अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेना प्रमुखों के साथ बैठक की है और कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया क्या और कैसी होगी यह उनको तय करना है। प्रधानमंत्री की ओर से कहा गया कि सेना तय करेगी की कार्रवाई का तरीका क्या होगा, समय क्या होगा और स्थान क्या होगा। लेकिन इसमें नया क्या है? सरकार की ओर से पहले बार बार कहा जाता रहा है कि सेना को पूरी छूट दी गई है और कई मंत्रियों ने अनगिनत बार कहा है कि अब सेना को गोलियां गिनने की जरुरत नहीं होती है। बार बार कहा जाता है कि मोदी सरकार ने सेना को कहा है कि मुंहतोड़ जवाब देना है और गोलियां नहीं गिननी हैं। गोलियां नहीं गिनने का मतलब है कि सेना को अपने हथियार और गोला बारूद के इस्तेमाव की छूट है। इस बयान से सरकार और भाजपा यह माहौल बनाते थे कि कांग्रेस के राज में गोलियां गिनी जाती थीं और सेना को कंट्रोल किया जाता था।
तभी नए सिरे से सेना को छूट देने की बात करना हैरान करने वाला है। फिर भी अच्छी बात है कि सरकार की ओर से कहा गया कि सब कुछ सेना तय करेगी। तभी सवाल है कि सेना कार्रवाई कर देगी उसके बाद क्या होगा? क्या सारा श्रेय सेना को दिया जाएगा या यह प्रचार होगा कि प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया? सेना के शौर्य का श्रेय लेना कोई नई बात नहीं है। भारत में सारी सरकारें कमोबेश ऐसा करती रही हैं। इससे पहले पाकिस्तान की ओर से होने वाले आतंकवादी हमलों का जवाब सेना ने प्रभावी तरीके से दिया। सेना की ओर से सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक किया गया। आतंकवादी शिविर नष्ट किए गए और सारा श्रेय भाजपा व केंद्र सरकार ने लिया। कांग्रेस पार्टी के नेता चिल्लाते रहे कि पहले भी सेना सर्जिकल स्ट्राइक करती थी। लेकिन किसी ने यकीन ही नहीं किया क्योंकि पहले सेना की कार्रवाई का थोड़ा कम श्रेय लिया जाता था।
बहरहाल, सब कुछ सेना करेगी, वही तय करेगी कब कार्रवाई करनी है, कैसे और कहां कार्रवाई करनी है। उसके बाद कहा जाएगा कि प्रधानमंत्री ने बिहार के मधुबनी में कहा था कि आतंकवादियों को ऐसी सजा देंगे, जिसकी उन्होंने कल्पना नहीं की होगी और वैसी सजा प्रधानमंत्री ने उनको दे दी। यानी श्रेय प्रधानमंत्री लेंगे, सरकार लेगी और भाजपा भी लेगी। लेकिन अगर कांग्रेस ने या किसी विपक्षी पार्टी ने सवाल पूछ दिया या पहले की तरह कार्रवाई के सबूत मांग दिए तब कहा जाएगा कि देखिए सेना से सबूत मांग रहे हैं। तब कहा जाएगा कि कांग्रेस और विपक्ष सेना के शौर्य पर सवाल उठा रहा है। यानी विपक्ष कुछ पूछेगा तो सेना को आगे कर दिया जाएगा और जनता के बीच जाकर वोट मांगना होगा तो सेना को पीछे कर दिया जाएगा और प्रधानमंत्री को आगे कर दिया जाएगा। कायदे से सेना को कार्रवाई करने का निर्देश देने के बाद अब सरकार और राजनीतिक दलों को बयानबाजी बंद कर देनी चाहिए और बाद में भी श्रेय लेने या सवाल पूछने की होड़ में नहीं फंसना चाहिए।