नई दिल्ली। भारत और चीन की सीमा पर बढ़ रहे तनाव और चीनी सैनिकों की बढ़ती तैनाती को देखते हुए भारत सरकार ने भी निगरानी बढ़ाने और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का फैसला किया है। केंद्र सरकार ने इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस यानी आईटीबीपी की सात नई बटालियन बनाने और साढ़े नौ हजार जवानों को शामिल करने का फैसला किया है। इसके लिए एक बटालियन मुख्यालय भी बनाया जाएगा। साथ ही केंद्र सरकार ने सीमा पर के गांवों में बुनियादी ढांचा मजबूत किया जाएगा।
गौतलब है कि लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश के तवांग में हाल के दिनों में वास्तविक नियंत्रण रेखा, एलएसी पर भारत और चीन के सैनिक कई बार आमने सामने आए और उनके झड़प भी हुई। इस बीच यह भी खबर है कि सीमा के दूसरी तरफ चीन लगातार बुनियादी ढांचा मजबूत कर रहा है। तभी केंद्र सरकार ने आईटीबीपी के जवानों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसका फैसला किया गया। ध्यान रहे भारत और चीन की सीमा पर सुरक्षा और निगरानी की पहली कतार आईटीबीपी की ही होत है।
बहरहाल, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि आईटीबीपी के चीन सीमा की निगरानी के लिए सात नई बटालियन बनाई जाएगी। इसके साथ ही एक ऑपरेशनल बेस बनाया जाएगा, जिसमें कि नौ हजार चार सौ जवान और तैनात होंगे। सात नई बटालियनों के गठन के साथ वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को भी मंजूरी मिली है। इसके तहत देश की उत्तरी सीमाओं पर बसे गांवों में बुनियादी ढांचा विकसित किया जाएगा। इसके लिए 48 सौ करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। अनुराग ठाकुर ने कहा कि लद्दाख, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के कुल 19 जिलों के 2,966 गावों में सड़क और अन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाएगा।
बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सिंकुलना टनल के निर्माण को भी मंजूरी दी गई है। इससे लद्दाख के लिए ऑल वेदर रोड कनेक्टिविटी मिल जाएगी। इसकी लंबाई 4.8 किलोमीटर होगी और 16 सौ करोड़ रुपए खर्च होंगे। इससे सैन्य बलों की जमीनी मूवमेंट बढ़ेगी। कैबिनेट के अन्य फैसलों की बात करें तो सरकार अगले पांच साल में दो लाख अनकवर्ड पंचायतों में प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटी बनाने की मंजूरी दी है।