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  • ज्ञानवापी के बाद अब भोजशाला के सर्वे का आदेश

    भोपाल। मध्य प्रदेश के धार में स्थित भोजशाला का भी वैज्ञानिक सर्वेक्षण होगा। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने अपने आदेश में कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई भोजशाला (Bhojshala premises) की ऐतिहासिकता का वैज्ञानिक और तकनीकी सर्वेक्षण करे। Bhojshala premises जस्टिस एसए धर्माधिकारी और जस्टिस देव नारायण मिश्र की पीठ ने सर्वेक्षण का आदेश दिया है। इससे पहले वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा के शाही ईदगाह के भी सर्वेक्षण का आदेश अलग अलग अदालतों ने दिया था। बहरहाल, दो जजों की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि विशेषज्ञ कमेटी दोनों पक्षकारों के प्रतिनिधियों की...

  • नफरत के नए-नए जुमले आ रहे है!

    कहते है जब से  देश में मोदी सरकार आई है, तब से देश में ‘असहिष्णुता’ बढ़ गई है। सच तो यह है कि भारत में 'घृणा' न तो मई 2014 से बढ़ी है और न ही इसका संबंध कुछ दशक पुराना है। इसकी जड़े सदियों पुरानी है। कालांतर में छल-बल से मतांतरण, नरसंहार, गोवा इंक्विज़िशन, भारत का रक्तरंजित विभाजन और कश्मीर का 1989-91 घटनाक्रम आदि इसके प्रमाण है। विडंबना है कि जो लोग ‘मोहब्बत की दुकान’ खोलकर बैठे है, उनके गोदाम से घृणा के उत्पाद एक-एक करके बाहर आ रहे है। मंगलवार (5 दिसंबर) को आई.एन.डी.आई. गठबंधन के महत्वपूर्ण अंग...

  • पाकिस्तान में संभव ही नहीं ‘सिख-मुस्लिम भाईचारा’

    पाकिस्तान में 345 स्थायी सिख तीर्थस्थल हैं, जिनमें से 135 सीधे पहले छह गुरुओं से संबंधित हैं। परंतु इनमें केवल 22 ही सक्रिय हैं, जिनमें से दो के बड़े हिस्से तो मजहब उपेक्षा के कारण इसी वर्ष वर्षा में ढह गए। इसी में एक— भारत-पाक सीमा से 2-3 किलोमीटर दूर लाहौर स्थित जाहमन गांव का ऐतिहासिक गुरुद्वारा रोरी साहिब है, जो 1947 से पहले सिखों और हिंदुओं के लिए आस्था का एक केंद्र बना हुआ था। यह गुरुद्वारा महाराजा रंजीत सिंह (1780-1839) के शासन काल में बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि गुरु नानक देवजी ने झामन के...

  • संघ परिवारः मुस्लिम मोह में गिरफ्तार

    नजारा घातक राजनीति है। सभी सूफी इस्लामी माँगे रखते हैं। उस ‘वर्ल्ड सूफी फोरम’ ने आतंकवाद विरोध के नाम पर दिल्ली सम्मेलन किया जिस में भाजपा महाप्रभु गये थे। पर उस की माँगे यह थीं - मुसलमानों के खिलाफ हुई ‘ऐतिहासिक गलतियाँ’ सुधारें; अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक दर्जा दें; केंद्रीय सूफी संस्थान बनाएं, तथा उस की शाखाएं खोलें; सूफी विश्वविद्यालय बनाएं; ‘सूफी कॉरिडोर’ बना कर सभी सूफी केंद्रों को जोड़ें, आदि। उन में से कई माँगें पूरी हो चुकी हैं। खुद भाजपा मंत्री और पदाधिकारी गर्व से बताते रहते हैं!  आगामी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए...

  • बार-बार ‘हिंदू-मुसलमान’ करने वाले कौन?

    क्या कारण है कि सेकुलरवादी-वामपंथी-जिहादी कुनबे को कठुआ के बजाय केवल मुजफ्फरनगर मामले में ही सांप्रदायिकता दिख रही है? इसकी वजह उनकी विकृत संवेदनशीलता प्रेरित परिभाषा है, जिसमें पीड़ित का अल्पसंख्यक— विशेषकर मुसलमान और आरोपी का हिंदू, वह भी उच्च जाति का होना आवश्यक है। विपरीत स्थिति वाले मामलों पर वे आक्रोश जताना तो दूर, उसका संज्ञान लेना भी पसंद नहीं करते। रोज की समस्याओं से जनमानस का ध्यान भटकाकर, देश में बार-बार हिंदू-मुसलमान कौन कर रहा है? वास्तव में, यह विकृत विमर्श एक राजनीतिक उद्योग के रूप में गहरी जड़ें जमा चुका है। अभी हाल ही में देश के...

  • सांप्रदायिकता एक सोच है या रणनीति?

    क्या कारण है कि सेकुलरवादी-वामपंथी-जिहादी कुनबे को कठुआ के बजाय केवल मुजफ्फरनगर मामले में ही सांप्रदायिकता दिख रही है? इसकी वजह उनकी विकृत संवेदनशीलता प्रेरित परिभाषा है, जिसमें पीड़ित का अल्पसंख्यक— विशेषकर मुसलमान और आरोपी का हिंदू, वह भी उच्च जाति का होना आवश्यक है। विपरीत स्थिति वाले मामलों पर वे आक्रोश जताना तो दूर, उसका संज्ञान लेना भी पसंद नहीं करते। रोज की समस्याओं से जनमानस का ध्यान भटकाकर, देश में बार-बार हिंदू-मुसलमान कौन कर रहा है? वास्तव में, यह विकृत विमर्श एक राजनीतिक उद्योग के रूप में गहरी जड़ें जमा चुका है। अभी हाल ही में देश के...

  • स्थायी तनाव से चुनावी फायदा

    क्या कारण है कि सेकुलरवादी-वामपंथी-जिहादी कुनबे को कठुआ के बजाय केवल मुजफ्फरनगर मामले में ही सांप्रदायिकता दिख रही है? इसकी वजह उनकी विकृत संवेदनशीलता प्रेरित परिभाषा है, जिसमें पीड़ित का अल्पसंख्यक— विशेषकर मुसलमान और आरोपी का हिंदू, वह भी उच्च जाति का होना आवश्यक है। विपरीत स्थिति वाले मामलों पर वे आक्रोश जताना तो दूर, उसका संज्ञान लेना भी पसंद नहीं करते। रोज की समस्याओं से जनमानस का ध्यान भटकाकर, देश में बार-बार हिंदू-मुसलमान कौन कर रहा है? वास्तव में, यह विकृत विमर्श एक राजनीतिक उद्योग के रूप में गहरी जड़ें जमा चुका है। अभी हाल ही में देश के...

  • कांटों की पकी फसल

    क्या कारण है कि सेकुलरवादी-वामपंथी-जिहादी कुनबे को कठुआ के बजाय केवल मुजफ्फरनगर मामले में ही सांप्रदायिकता दिख रही है? इसकी वजह उनकी विकृत संवेदनशीलता प्रेरित परिभाषा है, जिसमें पीड़ित का अल्पसंख्यक— विशेषकर मुसलमान और आरोपी का हिंदू, वह भी उच्च जाति का होना आवश्यक है। विपरीत स्थिति वाले मामलों पर वे आक्रोश जताना तो दूर, उसका संज्ञान लेना भी पसंद नहीं करते। रोज की समस्याओं से जनमानस का ध्यान भटकाकर, देश में बार-बार हिंदू-मुसलमान कौन कर रहा है? वास्तव में, यह विकृत विमर्श एक राजनीतिक उद्योग के रूप में गहरी जड़ें जमा चुका है। अभी हाल ही में देश के...

  • सरकार में मुस्लिम नहीं पर संगठन में दो

    क्या कारण है कि सेकुलरवादी-वामपंथी-जिहादी कुनबे को कठुआ के बजाय केवल मुजफ्फरनगर मामले में ही सांप्रदायिकता दिख रही है? इसकी वजह उनकी विकृत संवेदनशीलता प्रेरित परिभाषा है, जिसमें पीड़ित का अल्पसंख्यक— विशेषकर मुसलमान और आरोपी का हिंदू, वह भी उच्च जाति का होना आवश्यक है। विपरीत स्थिति वाले मामलों पर वे आक्रोश जताना तो दूर, उसका संज्ञान लेना भी पसंद नहीं करते। रोज की समस्याओं से जनमानस का ध्यान भटकाकर, देश में बार-बार हिंदू-मुसलमान कौन कर रहा है? वास्तव में, यह विकृत विमर्श एक राजनीतिक उद्योग के रूप में गहरी जड़ें जमा चुका है। अभी हाल ही में देश के...

  • पीएम मोदी ने ईद-उल-फितर की बधाई दी

    क्या कारण है कि सेकुलरवादी-वामपंथी-जिहादी कुनबे को कठुआ के बजाय केवल मुजफ्फरनगर मामले में ही सांप्रदायिकता दिख रही है? इसकी वजह उनकी विकृत संवेदनशीलता प्रेरित परिभाषा है, जिसमें पीड़ित का अल्पसंख्यक— विशेषकर मुसलमान और आरोपी का हिंदू, वह भी उच्च जाति का होना आवश्यक है। विपरीत स्थिति वाले मामलों पर वे आक्रोश जताना तो दूर, उसका संज्ञान लेना भी पसंद नहीं करते। रोज की समस्याओं से जनमानस का ध्यान भटकाकर, देश में बार-बार हिंदू-मुसलमान कौन कर रहा है? वास्तव में, यह विकृत विमर्श एक राजनीतिक उद्योग के रूप में गहरी जड़ें जमा चुका है। अभी हाल ही में देश के...

  • मुसलमानों को मुसलमान मार रहे

    क्या कारण है कि सेकुलरवादी-वामपंथी-जिहादी कुनबे को कठुआ के बजाय केवल मुजफ्फरनगर मामले में ही सांप्रदायिकता दिख रही है? इसकी वजह उनकी विकृत संवेदनशीलता प्रेरित परिभाषा है, जिसमें पीड़ित का अल्पसंख्यक— विशेषकर मुसलमान और आरोपी का हिंदू, वह भी उच्च जाति का होना आवश्यक है। विपरीत स्थिति वाले मामलों पर वे आक्रोश जताना तो दूर, उसका संज्ञान लेना भी पसंद नहीं करते। रोज की समस्याओं से जनमानस का ध्यान भटकाकर, देश में बार-बार हिंदू-मुसलमान कौन कर रहा है? वास्तव में, यह विकृत विमर्श एक राजनीतिक उद्योग के रूप में गहरी जड़ें जमा चुका है। अभी हाल ही में देश के...

  • आगामी चुनावों को ‘पोलराइज’ करने के लिए सपा-भाजपा की मिलीभगत : मायावती

    क्या कारण है कि सेकुलरवादी-वामपंथी-जिहादी कुनबे को कठुआ के बजाय केवल मुजफ्फरनगर मामले में ही सांप्रदायिकता दिख रही है? इसकी वजह उनकी विकृत संवेदनशीलता प्रेरित परिभाषा है, जिसमें पीड़ित का अल्पसंख्यक— विशेषकर मुसलमान और आरोपी का हिंदू, वह भी उच्च जाति का होना आवश्यक है। विपरीत स्थिति वाले मामलों पर वे आक्रोश जताना तो दूर, उसका संज्ञान लेना भी पसंद नहीं करते। रोज की समस्याओं से जनमानस का ध्यान भटकाकर, देश में बार-बार हिंदू-मुसलमान कौन कर रहा है? वास्तव में, यह विकृत विमर्श एक राजनीतिक उद्योग के रूप में गहरी जड़ें जमा चुका है। अभी हाल ही में देश के...

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