चुके हैं। इसके अलावा उनको कुछ नहीं मिला है। पिछली बार भाजपा के साथ 11 सीटों पर लड़ कर वे चार सीट पर जीते थे। इस बार उन चार सीटों में से एक भी सीट मुकेश सहनी को नहीं मिली। तीन सीटें अलीनगर, बोचहां और साहिबगंज पहले ही राजद ने ले ली थी और अब गौराबौड़ाम सीट भी हाथ से निकल गई। तभी सहनी के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने भाजपा उम्मीदवार और पूर्व आईआरएस अधिकारी सुजीत सिंह को मजबूत करने के लिए अपने भाई को बैठा दिया। अब इसका मैसेज पूरे राज्य में होगा। अब शायद ही कही मल्लाह वोट राजद या ‘इंडिया’ ब्लॉक के किसी दल को मिलेगा। गौराबौड़ाम में अफजल अली को तो नहीं ही मिलेगा।


