Tuesday

17-06-2025 Vol 19

hindu

सबको धार्मिक ध्रुवीकरण की चिंता

देश की राजनीति बुनियादी रूप से बदल चुकी है। सेकुलर राजनीति करने वाली पार्टियां भी धार्मिक ध्रुवीकरण की चिंता में फैसले कर रही हैं।

ज्ञानवापी के बाद अब भोजशाला के सर्वे का आदेश

इससे पहले वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा के शाही ईदगाह के भी सर्वेक्षण का आदेश अलग अलग अदालतों ने दिया था।

नफरत के नए-नए जुमले आ रहे है!

मंगलवार (5 दिसंबर) को आई.एन.डी.आई. गठबंधन के महत्वपूर्ण अंग द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) सांसद डीएनवी सेंथिल कुमार ने लोकसभा में हिंदी भाषी राज्यों को ‘गौमूत्र प्रदेश’ कहकर संबोधित किया।

धन्वंतरि जैसे ही थे वैद्य अश्विनी कुमार

प्राचीन चिकित्सकों में असाध्य रोग-दोष का शमन करने वाले प्रसिद्ध वैद्य अश्विनी कुमार का नाम सर्वाधिक प्राचीन है।

संघ-परिवार: हिन्दुओं का बंटाधार

यदि कोई 'भाजपा समर्थन' की कसम खाए हैं तो शौक से रहे, पर न भूले कि उस के भाई, संबंधी, सहकर्मी हिन्दुओं को भी ईश्वर ने विवेक और संविधान...

‘सनातन’ रहेगा सनातन!

बहस है ‘सनातन’ पर! सवाल है ‘सनातन’ के बहाने ‘हिंदू’ पर! भला ‘सनातन’ की परिभाषा क्या? कहा है इसका उद्गम? यह शब्द न तो वेद-उपनिषद् में है और न...

हिंदी और हिंदू प्रतीकों का इस्तेमाल बढ़ा

पिछले कुछ समय से सरकारी कामकाज में हिंदी और हिंदू प्रतीकों का इस्तेमाल बढ़ गया है।

बार-बार ‘हिंदू-मुसलमान’ करने वाले कौन?

रोज की समस्याओं से जनमानस का ध्यान भटकाकर, देश में बार-बार हिंदू-मुसलमान कौन कर रहा है? वास्तव में, यह विकृत विमर्श एक राजनीतिक उद्योग के रूप में गहरी जड़ें...

हम कितने-कैसे मूर्ख?

मनुष्य और उसकी भीड़ का पशुपना वह संकट है, जिससे मानव इतिहास मूर्खताओं से भरा पड़ा है।

सांप्रदायिकता एक सोच है या रणनीति?

तो इस क्रम में महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि आखिर एक दौर के बाद उनकी इस सोच को हिंदू समुदाय के एक बड़े हिस्से का समर्थन क्यों मिलने लगा?

स्थायी तनाव से चुनावी फायदा

असल में किसी बड़े सांप्रदायिक या सामुदायिक दंगे की बजाय समाज में स्थायी तौर पर खदबदाहट बनाए रखने की रणनीति राजनीतिक रूप से ज्यादा कारगर है।

कांटों की पकी फसल

राजनीतिक लाभ के लिए जो फसल दशकों पहले बोई गई थी वह पूरी तरह से पक गई है।

हम हिंदुओं का दिमाग!

पिंजरे में हैं, गुलाम हैं, अंधविश्वासी हैं, टुकड़े खाते हैं, भूखे मरते हैं तथा भयाकुल व भयभीत रहते हैं लेकिन दिमाग इतना चेतन नहीं जो अनुभव को सत्य की...

हिंदू राष्ट्रवादी, टुकड़ा-टुकड़ा खेल!

पंजाब के उग्रवादियों को पकड़ कर असम की जेलों में रखा हुआ है और सिख चुपचाप सुलगते हुए हैं। विदेश में खालिस्तानियों का हल्ला लगातार बढ़ता जा रहा है।

कब तक चलाएंगे हिंदू बनाम मुसलमान?

निर्मला सीतारमन इनदिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं। और वहां के अख़बार भरे पड़े हैं कि हिन्दुस्तान में किस तरह साम्प्रदायिकता बढ़ाई जा रही है।

हिंदुओं की भी किसे फिक्र?

रामनवमी के मौके पर मुस्लिम विरोधी तेवर कुछ इस कदर हावी हुए कि उसी रोज हिंदुओं के साथ क्या हुआ, इस बात पर सोचने की फिक्र किसी को नहीं...

चुनाव समाज के मुद्दों पर नहीं- बाबाओं के पाखंड के सहारे होंगे…?

पहले प्रथमेश की मूर्ति को दूध पिलाया, फिर मंदिर की गुहार लगायी और अब भोले शिवशंकर के रुद्राक्ष पर दांव लगाया !

आगामी चुनावों को ‘पोलराइज’ करने के लिए सपा-भाजपा की मिलीभगत : मायावती

भारतीय जनता पार्टी के आक्रामक रुख के बीच बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सोमवार को भाजपा और सपा पर निशाना साधा।

दिल्ली सत्ता है ही हिंदूओं की गुलामी के लिए!

सत्ता के अनुभव का ऐसा इतिहास। तभी कौम को क्या यह सामूहिक संकल्प नहीं बनाना चाहिए कि कुछ भी हो जाए वे दिल्ली की सत्ता को सर्वशक्तिमान नहीं बनने...

ताकि हिंदू मूल (मूल ढांचा) गंवा एनिमल फार्म की भेड़-बकरी बने!

इन दिनों भारत (हिंदुओं) को जानवरों का बाड़ा बनाने के कई प्रयास हैं! सर्वोपरि नंबर एक कोशिश मनुष्य दिमाग को ठूंठ बनाना है।