केरल में कांग्रेस पार्टी चौतरफा हमले में फंसी है। वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया यानी डब्लुपीआई ने केरल की नीलांबुर सीट पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ उम्मीदवार के समर्थन का ऐलान किया है। इसे लेकर विवाद शुरू हो गया है। सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस पार्टी चुनाव जीतने के लिए सांप्रदायिक संगठनों की मदद ले रही है। सीपीएम के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने कहा है कि डब्लुपीआई कट्टरपंथी सांप्रदायिक संगठन जमात ए इस्लामी की राजनीतिक शाखा थी और उसका समर्थन लेकर कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि उसको चुनाव जीतने के लिए किसी तरह का गठजोड़ करने से परहेज नहीं है।
इतना ही गोविंदन ने कांग्रेस को जमात ए इस्लामी कांग्रेस कहा है और साथ ही यह भी कहा है कि कांग्रेस ने नीलांबूर सीट जीतने के लिए भाजपा का भी समर्थन लिया है। दूसरी ओर कांग्रेस विधायक दल के नेता वीडी सतीशन ने कहा है कि 2009 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद 2011 के विधानसभा चुनाव में सीपीएम ने जमात ए इस्लामी की मदद ली थी। अब सवाल है कि सीपीएम ने डेढ़ दशक पहले उसका समर्थन लिया था लेकिन बाद में उससे दूरी बना ली थी तो क्या इस आधार पर कांग्रेस जमात ए इस्लामी का समर्थन लेने को जायज ठहरा सकती है? पता नहीं डब्लुपीआई के समर्थन से कांग्रेस उपचुनाव में कितना फायदा होगा लेकिन अगर इससे यह धारणा बनी कि कांग्रेस मुस्लिम वोट के लिए कट्टरपंथियों का समर्थन ले रही है तो अगले साल के विधानसभा चुनाव में और देश के दूसरे हिस्सों में उसकी संभावना पर असर होगा।