फिलहाल ऐसा लगता है कि रूस हो या ईरान या फिर चीन- टकराव के हर बिंदु पर ट्रंप को निराशा हाथ लग रही है। ऐसा शायद इसलिए है कि दुनिया को दबाव से चलाने का अमेरिकी ट्रंप कार्ड धार खो चुका है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अचानक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर सवा घंटे तक बातचीत की। मकसद यूक्रेन पर रूस के संभावित भीषण हमलों को रोकना था। बीते शनिवार की रात यूक्रेन ने रूस रणनीतिक ठिकानों जोरदार हमले किए। उसके बाद से चर्चा है कि रूस जवाबी हमलों की तैयारी में है। इन हालात ने ट्रंप प्रशासन की पहल पर चल रही शांति वार्ता को बेमतलब बना दिया है। बुधवार को ट्रंप से बातचीत के पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेन्स्की की पुतिन से सीधी वार्ता की पेशकश के बारे में पूछे जाने पर रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि जब ‘यूक्रेन ने आतंकवाद का रास्ता पकड़ लिया है, तो अब बातचीत करने के लिए कुछ नहीं बचा।’
ट्रंप से बातचीत में भी उनका शायद यही लहजा रहा। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया- ‘यह अच्छी बातचीत थी, लेकिन इससे तुरंत शांति की संभावना नहीं बन सकी। पुतिन ने कहा, और जोरदार ढंग से कहा, कि उन्हें हालिया हमलों का जवाब देना ही होगा।’ तो ट्रंप ने पुतिन से ईरान से चल रही परमाणु वार्ता में भूमिका निभाने की गुजारिश कर डाली। इसके पहले ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह खोमेनई अपने सोशल मीडिया पोस्ट में स्पष्ट कर चुके थे कि किसी भी सूरत में ईरान यूरेनियम के संवर्धन का काम नहीं रोकेगा। तो अब ट्रंप ने ईरान को मनाने की उम्मीद पुतिन से जोड़ी है।
उधर चीन के साथ व्यापार को संभालने की ट्रंप की मंशा भी पथरीली जमीन से टकरा गई लगती है। ट्रंप ने यह कहते हुए भी कि वे चीन राष्ट्रपति शी जिनपिंग को बहुत पसंद करते हैं, मंगलवार को ये रहस्यमय टिप्पणी की- ‘शी बहुत सख्त हैं और उनसे डील करना बहुत कठिन है।’ इसके पहले अमेरिकी मीडिया में जोरदार चर्चा थी कि ट्रंप और शी के बीच शुक्रवार को वार्ता होने वाली है। तो फिलहाल ऐसा लगता है कि टकराव के हर बिंदु पर ट्रंप को निराशा हाथ लग रही है। ऐसा शायद इसलिए है कि दुनिया को दबाव से चलाने का अमेरिकी ट्रंप कार्ड अब धार खो चुका है।