क्या जाति सर्वे का चक्रव्यूह राजनीतिक आत्म-हानि का रास्ता साबित होगा? ऐसे सवाल सिर्फ कर्नाटक में ही नहीं हैं। फिर सबसे बड़ा प्रश्न भी देर-सबेर घेरेगा कि आरक्षण के अलावा पिछड़ों के सशक्तीकरण का क्या कार्यक्रम कांग्रेस के पास है?
अपने पुनर्जीवन की बेसब्री में कांग्रेस ऐसे चक्रव्यूह में गहरे उतरती जा रही है, जहां से निकलने का रास्ता ढूंढना आसान नहीं होगा। पार्टी को “सामाजिक न्याय” का जरिया बनाने के राहुल गांधी के उत्साह ने कर्नाटक में कांग्रेस के सामने गहरी चुनौती खड़ी कर दी है। वहां की कांग्रेस सरकार ने जातीय सर्वे कराया, जिसके आंकड़ों को सार्वजनिक करने को लेकर पार्टी में अंदरूनी मतभेद गहरा गए।
अब आंकड़े तो जारी हो गए हैं, लेकिन उनके आधार पर नीति बनाने का सवाल पर पार्टी की खाई को और सामने ले आया है। ओबीसी समुदाय से आए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया रिपोर्ट के आधार पर तुरंत आरक्षण बढ़ाने के पैरोकार हैं, जबकि लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों से आए पार्टी नेता उसकी प्रामाणिकता पर ही सवाल उठा रहे हैं।
कर्नाटका आरक्षण सर्वे कांग्रेस और भाजपा के बीच विवाद
सर्वे के मुताबिक राज्य पिछड़े वर्गों की कुल आबादी 69.60 प्रतिशत है, जबकि अभी उन्हें 51 फीसदी आरक्षण मिला हुआ है। रिपोर्ट पर 17 अप्रैल को कैबिनेट विचार करेगी। उसके पहले भारी उद्योग मंत्री एम.बी. पाटिल ने आरोप लगाया है कि सर्वे में लिंगायत समुदाय की जनसंख्या कम गिनी गई है। वोक्कालिगा समुदाय से आए और आरंभ से ही इस सर्वे के प्रति एतराज भाव रखने वाले दिग्गज नेता डी.के. शिवकुमार ने कहा है कि सभी नेताओं को अपने समुदाय के हितों की रक्षा करने का अधिकार है। उप-मुख्यमंत्री शिवकुमार कहा है कि सरकार इस बारे में जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेगी।
उधर भाजपा ने नए सिरे से सर्वे की मांग उठा दी है। संकेत साफ हैं। इस प्रश्न पर लिंगायत, वोक्कालिगा, ओबीसी आदि समुदायों दरार पड़ रही है। सर्वे के मुताबिक राज्य में मुस्लिम आबादी 12.56 प्रतिशत है, जबकि अभी मुस्लिम ओबीसी को आठ फीसदी आरक्षण हासिल है। भाजपा की नजर इसे मुद्दा बना कर हिंदू समुदाय के ध्रुवीकरण पर है। क्या कांग्रेस इन सभी दरारों को पाटने की चुनौती झेल पाएगी? या ये चक्रव्यूह उसके लिए सियासी आत्म-हानि का जाल साबित होगा? और ऐसे सवाल सिर्फ इसी राज्य में नहीं हैं। फिर सबसे बड़ा प्रश्न भी देर-सबेर घेरेगा कि आरक्षण के अलावा पिछड़ों के सशक्तीकरण का क्या कार्यक्रम कांग्रेस के पास है?
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