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इस 15 अगस्त की पतंगबाजी!

सन् 2025 की 15 अगस्त का समय कुछ अजीब है! सोशल मीडिया में भारत की भीड़ और मक्खियों की ऐसी भिनभिनाहट है जैसे उनमें गुर्दा बन रहा हो तथा परिवर्तन अवश्यंभावी हो। तरह-तरह की भिनभिनाहट और पतंगबाजी है! सोचें, जगदीप धनखड़ पर भी पतंगबाजी! वही नरेंद्र मोदी के 75 वर्ष के होने को ले कर अग्रिम पतंगबाजी तो मोहन भागवत के रिटायर होने की भी पतंगबाजी! दरअसल पिछले ग्यारह वर्षों में नरेंद्र मोदी का यह सबसे बड़ा योगदान है जो भारत को, उसकी भीड़, मधुमक्खियों को सत्ता का वह छत्ता बॉक्स उपलब्ध करा दिया है, जहां शहद भरा पड़ा है और प्रधानमंत्री नियंत्रक हैं। सो, मधुमक्खियों का धर्म, कर्म, अस्तित्व का आधार है जो वह उड़े, भीड़ को डंक मारे, चूसे और ब्रूड चैंबर में रमी रहे। तभी डीप सुपर के रस-स्वाद में डूबी हुई कई मक्खियों में गुमान बनता है कि उन्हीं की बदौलत भारत की माया है। उन्हीं से भारत है!

तभी देखिए, सोशल मीडिया दूध से मक्खी की तरह धकियाए जगदीप धनखड़ को शूरवीर करार दे रही है! कांग्रेस उनको महान बता रही है तो सोशल मीडिया में पतंगबाजी है कि धनखड़ ने हिम्मत दिखाई, अपनी नाराजगी दिखाई, जिसे नरेंद्र मोदी बरदाश्त नहीं कर पाए। इतना ही नहीं धनखड़ के नाम पर आगे उनके सत्यपाल मलिक बनने या सियासी उथलपुथल की पतंगबाजी भी!

ऐसे ही यह भी पतंगबाजी कि सितंबर में 75 वर्ष के होने पर मोहन भागवत रिटायर होंगे। और वे हुए तो उनके बाद सितंबर में 75 वर्ष के होते ही नरेंद्र मोदी भी प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देंगे। यदि उन्होंने नहीं दिया तो नितिन गडकरी नैतिक आधार पर इस्तीफा देंगे। तब नरेंद्र मोदी के लिए पद पर बना रहना मुश्किल होगा! या फिर यह पतंगबाजी कि योगी आदित्यनाथ को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया जा रहा है और अमित शाह उत्तर प्रदेश में ओबीसी चेहरे को मुख्यमंत्री बनवाने वाले हैं ताकि बिहार के ओबीसी वोटों को मैसेज जाए! या यह कयास कि अमित शाह हर हाल में भाजपा का अध्यक्ष अपना भरोसामंद बनाएंगे। और सितंबर वह महीना होगा, जब संघ परिवार कांग्रेस की दशा को प्राप्त होगा। भाजपा विभाजित होगी। एक नई भाजपा-एन (नरेंद्र मोदी) बनेगी और आरएसएस अंततः आर्यसमाज, कंबीरपंथियों जैसे संगठन की नियति को प्राप्त होगा।

एक भी किसी बात में दम नही है! सब सोशल मीडिया और सियासी मक्खियों की कयासी भिनभिनाहट है। नोट कर लें सितंबर में कोई भूचाल नहीं आना है। 75 वर्ष के हो जाने के बाद भी मोहन भागवत रिटायर नहीं होंगे। वे विजयादशमी के दिन संघ के सौ साल के पूरे होने के उत्सव की सलामी लेंगे। और सन् 2026 की प्रतिनिधि सभा तक अपने स्वास्थ्य के हवाले कतई जगदीप धनखड़ नहीं होने वाले।

और नरेंद्र मोदी का जहां सवाल है वे अपनी कमान में भाजपा को अगला लोकसभा चुनाव लड़वाएंगे। नोट रखें उसके बाद शपथ भी लेंगे। वे अमित शाह को प्रधानमंत्री नहीं बनाने वाले। ऐसे ही यह भी नोट रखें कि योगी आदित्यनाथ 2027 का उत्तर प्रदेश चुनाव लड़वाते हुए वापिस मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। और यह भी भूल जाएं कि संघ-मोहन भागवत अपने किसी उपयुक्त चेहरे को भाजपा का अध्यक्ष बना सकते हैं। जो होगा वह नरेंद्र मोदी की पसंद, अनुकूलता से होगा। इसलिए क्योंकि वे ही सत्ता का छज्जा, शहद का ‘ब्रूड चैंबर’ हैं। उन्हीं से संघ को शहद है सत्ता की गंगोत्री में पुण्य की डुबकियां है! मोदीजी वे आराध्य हैं जो अडानी, अंबानी जैसे जगत सेठों के स्वामी हैं तो जगतशक्तियों याकि चीन, पाकिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन आदि के लिए आदर्शतम प्रधानमंत्री हैं।

सोचें, पिछले ग्यारह वर्षों में 140 करोड़ लोगों की भीड़ का सबसे बडा लाभार्थी कौन है? मेरा मानना है कि नंबर एक पर चीन है। सात मई 2025 के बाद नंबर दो पर पाकिस्तान (फिर जिंदा हुआ) है। साथ ही डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटेन से लेकर बांग्लादेश जैसा हर वह देश भी लाभार्थी है जो हर मनचाहा स्वार्थ भारत से पूरा कर रहा है या भारत को आंखें दिखा रहा है। नोट रखें मेरे इस आंकलन को कि मोदी सरकार ने सात मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर से चीन को यह दो टूक अहसास करा दिया है कि जब चाहे वह 22 घंटों के अपने सैनिक ऑपरेशन से उत्तर-पूर्व भारत को हजम कर सकता है! मतलब दुनिया के आगे 140 करोड़ लोगों के सैनिक सामर्थ्य से लेकर आर्थिक, सामाजिक, जनसंख्यात्मक बल की वह पोल खुल गई है, जिससे भारत में यथास्थिति बना रहना अडानी-अंबानी जैसे जगत सेठों से लेकर जगतशक्तियों का आदर्शतम स्वार्थ है। दुनिया की ताकतों के लिए दो लोगों की उंगली पर टिके 140 करोड़ लोगों के पहाड़ से बेहतर लाभदायी स्थिति दूसरी है ही नहीं!

तभी कुछ नहीं होना है। दो लोगों ने भारत की भीड़ को राशन या दो-चार हजार रुपए बांट कर सत्ता के छज्जे का लाभार्थी बना कर न केवल गुलाम बनाया है, बल्कि बुद्धि का स्थायी हरण भी कर लिया है। तभी दुनिया ऐसे कमाल के प्रधानमंत्री को सम्मान दे कर, गले लगा कर, अपनी शर्तों पर व्यापार सौदे करके बाजार का मुनाफा कमाते हुए भारत को जो लूटे रही है वह कथा अनंता की इतिहासजन्य हकीकत का इक्कीसवीं सदी की नई कहानी है। यही ग्यारह वर्षों की मोदी सरकार की नंबर एक उपलब्धि है!

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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