भारतीय जनता पार्टी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बच्चों के एक कार्यक्रम में ज्ञान की गंगा बहाई है। उन्होंने बच्चों से पूछा कि सबसे पहला अंतरिक्ष यात्री कौन था? बच्चों ने यूरी गैगरिन का नाम लिया तो अनुराग ठाकुर ने उसे गलत साबित करते हुए कहा कि हनुमान जी पहले अंतरिक्ष यात्री थे। जाहिर है वे हनुमान जी के सूर्य को फल समझ कर निगल जाने की कथा के हवाले यह बात कह रहे थे। लेकिन सोचें, यह कैसी मूर्खतापूर्ण बात है! क्या भारत की धार्मिक और पौरोणिक कथाओं को इस संदर्भ में समझाया जा सकता है? यह तो अनुराग ठाकुर की समझ पर ही सवाल उठाता है। अगर भारत के धार्मिक आख्यानों को देखें तो हनुमान जी से पहले भी अनगिनत देवताओं के धरती पर आने और वापस स्वर्ग लोक जाने की कथाएं हैं। सारे हिंदू देवी देवता तो अंतरिक्ष यानी स्वर्ग में ही रहते हैं, फिर हनुमान जी का ही जिक्र क्यों? यह अलग बात है कि उनके अपने बच्चे दुनिया के किसी बड़े स्कूल या यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे होंगे, जहां उनको यही बताया जाएगा कि पहले अंतरिक्ष यात्री रूस के यूरी गैगरिन थे।
बहरहाल, भाजपा के नेताओं को पता नहीं यह बात समझ में आती है या नहीं कि वे इस तरह से अपने देवी देवताओं के चमत्कार को सामान्य अंतरिक्ष यात्री की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दे रहे हैं। अनुराग ठाकुर जो कह रहे हैं उसका मतलब यह भी होता है कि जैसे हनुमान जी थे वैसे ही यूरी गैगरिन या राकेश शर्मा या शुभांशु शुक्ला हैं! इसी तरह की बात कई साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कही थी। उन्होंने मुंबई में रिलायंस समूह के अस्पताल के उद्घाटन में कहा था कि दुनिया के पहले सर्जन भगवान शिव थे, जिन्होंने गणेश जी सिर्फ पर हाथी का सिर लगाया था। उनकी इस बात पर सारे डॉक्टर तालियां बजा रहे थे। सोचें, इससे भगवान शिव की महिमा बढ़ी या उनको सर्जरी करने वाला सामान्य डॉक्टर की श्रेणी में ला दिया गया! हिंदू मानस अपने देवी देवताओं कुछ भी करने में सक्षम मानता है। उनके चमत्कार पर यकीन करता है। लेकिन भाजपा के नेता उनको सामान्य अंतरिक्ष यात्री या किसी सामान्य सर्जन की श्रेणी में लाने पर तुले हुए हैं।