यह बड़ा सवाल है कि राहुल गांधी ने गुरुवार, 18 सितंबर की प्रेस कॉन्फ्रेंस किसलिए रखी थी? क्या वे ‘हाइड्रोजन बम’ फोड़ने वाले थे, जिसकी उन्होंने कई दिन पहले चेतावनी दी थी या जो किसी वही करने वाले थे? राहुल ने खुद कहा कि यह हाइड्रोजन बम की तैयारी है। उसमें समय लगेगा। कांग्रेस के नेता भी यही कह रहे हैं कि राहुल गांधी को कर्नाटक की आलंद और महाराष्ट्र की रजुरा सीट पर हुई गड़बड़ी के बारे में जानकारी देनी थी। लेकिन असल में ऐसा नहीं था। असल में राहुल गांधी अपना कथित ‘हाइड्रोजन बम’ ही फोड़ने वाले थे लेकिन ऐन मौके पर उसे टाला गया। तभी यह भी गफलत हुई कि प्रेस कॉन्फ्रेंस 10 बजे होगी या 11 बजे। पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस 10 बजे होने वाली थी और उसके बाद राहुल गांधी को गुजरात जाना था। लेकिन बाद में इसका समय एक घंटे आगे किया गया और प्रेस कॉन्फ्रेंस 11 बजे हुई और संभवतः इस वजह से उनका गुजरात जाने का कार्यक्रम टला। हालांकि पार्टी की ओर से कहा गया कि मौसम खराब होने की वजह से विमान उड़ान नहीं भर सकता था इसलिए कार्यक्रम टला। परंतु गुरुवार को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से किसी उड़ान के मौसम की वजह से देरी होने या रद्द होने की खबर नहीं है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस किसी और मुद्दे पर होनी थी लेकिन ऐन मौके पर इसमें बदलाव होने का एक प्रमाण यह भी है कि राहुल गांधी ने जिस आलंद सीट के बारे में जानकारी दी वह ढाई साल पुराना मामला है और उसमें राहुल के कहने के लिए कुछ भी नया नहीं था। इसमें न कुछ नया था और न बहुत गंभीर था। अगर यहल बहुत गंभीर मामला होता तो राहुल गांधी सात अगस्त की अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे को भी उठाते क्योंकि उस दिन वे कर्नाटक की महादेवपुरा सीट के बारे में बता रहे थे। आलंद भी कर्नाटक का ही एक विधानसभा क्षेत्र है इसलिए दोनों के बारे में एक साथ कहा जा सकता था। उस दिन राहुल ने इसका जिक्र नहीं किया और रजुरा सीट का भी जिक्र नहीं किया।
राहुल गांधी की टीम को भी पता था कि आलंद में छह हजार से कुछ ज्यादा फॉर्म सात जमा करके नाम कटवाने की कोशिश हुई थी लेकिन कामयाबी नहीं मिली थी और बीएलओ के फिजिकल वेरिफिकेशन के बाद सिर्फ 24 नाम कटे थे। खुद चुनाव आयोग ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसकी जांच कर्नाटक सीआईडी कर रही है। कुछ दिन पहले ही मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया था कि 24 नाम कटे थे और 5,994 आवेदन गलत मिले थे, जिसकी जांच सीआईडी कर रही है। सीआईडी की जांच में पता चला था कि जिन नंबरों का इस्तेमाल किया गया था वह महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के लोगों का था, जिनको इस बारे में कुछ भी पता नहीं था। ये सारी बातें पब्लिक डोमेन में थीं। तभी इतनी हाइप बना कर ऐसी प्रेस कॉन्फ्रेंस तो नहीं होनी थी। ध्यान रहे कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले सोशल मीडिया में पेटी बांध लेने की अपील की थी। कहा जा रहा है कि कथित ‘हाइड्रोजन बम’ को लेकर राहुल की टीम आश्वस्त नहीं है। सारे आंकड़े बार बार चेक किए जा रहे हैं। किसी को पता नहीं है कि राहुल गांधी किस सीट की गड़बड़ी बताएंगे। लेकिन अनुमान लगाया जा रहा कि वह सीट वाराणसी की हो सकती है। लेकिन वहां समस्या यह ह कि अंतिम मतदाता सूची मिलने के बाद किसी भी पार्टी के किसी नेता या पदाधिकारी ने किसी सीट पर किसी भी नाम को लेकर आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। तभी मामले में देरी हो रही है।