नई दिल्ली। पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा निरस्त करने और उनकी पहचान करके उनको देश से निकालने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। केंद्र सरकार के इस फैसले पर अमल कराने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग की है। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा कि वे अपने अपने राज्यों में पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान करें और उन्हें वापस भेजें। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को एक और अहम बैठक की, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर और जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल भी शामिल हुए। बैठक के बाद पाटिल ने बताया कि सिंधु जल संधि रद्द करने का फैसला तीन चरण में लागू होगा और पाकिस्तान को एक बूंद पानी नहीं मिलेगा।
केंद्र सरकार के फैसले के बाद राज्यों ने पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान करके उनको निकालने का सिलसिला शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में 15 सौ पाकिस्तानी लोगों की पहचान की गई है। मेरठ, सहारनपुर और आगरा से पाकिस्तानियों को पहचान कर वापस भेजना शुरू कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक यानी डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि अभी तक यह साफ नहीं है कि पाकिस्तानी हिंदू यहां पर आए हैं, उनका क्या किया जाए। यही कारण है कि अभी पाकिस्तानी मुस्लिमों को भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
उधर जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा है कि वे कभी भी सिंधु जल समझौते के पक्ष में नहीं रहे। उनका कहना है कि यह समझौता जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए सबसे गलत दस्तावेज है। उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में कहा, ‘भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। जहां तक जम्मू कश्मीर का सवाल है, हम कभी भी सिंधु जल समझौते के पक्ष में नहीं रहे हैं। हमारा हमेशा से मानना रहा है कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे गलत दस्तावेज है’।
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