भारत की राजनीति में चाचा-भतीजे, भाई-बहन, भाई-भाई आदि के विवाद तो होते रहे हैं लेकिन पिता-पुत्र के विवाद की मिसाल शायद ही मिले। तमिलनाडु में इसकी मिसाल मिल रही है। पट्टाली मक्कल काटची यानी पीएमके पार्टी के संस्थापक के रामदॉस और उनके बेटे अंबुमणि रामदॉस के बीच घमासान छिड़ गया है।
हालांकि कई जानकार इसे नूरा कुश्ती बता रहे हैं लेकिन पहली नजर में ऐसा दिख रहा है कि बेटे की राजनीतिक राय पिता को पसंद नहीं आई है उन्होंने बेटे को हटा कर पार्टी फिर से अपने नियंत्रण में ले ले ही। ध्यान रहे पीएमके वनियार जाति की पार्टी है और इसके चार विधायक हैं। राज्य की राजनीति में पार्टी एनडीए के साथ है। वैसे पार्टी पहले यूपीए के साथ भी रह चुकी है।
अंबुमणि और एस रामदॉस का नेतृत्व विवाद
मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे अंबुमणि रामदॉस अभी राज्यसभा सांसद हैं और पीएमके पार्टी के अध्यक्ष थे। लेकिन अचानक उनके पिता और 87 साल के एस रामदॉस ने उनको हटा दिया और खुद अध्यक्ष बन गए। बताया जा रहा है कि एस रामदॉस चाहते हैं कि वे तालमेल की बात अन्ना डीएमके से करें और उसके नेता ई पलानीस्वामी के साथ गठबंधन करें।
दूसरी ओर अंबुमणि रामदॉस के बारे में कहा जा रहा है कि वे भाजपा के साथ तालमेल रखना चाहते हैं। उनका कहना है कि भाजपा राष्ट्रीय पार्टी है और केंद्र में उसकी सरकार है तो उसके साथ तालमेल रखना बेहतर होगा। इस विवाद में पिता ने अब पुत्र को किनारे कर दिया है। देखना दिलचस्प है कि तालमेल का फैसला कैसे होता है और गठबंधन में पीएमके को कितनी सीटें मिलती हैं। सीटों का सस्पेंस इसलिए है क्योंकि इस बार भाजपा ज्यादा सीटें लेगी।
Also Read: यूपी में नया सामाजिक समीकरण
Pic Credit: ANI