Thursday

17-07-2025 Vol 19

नायडू और नीतीश का फर्क

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी और नीतीश कुमार के जनता दल यू की मदद से बनी है और चल रही है। भाजपा की अपनी 240 सीटें हैं और टीडीपी व जनता दल यू की 28 सीटों के सहारे एनडीए बहुमत के नजदीक पहुंचता है। लेकिन एक तरफ चंद्रबाबू नायडू हैं, जो अपने समर्थन की विशाल कीमत वसूल रहे हैं तो दूसरी ओर नीतीश कुमार हैं, जिनको किसी बात का अहसास ही नहीं है। पिछले एक साल में केंद्र सरकार की ओर से आंध्र प्रदेश को दो लाख करोड़ रुपए की परियोजनाएं मिली हैं। ऊर्जा से लेकर बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट तक, जो भी बड़ी परियोजना लेकर नायडू दिल्ली आए उस पर मंजूरी करा कर लौटे। उन्होंने केंद्र सरकार के साथ परफेक्ट सद्भाव बनाया है। वे सरकार को न सिर्फ समर्थन दे रहे हैं, बल्कि उन्होंने भाजपा को राज्यसभा की दो सीटें भी अपने कोटे से दी हैं।

चंद्रबाबू नायडू ने इसकी कीमत वसूली है। बड़ी परियोजनाओं के बाद उन्होंने अपनी पार्टी के एक बड़े नेता अशोक गजपति राजू को गोवा का राज्यपाल बना दिया। अरसे बाद यह देखने को मिला की भाजपा ने किसी सहयोगी पार्टी के नेता को राज्यपाल बनाया है। उधर बिहार में विधानसभा का चुनाव होने वाला है और केंद्र सरकार में नीतीश के 12 सांसदों की अहम भूमिका है फिर भी बिहार को कुछ नहीं मिल रहा है। प्रधानमंत्री के बिहार में दौरे हो रहे हैं तो सीवरेज और सीवर ट्रीटमेंट प्लांट की घोषणाएं हो रही हैं। जनता दल यू कोटे के जो मंत्री केंद्र में हैं उनकी ओर से भी केंद्र के सामने कोई बड़ी योजना नहीं पेश की जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अलग ही मानसिक अवस्था में हैं। नायडू के मुकाबले उनकी सक्रियता लगभग जीरो है। सब कुछ उनके आसपास के लोग कर रहे हैं, जिनका सारा फोकस अपना हित साधने पर है।

NI Political Desk

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