राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम में बांग्लादेशियों और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान का अभियान चल रहा है। इसके अलावा देश के दूसरे हिस्सों में भी खास कर भाजपा शासित राज्यों में पुलिस यह अभियान चला रही है। कुछ राज्यों में बांग्लादेशी घुसपैठिए हिरासत में लिए गए और कुछ को निकाला भी गया। हालांकि यह संख्या सौ से भी कम है। लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे बांग्ला अस्मिता और बांग्ला भाषा के साथ जोड़ दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बांग्ला बोलने वालों को भाजपा शासित राज्यों मे परेशान किया जा रहा है। उनकी बात पश्चिम बंगाल में लोग सुन रहे हैं और मान भी रहे हैं क्योंकि पुलिस तो बांग्ला बोलने के आधार पर ही लोगों को रोक रही है।
ध्यान रहे भाजपा शासित राज्यों में, जहां बांग्ला बोलने वाले लोग रोके जा रहे हैं और उनकी जांच हो रही है वहां ज्यादातर के पास कोई न कोई पहचान पत्र होता है। ज्यादातर लोगों के पास आधार या राशन कार्ड होता है। पुलिस का दावा है कि ज्यादातर आधार कार्ड फर्जी होते हैं। पिछले दिनों बिहार से ही खबर आई थी कि सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाकों में एक सौ की आबादी पर 125 आधार बने हैं। यानी आबादी से 25 फीसदी ज्यादा आधार बने हैं। दावा किया जा रहा है कि यह फर्जी तरीके से, रिश्वत देकर या वोट बैंक की राजनीति के तहत विधायक व पार्षद द्वारा बनवाए गए हैं। बंगाल से बिहार तक बड़ी संख्या में घुसपैठियों के पास आधार होने की खबर है। तभी चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का अभियान चलाया तो आधार को मान्यता नहीं दी। अब बंगाल में भी यह अभियान चलेगा तो आधार मान्य नहीं रहेगा। उससे पहले ममता बनर्जी ने इसे बांग्ला अस्मिता का मुद्दा बना कर राजनीतिक लाभ लेने की तैयारी शुर कर दी है। ध्यान रहे पिछला चुनाव भी उन्होंने बांग्ला अस्मिता पर ही लड़ा था।