कहने को दुनिया के दौरे पर गए भारतीय डेलिगेशन के सदस्यों ने लौट कर कहा है कि दुनिया के सारे देश भारत के साथ हैं। वे आतंकवाद की लड़ाई में भारत का समर्थन करते हैं। पर क्या किसी देश ने पाकिस्तान का नाम लेकर उसकी आलोचना की? न भारत की इस बात को अपने मुंह से कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्टरी है। हां, यह जरूर है कि सभी देशों ने आतंकवाद पर चिंता जताई और उसके खिलाफ साझा लड़ाई पर सहमति दी। लेकिन यह जुमला तो दशकों से वैश्विक हैं। आतंकवाद के खिलाफ उनकी साझा लड़ाई बिल्कुल उसी तरह से है, जैसे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उनकी लड़ाई है। इसलिए साफ लग रहा है कि तमाम देश भारत का कहां एक कान से सुन दूसरे से निकाल दे रहे है।
गौर करें, एक जून, 2025 को एशियाई विकास बैंक यानी एडीबी के अध्यक्ष मसातो कांडा भारत आए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले। उन्होंने शहरी विकास की योजनाओं के लिए भारत को अगले पांच साल में 10 अरब डॉलर देने का वादा किया। लेकिन इसके तीन दिन बाद ही एडीबी ने पाकिस्तान को 80 करोड़ डॉलर यानी कोई 68 सौ करोड़ रुपए का कर्ज मंजूर कर दिया। भारत विरोध करता रहा, यह समझाता रहा कि पाकिस्तान इन पैसों का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए करेगा लेकिन एडीबी ने उसको आठ सौ मिलियन डॉलर का कर्ज देने का फैसला किया।
इससे पहले पहलगाम कांड के बाद भारत के तमाम विरोध के बावजूद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को 1.3 अरब डॉलर यानी करीब साढ़े 11 हजार करोड़ रुपए का कर्ज देने की घोषणा की। पहले से मंजूर अरब डॉलर यानी करीब साढ़े आठ हजार करोड़ रुपए का कर्ज आईएमएफ ने जारी भी कर दिया। आईएमएफ के बोर्ड में जब यह प्रस्ताव वोटिंग के लिए आया तो भारत ने विरोध किया लेकिन वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। ऐसा नहीं हुआ कि भारत ने पाकिस्तान को कर्ज देने के खिलाफ वोट किया, बल्कि भारत गैरहाजिर हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ उनके आत्मीय संबंधों की लोग इतनी रील्स बनाते हैं लेकिन इटली ने भी पाकिस्तान को कर्ज देने का विरोध नहीं किया।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बाद विश्व बैंक की बारी थी। विश्व बैंक ने कहा है कि वह अगले 10 साल में पाकिस्तान को 20 अरब डॉलर का कर्ज देगा। इस तरह दुनिया की तीन सबसे बड़ी वित्तीय संस्थाएं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक यानी एडीबी इन तीनों ने मिल कर पाकिस्तान की जम कर मदद करने का फैसला किया है। सोचें, भारत ‘विश्व गुरू’ है, जिसकी बात कथित तौर पर आज दुनिया ज्यादा ध्यान से सुनती है और भारत के नेता नरेंद्र मोदी के आगे झुकती है उसके तमाम विरोध के बावजूद विश्व की वित्तीय संस्थाओं के कान पर जूं तक नहीं रेंगी और उन्होंने पाकिस्तान की न सिर्फ पहले से चल रही मदद जारी रखी, बल्कि नई मदद देने का ऐलान भी किया।