कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश को हर बात पर टिप्पणी करने और मीडिया में रहने का लत लग गई है। यह भी कहा जा रहा है कि वे मीडिया प्रभारी पवन खेड़ा और सोशल मीडिया प्रभारी सुप्रिया श्रीनेत की सक्रियता के कारण कुछ असुरक्षित से महसूस करते हैं और इसलिए हर बात पर बयान देते हैं।
कई बार वे बिना मतलब के या विवाद बढ़ाने वाले बयान भी देते हैं, जिनसे कांग्रेस के लोग ही दुखी रहते हैं। ऐसा ही एक बयान उन्होंने नीति आय़ोग को लेकर दिया। नीति आयोग की गवर्निंग कौंसिल की बैठक के बाद जयराम रमेश ने इसे ‘अयोग्य निकाय’ कहा। आयोग को अयोग्य बना कर ऐसा लगा, जैसे उन्होंने बहुत बड़ा वर्ड प्ले किया है या अनुप्रास बना दिया है।
जयराम रमेश का विवादित बयान फिर
बहरहाल, कांग्रेस के कई नेता इस बयान से नाराज हैं। कहा जा रहा है कि अगर नीति आयोग ‘अयोग्य निकाय’ है तो कांग्रेस के दो मुख्यमंत्री क्यों उसकी बैठक में शामिल हुए? गौरतलब है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू गवर्निंग कौंसिल की बैठक में शामिल हुए। कांग्रेस की भागीदारी वाली दो सरकारों के मुख्यमंत्री भी पहुंचे।
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी बैठक में हिस्सा लिया। बाद में स्टालिन प्रधानमंत्री मोदी से अलग से मिले। तो क्या इन चारों मुख्यमंत्रियों को पता नहीं है कि नीति आयोग ‘अयोग्य निकाय’ है? केंद्र सरकार पर सवाल उठाते उठाते रमेश अपनी ही पार्टी और सहयोगियों को भी कठघरे में खड़ा कर देते हैं।
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