केरल में गुरुवार, 19 जून को नीलांबुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। बेहद प्रतिष्ठा वाली इस सीट पर चुनाव से पहले खूब दांवपेंच चले गए। इसमें सबसे दिलचस्प दांव चला सीपीएम के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने। उन्होंने मतदा से दो दिन पहले कहा कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक सांप्रदायिक संगठन है लेकिन 1975 में इमरजेंसी के समय सीपीएम और आरएसएस ने कंधे से कंधा मिला कर इंदिरा गांधी और कांग्रेस के राज की ज्यादतियों के खिलाफ लड़ाई की थी। ध्यान रहे नीलांबुर सीट पर भाजपा भी लड़ रही है लेकिन वह त्रिकोणात्मक संघर्ष से बाहर है। असली मुकाबला कांग्रेस, सीपीएम और निर्दलीय उम्मीदवार पीवी अनवर के बीच है।
सीपीएम के राज्य सचिव के बयान पर विवाद शुरू हुआ तो मुख्यमंत्री पी विजयन ने सामने आकर कहा कि इमरजेंसी में सीपीएम ने अकेले लड़ाई लड़ी थी। इस दांव के दो फायदे दिख रहे हैं। पहले तो लेफ्ट ने इमरजेंसी का मुद्दा चुनाव के बीच ला दिया, जिससे कांग्रेस बैकफुट पर आई। कांग्रेस इमरजेंसी को लेकर लगाए गए आरोपों का जवाब नहीं दे सकती थी। सो, उसने सीपीएम और आरएसएस की मिलीभगत का आरोप लगाया और कहा कि दोनों एक हैं। कांग्रेस का यह प्रचार उसको नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि कांग्रेस को हराने के लिए आरएसएस के समर्थक सीपीएम की मदद कर सकते हैं। वैसे भी कट्टरपंथी जमात ए इस्लामी से जुड़े संगठनों की मदद लेने की वजह से कांग्रेस पर मुस्लिमपरस्ती का आरोप लग रहा है।