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08-07-2025 Vol 19

फील्ड मार्शल मुनीर के मायने!

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ईश्वर करें मैं गलत साबित होऊं! लेकिन झूठ के अपने महासागर में मेरा यह अनुमान नोट रखें कि पाकिस्तान अब पूरी तरह उन्मादी, आतंकी हो गया है। पूरा पाकिस्तान अब सेना व आईएसआई के कश्मीर एजेंडे के अधीन है। ऐसा 2031 तक फील्ड मार्शल मुनीर के सेना की कमान संभाले रहने तक रहेगा। भारत को पाकिस्तान से लड़ाई के लिए और कश्मीर में लगातार आतंकी हमलों के लिए अब चौबीसों घंटे तैयार रहना चाहिए। ढाई दिन की एक सैनिक जोर आजमाइश में जनरल मुनीर का फील्ड मार्शल बनना बहुत गंभीर और मायने वाली बात है।

रॉयटर्स की 20 मई की रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर को ‘फील्ड मार्शल’ बनाने का निर्णय इस प्रस्ताव के साथ हुआ कि उन्हें यह पदोन्नति “उस रणनीतिक सूझबूझ और निर्भीक नेतृत्व के सम्मान में दी गई है, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की और दुश्मन को निर्णायक रूप से पराजित किया”।

साथ ही, कैबिनेट ने वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल ज़हीर अहमद बाबर सिधू की सेवा अवधि समाप्त होने के बाद उसके विस्तार का भी निर्णय किया है। मुनीर इस नए प्रतीकात्मक दर्जे के साथ सेना प्रमुख बने रहेंगे। ध्यान रहे उनका कार्यकाल 2026 तक है। मगर तय मानें कि उन्हे आगे पांच साल का सेवा विस्तार मिलेगा। वे 2031 तक पाकिस्तानी सेना प्रमुख बने रहेंगे।

और मुनीर वही हैं, जिन्होंने पहलगाम पर आतंकी हमले से पहले हिंदू और मुस्लिम के अलग अलग होने की लंबी थीसिस के साथ कश्मीर के मसले में, पाकिस्तान को अपने को झोंके रखने का भाषण दिया था। मुनीर वह हैं जो आईएसआई के प्रमुख भी थे। जिन्होंने इमरान खान को बरखास्त कर जेल में डलवाया।

फील्ड मार्शल मुनीर की नई चाल

समझ सकते हैं कि मुनीर के सबसे कटु घरेलू आलोचक जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान हैं। मगर उन्होंने भी हालिया भारत-पाक संघर्ष के बाद सेना को बधाई देते हुए एक्स पर लिखा कि “यह मेरा देश है, मेरी फौज है,”…“मैं पाकिस्तान एयरफोर्स और समस्त सैन्य बलों को उनके अनुशासन और विलक्षण प्रदर्शन के लिए सलाम करता हूं”।

सोचें, इमरान खान को जेल में डालने के बाद उनके समर्थकों ने सैनिक छावनियों पर हमले किए थे। लेकिन सात से 10 मई की भारत-पाकिस्तान की सैनिक टकराहट से पाकिस्तान की मनोदशा में दिन-रात का इतना फर्क आया। जनरल मुनीर एक कट्टर इस्लामी सेनापति के रूप में पाकिस्तानियों के दिल-दिमाग में छा गए हैं। गैलप पाकिस्तान द्वारा भारत-पाक संघर्ष के बाद हुए एक सर्वेक्षण में 93 प्रतिशत लोगों का जवाब था कि उनकी सेना के प्रति धारणा सुधरी है।

इसलिए पाकिस्तान में अब वही होगा जो मुनीर और उनकी सेना, आईएसआई चाहेगी। यह तो सीजफायर से पहले भी अमेरिका सहित सभी को मालूम हो गया था कि सेना प्रमुख मुनीर से ही बात करनी होगी। अब आगे वे बतौर फील्ड मार्शल वह सब करेंगे, जिससे कश्मीर में अशांति बने और भारत से पंगा बढ़े। पाकिस्तानी सेना के अभी तक के सभी आर्मी चीफ में मुनीर सर्वाधिक खांटी कट्टरपंथी हैं।

कुरान को कठंस्थ याकि हिफ्ज किया है। उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर बार-बार कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच का संघर्ष भौगोलिक नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक है। और कश्मीर पर फोकस बनाए रखना होगा। उन्होंने ही जवाबी कार्रवाई का नाम “बुनयान उल मरसूस” दिया। यह कुरान की एक आयत पर आधारित “लौह प्राचीर” के भाव वाला शब्द है।

इसलिए पाकिस्तान की नई मनोदशा और सन् 2031 तक फील्ड मार्शल मुनीर की कमान पर अब भारत के सामरिक-सुरक्षा तंत्र का पूरा फोकस बना होना चाहिए। जनरल मुनीर आतंकियों के आंका नहीं हैं, बल्कि वे आंतकियों के फील्ड मार्शल के रूप में काम करते हुए होंगे।

यह नई चुनौती है, जिसकी हम झूठ के अपने कुंए में अनदेखी करेंगे। और ऐसा होना भविष्य को घातक बनाना होगा।

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Pic Credit: ANI

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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