पता नहीं यह संयोग या कोई प्रयोग कि अचानक फिर से दिग्विजय सिंह की चर्चा शुरू हो गई और साथ ही कमलनाथ की भी चर्चा शुरू हो गई। मध्य प्रदेश की राजनीति में दोनों नेता बिल्कुल हाशिए में चले गए थे। विधानसभा चुनाव हारने के बाद कमलनाथ की कहीं भी चर्चा नहीं हो रही थी। यहां तक कहा जा रहा था कि वे भाजपा में जा सकते हैं। हालांकि वे भाजपा में नहीं गए। उनके बेटे नकुल नाथ के भी भाजपा में जाने की चर्चा थी। कुछ समय पहले उनके भांजे रतुल पुरी को केंद्रीय एजेंसियों की जांच से राहत मिली तब भी भाजपा में जाने की चर्चा हुई।
बहरहाल, पिछले दिनों दिग्विजय सिंह ने एक इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने मध्य प्रदेश की हार के लिए एक तरह से कमलनाथ को जिम्मेदार ठहाराया। उसके बाद कमलनाथ ने इसका जवाब दिया तो कहा कि उस समय कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को लग रहा था कि मुख्यमंत्री भले कमलनाथ हैं लेकिन सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं और इस वजह से सिंधिया नाराज हुए। इस तरह कमलनाथ ने कांग्रेस टूटने और सिंधिया के बाहर जाने के लिए दिग्विजय को जिम्मेदार ठहराया। इससे कुछ दिन पहले एक तस्वीर आई थी, जिसमें सिंधिया ने मंच से नीचे बैठे दिग्विजय सिंह के हाथ पकड़ कर उनको मंच पर बैठाया। सो, किसी न किसी तरह से चर्चा शुरू हो गई है। अगले साल उनका राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होना है और इस बार मध्य प्रदेश से कांग्रेस सिर्फ एक ही व्यक्ति को राज्यसभा भेज सकती है।