अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान के बाद अब बांग्लादेश को भी मदद देने का ऐलान किया है। पाकिस्तान को 1.3 अरब डॉलर यानी 11 हजार करोड़ रुपए से कुछ ज्यादा की मदद की घोषणा पिछले दिनों हुई। भारत ने इसका विरोध किया था। 1.3 अरब डॉलर की मदद के अलावा पहले से तय एक अरब डॉलर की मदद पाकिस्तान को मिल गई है।
यानी कुल मिला कर उसको 2.3 अरब डॉलर की मदद मिल रही है। उसके बाद बांग्लादेश को 1.3 अरब डॉलर यानी 11 हजार करोड़ रुपए से कुछ ज्यादा की मदद देने का फैसला हुआ है। सोचें, बांग्लादेश में अभी कोई सरकार नहीं है। हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद एक अंतरिम सरकार काम कर रही है, जिसके पीछे कोई राजनीतिक या लोकप्रिय समर्थन नहीं है।
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आईएमएफ की बांग्लादेश मदद योजना
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों यानी हिंदुओं के ऊपर बेइंतहां जुल्म हो रहे हैं लेकिन आईएमएफ और अमेरिका को यह नहीं दिख रहा है। अमेरिका ने पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों को कर्ज दिलाने में भूमिका निभाई। उसको भारत से ज्यादा इस बात की चिंता है कि कहीं ये दोनों देश पूरी तरह चीन के साथ न चले जाएं। इसलिए उसने दोनों को मदद देकर उलझाए रखा है। कहा जा रहा है कि बांग्लादेश को मदद के बदले अमेरिका म्यांमार तक एक कॉरिडोर बनाने जा रहा है।
इसे मानवीय मदद के लिए बनाए जाने का दावा किया जा रहा है लेकिन असल में यह म्यांमार के सैन्य शासन से लड़ रहे राखाइन की आराकान आर्मी को मदद देने के लिए बनाया जा रहा है। इससे भारत की सीमा पर संघर्ष बढ़ेगा, जिसका भारत को बड़ा नुकसान होगा। ध्यान रहे आराकान आर्मी से पीड़ित होकर ही रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन हो रहा है। संघर्ष बढ़ने पर वह पलायन बढ़ेगा और पूर्वोत्तर से बंगाल की खाड़ी तक पहुंचने का भारत का रूट भी प्रभावित होगा।