nayaindia Modi Mangalsutra Remark मोदी के मंगलसूत्र राग से क्या चुनाव गरमाएगा?

मोदी के मंगलसूत्र राग से क्या चुनाव गरमाएगा?

Narendra Modi Article 370

मौसम बहुत गर्म हो गया है और अब यह चुनाव आयोग से लेकर सभी राजनीतिक दलों की चिंता है। लेकिन राजनीति नहीं गरमा रही और यह भी चुनाव आयोग और पार्टी की चिंता है। भारतीय जनता पार्टी सबसे ज्यादा चिंता में है। चुनाव कैसे गरमाया जाए? क्या किया जाए कि लोग मोदी के दिवाने हों और सड़कों पर मोदी, मोदी के नारे लगें? कैसे घरों में बैठे हिंदू मतदाताओं को बाहर निकाला जाए और इन सबसे बड़ी चिंता यह है कि कैसे वह घर से निकले तो हिंदू की तरह वोट करे? भाजपा की यह बड़ी चिंता है कि मतदाता जाति को तरजीह दे रहे हैं। वे हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और मोदी के मजबूत नेतृत्व की बजाय अपने सांसद उम्मीदवार का चेहरा देख रहे हैं। उससे कामकाज का हिसाब मांग रहे हैं और या फिर अपनी जाति के हिसाब से मतदान कर रहे हैं। 

तभी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की नजर महिलाओं के मंगलसूत्र पर है, स्त्री धन पर है, जिसे वह लोगों से लेकर मुसलमानों में बांट देगी तब अचानक सोशल मीडिया में सक्रियता बढ़ गई। भाजपा का समर्थन करने वाले कई वरिष्ठ पत्रकार किस्म के लोगों ने भी लिखना शुरू कर दिया कि मोदीजी ने चुनाव गरमा दिया। सवाल है कि इस तरह की बातों से चुनाव गरमाने की जरुरत अभी क्यों पड़ी? कांग्रेस का घोषणापत्र तो पांच अप्रैल को ही आ गया था और उसके काफी दिन बाद भाजपा का घोषणापत्र आया। लेकिन अब जाकर जबकि पहले चरण में 102 सीटों यानी करीब 20 फीसदी सीटों पर मतदान हो गया है तब प्रधानमंत्री को समझ में आया कि कांग्रेस ने तो घोषणापत्र में ऐसी बातें कही हैं या कांग्रेस ने जो कहा है कि उसकी इस तरह से व्याख्या की जा सकती है। जाहिर है कि पहले चरण के कम मतदान और जमीनी स्तर की फीडबैक के बाद प्रधानमंत्री इस रास्ते पर लौटे हैं। 

असल में पहले चरण में सिर्फ मतदान कम होना भाजपा के लिए चिंता की बात नहीं थी, बल्कि जाति के आधार पर लोगों का वोट डालने ज्यादा चिंता की बात थी। हिंदी पट्टी के राज्यों में खास कर बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में लोगों ने मोदी नाम पर वोट डालने की बजाय उम्मीदवारों से सवाल पूछे। उनके कामकाज का ब्योरा मांगा। बिहार में भाजपा ने कुशवाहा समाज के सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है और वे राज्य सरकार में उप मुख्यमंत्री भी हैं इसके बावजूद पहले चरण की चार में से कम से कम दो सीटों पर कुशवाहा वोट राजद के साथ गया। नवादा और औरंगाबाद सीट पर राजद ने कुशवाहा उम्मीदवार उतारा था और उनको एकमुश्त अपनी जाति का वोट मिला। पूरे प्रदेश में राजद गठबंधन ने सात कुशवाहा उम्मीदवार उतारे हैं। लालू प्रसाद ने इस बार भूमिहार, राजपूत उम्मीदवार भी दिए हैं। तभी भाजपा की चिंता बढ़ी है। राजस्थान में मतदाताओं ने हिंदुत्व की बजाय जाट, गुर्जर और मीणा, राजपूत के नाम पर वोट दिया। मतदाताओं के इस रुख ने भाजपा की चिंता बढ़ाई है तभी प्रधानमंत्री ने सीधे यह भय दिखाया कि कांग्रेस आई तो आम लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों में बांट देगी। इस तरह से कांग्रेस का भय दिखाना भाजपा की चिंता को जाहिर करता है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें