बिहार में भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव की कमान संभाल ली है। ड्राइविंग सीट पर भाजपा आ गई है। पिछले कुछ दिन से वह बैक सीट ड्राइविंग कर रही थी। नीतीश कुमार ड्राइविंग सीट पर दिख रहे थे लेकिन गाड़ी भाजपा चला रही थी। अब उसने खुद ड्राइविंग संभाल ली है। सही अर्थों में जिसको कारपेट बॉम्बिंग वह हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे पर दो बड़े केंद्रीय मंत्रियों और देश के सबसे बड़े राज्य के उप मुख्यमंत्री को चुनाव प्रभारी बना कर पटना भेजे जाने के बाद साफ हो गया है कि अब चुनाव भाजपा लड़ेगी। अमित शाह ने शुक्रवार को बिहार में भाजपा नेताओं की बैठक में कहा भी कि जदयू की सीटें भी भाजपा के लिए अहम हैं।
भाजपा के ड्राइविंग सीट पर होने का सबसे बड़ा सबूत शुक्रवार को ही मिला, जब मुख्यमंत्री रोजगार योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री ने की। किसी और राज्य में शायद ही ऐसा हुआ हो कि राज्य सरकार के फंड से और मुख्यमंत्री के नाम से कोई योजना शुरू हो तो उसका उद्घाटन प्रधानमंत्री करें। बिहार में यह भी हुआ है और वह बिहार के जनता दल यू के नेताओं के भाजपा के सामने सौ फीसदी सरेंडर के कारण हुआ है। नीतीश कुमार की मानसिक अवस्था बहुत अच्छी नहीं है और उनके आसपास के लोगों ने किसी मजबूरी में या पता नहीं किसी रणनीति के तहत अपने को भाजपा के सामने गिरवी रख दिया है। तभी मुख्यमंत्री रोजगार योजना का 10-10 हजार रुपया महिलाओं के खाते में प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रांसफर किया। सोचें, पैसा बिहार का है। उसमें केंद्र का एक रुपया नहीं है। बिहार सरकार कर्ज लेकर महिलाओं को पैसे दे रही है, जिसका ब्याज बिहार के लोगों को चुकाना है। बिहार अभी हर दिन 63 करोड़ रुपया सिर्फ ब्याज चुका रहा है। चुनाव का समय होने के बावजूद केंद्र सरकार से यह नहीं हुआ कि वह अपने खाते से महिलाओं को पैसा दे। बिहार सरकार कर्ज लेकर पैसा दे रही है और वह पैसा बड़े शान से प्रधानमंत्री ट्रांसफर कर रहे हैं। नीतीश को पूरी तरह से मूर्ति बना कर रख दिया गया है।
दूसरा संकेत यह दिखा कि भाजपा कह रही है कि महिला, मोदी और मंदिर के नाम पर चुनाव लड़ा जाएगा। गौरतलब है कि पिछले दिनों सीतामढ़ की पुनौराधाम में माता जानकी के मंदिर की आधारशिला रखी गई। वह मंदिर भी बिहार सरकार के पैसे से बन रहा है, लेकिन भाजपा और जदयू के नेताओं ने उसका शिलान्यास भी नीतीश कुमार से नहीं कराया। उसके लिए अमित शाह को बुलाया गया। लेकिन पता नहीं भाजपा के नेता समझ रहे हैं या नहीं कि बिहार में मंदिर या धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण का मुद्दा नहीं चलता है। इसी तरह मोदी का नाम भी बिहार में नहीं चलेगा। बिहार में नीतीश का नाम चलेगा। जैसे ही नीतीश के हाशिए में जाने का मैसेज बनेगा वैसे ही मतदाता बिदकेंगे। महिला मतदाता भी नीतीश के प्रति समर्पित हैं। उनका वोट लेने के लिए भी नीतीश का चेहरा दिखाना होगा। बहरहाल, भाजपा ने धर्मेंद्र प्रधान, केशव प्रसाद मौर्य और सीआर पाटिल को बिहार का चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी बनाया है। मोदी और अमित शाह के बाद इन तीन नेताओं का चेहरा बिहार में दिखेगा। इनके मुकाबले जनता दल यू का एक भी चेहरा कहीं नहीं दिख रहा है। जदयू ने खुद भी अपने को पीछे किया है और भाजपा से यहां तक कह दिया है कि तीन छोटी सहयोगी पार्टियों को भाजपा ही मैनेज करे।