Jammu kashmir politics

  • आज़ाद हो गए कश्मीर के औवेसी!

    17 अप्रैल को आज़ाद की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी (डीपीएपी) ने तमाम संशय दूर करते हुए अनंतनाग से मोहम्मद सलीम पर्रे को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। मतलब साफ कि गुलाम नबी आज़ाद इस बार का लोकसभा चुनाव नही लड़ रहे हैं। गुलाम नबी आज़ाद ने अनंतनाग से चुनाव न लड़ने का निर्णय लेकर भले ही भविष्य में होने वाली फजीहत से अपने आप को तो बचाने की कोशिश की हो मगर यह साफ हो गया है कि वे एक आधारविहिन नेता हैं। मौजूदा भारतीय राजनीति में जितनी जल्दी गुलाम नबी आज़ाद की विशाल छवि आम लोगों के सामने...

  • भाजपा की ओर बढ़ रहा अब्दुल्ला परिवार

    जम्मू कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला का परिवार का क्या फिर से भाजपा के करीब जा रहा है? यह लाख टके का सवाल है, जिसका जवाब अभी तुरंत नहीं मिलेगा लेकिन नेशनल कांफ्रेंस की राजनीति को देखने के बाद लग रहा है कि भाजपा से उसकी दूरी कम हुई है। गौरतलब है कि फारूक और उमर अब्दुल्ला ने ही गुपकर एलायंस की पहल की थी और भाजपा विरोधी पार्टियों को एक मंच पर इकट्ठा किया था। Jammu Kashmir politics लेकिन अब नेशनल कांफ्रेंस की उससे दूर हो गई है। उसने विपक्षी गठबंधन को एक तरह से तोड़ दिया है। नेशनल कांफ्रेंस...

  • साल भर में ही अकेले, अलग-थलग आज़ाद

    किसी समय देश की राजनीति में बेहद ताकतवर माने जाने वाले गुलाम नबी आज़ाद एक ही वर्ष में गुमनामी में खोने लगे हैं।... आज़ाद कभी भी ताकतवर ज़मीनी नेता नही थे। लगातार दिल्ली में सत्ता में रहने के कारण ताकतवर नेता का लबादा तो उन्होंने ओढ़े रखा था मगर वास्तविकता में ज़मीनी राजनीति से उनका कभी भी कोई लेना-देना नहीं रहा। गलती कांग्रेस की भी रही है कि उसने खुद आज़ाद का कद इतना बड़ा बना दिया था कि एक समय दिल्ली में यह भ्रम सभी को हो चुका था कि आज़ाद बहुत ही ताकतवर नेता हैं।...बड़े-बड़े बुद्धिजीवियों व पत्रकारों,...