बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब अपने बारे में, अपनी सरकार के बारे में और आगे की राजनीति के बारे में फैसला करने की स्थिति में नहीं हैं। (nitish kumar)
राष्ट्रगान के समय उन्होंने जो आचरण किया और उससे पहले विधानसभा की कार्यवाही के दौरान उनकी जैसी भावभंगिमा दिखी, जैसे तेवर दिखे और उन्होंने जिस तरह की बातें उससे अब यह ढकी छिपी बात सामने आ गई है कि उनकी मानसिक अवस्था बहुत अच्छी नहीं है।
उनकी सरकार के बारे में भाजपा ने फैसले करना पहले शुरू कर दिया है। तभी पिछले दिनों सरकार में फेरबदल हुई तो सात मंत्री भाजपा के बनाए गए और कोईरी, कुर्मी जाति के ऐसे लोगों को भी मंत्री बनाया गया, जिन्हें नीतीश की चलती तो कभी मंत्री नहीं बनाया जाता।
जानकार सूत्रों का कहना है कि अब असली फैसला इस बात पर होना है कि नीतीश कुमार का क्या किया जाए? उनको मुख्यमंत्री बनाए रख कर साल के अंत में चुनाव लड़ा जाए या उनकी जगह भाजपा अपना मुख्यमंत्री बना कर चुनाव में जाए। (nitish kumar)
भाजपा किसी हाल में नीतीश के बेटे निशांत कुमार या जदयू के किसी अन्य नेता को मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार नहीं करेगी। 43 विधायक जीतने के बावजूद नीतीश इसलिए मुख्यमंत्री बनाए गए थे क्योंकि चुनाव उनके नाम पर लड़ा गया था।
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बहरहाल, इतिहास अपने को तमाशे की शक्ल में दोहराता दिख रहा है। भाजपा ने ही सन 2000 में नीतीश के बारे में फैसला किया था। बिहार विधानसभा के चुनाव के चुनाव में त्रिशंकु जनादेश मिला और राजद की सरकार नहीं बनी तो केंद्र से भाजपा ने रामविलास पासवान को सीएम बना कर भेजने का फैसला किया।
लेकिन वे राजी नहीं हुए तो नीतीश को भेजा गया और सात दिन के लिए मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2005 के फरवरी के चुनाव में पहले चरण के मतदान तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री दावेदार घोषित नहीं हुए थे। (nitish kumar)
लेकिन भाजपा के कराए एक सर्वेक्षण में यह अनुमान सामने आया कि अगर नीतीश को सीएम घोषित कर दिया जाता है तो दो से तीन फीसदी वोट का फायदा हो सकता है। जदयू के अंदर विरोध के बावजूद भाजपा ने नीतीश को सीएम का दावेदार घोषित किया।
तीन चुनावों में नीतीश बहुत ताकतवर रहे (nitish kumar)
उसके बाद के तीन चुनावों में नीतीश बहुत ताकतवर रहे और अपने फैसले उन्होंने खुद किए। लेकिन 2020 में जब उनको सिर्फ 43 सीटें मिलीं तो उनका फैसला भाजपा ने किया।
तब नीतीश का इतिहास त्रासदी के रूप में दोहराया गया और अब तमाशे के रूप में दोहराया जा रहा है। अमित शाह 20 मार्च को पटना के दौरे पर जाने वाले हैं। उस समय तक बहुत सारी चीजें स्पष्ट हो जाएंगी। (nitish kumar)
भाजपा की योजना यह है कि नीतीश कुमार और उनके आसपास के नेताओं व अधिकारियों के बीच सहमति बना कर नीतीश का इस्तीफा करा दिया जाए और उनकी सहमति से भाजपा के सम्राट चौधरी को मुख्यमंत्री बना दिया जाए।
वे लव कुश समीकरण के हैं और उनका लंबा राजनीतिक अनुभव है। उनके जरिए एनडीए के सामाजिक समीकरण को साधे आसान होगा। अगर मुख्यमंत्री नहीं बदला जाता है तो नीतीश को सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर रखा जाएगा और बिना उनके नाम का ऐलान किए एनडीए चुनाव लड़ेगा।
इस फॉर्मूले के तहत जदयू को सीटें कम दी जाएंगी। अगर ऐसा होता है तो इसमें काफी जोखिम होगा क्योंकि तब नीतीश के बनाए सामाजिक समीकरण को कायम रखना मुश्किल होगा। (nitish kumar)