राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अब ट्रिपल इंजन की सरकार है। केंद्र में भाजपा की सरकार है, जिसके तहत दिल्ली का ज्यादातर कामकाज आता है। केंद्र के बनाए जीएनसीटीडी एक्ट के मुताबिक उप राज्यपाल ही असली सरकार हैं और उप राज्यपाल केंद्रीय गृह मंत्री को रिपोर्ट करते हैं। इसके बाद दिल्ली की राज्य सरकार भाजपा की है और अब दिल्ली नगर निगम में भी भाजपा की सरकार है। इतना ही नहीं पहली बार ऐसा हुआ है कि दिल्ली एनसीआर में भी हर जगह भाजपा की सरकार है।
हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ क्षेत्र एनसीआर में आते हैं। इन तीनों राज्यों में भाजपा की सरकार है। इसके बावजूद दिल्ली पानी, बिजली से लेकर प्रदूषण तक की समस्या गंभीर होती जा रही है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?
दिल्ली ट्रिपल इंजन सरकार का असर
क्या अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को ही अब भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा? या एनसीआर की सीमा से दूर लेकिन दिल्ली की हवा को प्रभावित करने वाले पंजाब की आप सरकार और हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाएगा? ध्यान रहे यह पहली बार हो रही है कि मई में दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई तीन सौ तक दर्ज किया जा रहा है। लगभग हर दिन एक्यूआई ढाई से तीन सौ के बीच है। अप्रैल में भी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही।
आमतौर पर दिल्ली में सर्दियों के दो तीन महीने वायु गुणवत्ता खराब रहती है और गर्मियों में हवा की क्वालिटी सुधर जाती है। ऊपर से अगर बारिश हो और तेज हवा चल रही हो तो हवा की गुणवत्ता और बेहतर हो जाती है। लेकिन भीषण गर्मी, तेज हवा और कई बार बारिश के बावजूद दिल्ली की हवा में सुधार नहीं हुआ है।
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