Wednesday

30-04-2025 Vol 19

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

डॉ. वैदिकः हिंदी पत्रकारिता और खाली!

सोचें, ‘नया इंडिया’ का पहले पेज का बॉटम आज से बिना डॉ. वैदिक की उपस्थिति के होगा।

केजरी, अखिलेश, ममता, केसीआर, हेमंत, राहुल का अहंकार जेल से खत्म होगा या चुनावी सफाये से?

अहंकार अपनी वोट गणित से नरेंद्र मोदी को हरा देने का। पर तय माने हिंदूशाही विपक्ष को मिटा देने वाली  है।

हिंदू विकास दर पर बिलबिलाना!

सोचें अमृत काल बनाम हिंदू विकास दर पर! हिंदू विकास दर मतलब हिंदुओं के आगे बढ़ने की कछुआ रफ्तार।

हिंदू विकास दर का सच

भारत की सच्चाई का नाम है हिंदू विकास दर! इसका प्रमाण क्या है और इससे विकास हुआ कहां है?

जीडीपी के आंकडे और इंडियागेट, एम्स के चेहरे!

अब जरा करोलबाग-रैगरपुरा के सोमवार बाजार को देंखे। सोमवार की छुट्टी के दिनतीस साल पहले भी फुटपाथ बाजार लगाता था।

रघुराम राजन ने क्या गलत कहा?

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारत सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा की दुखती रग पर हाथ रखा है।

नेहरू विकास दर कहने से हकीकत नहीं बदल जाएगी

रघुराम राजन ने ज्योंहि हिंदू विकास दर का जिक्र किया तो तमाम तरह के लंगूर उन पर टूट पड़े।

हे राम! अमृत काल का (पुस्तक) मेला

तय मानें मेले में जितनी पुस्तकें नहीं खरीदी गई होंगी उससे असंख्य गुना मोदीजी के हाथों से पुस्तक लेते हुए लोगों ने अपनी फोटो खिंचवाई।

अखंड भारत अब चीन का उपनिवेश!

साम्राज्य और वर्चस्व का इक्कीसवीं सदी का नुस्खा साहूकारी-लाठी तथा वैचारिक दबंगी है। आदर्श प्रमाण चीन है।

जी-20 बैठक: मरी चूहिया भी नहीं!

न क्वार्टर-फाइनल में कुछ और न सेमी-फाइनल बैठक में कुछ! देशों के साझे समूह काएक साझा बयानभी नहीं।अब सितंबर में फाइनल है।

अवसर है पर कही लम्हे की खता तो नहीं?

जी-20 की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सुनहरा मौका है। वे अपनी इमेज को दुनिया में वैसे ही चमका सकते है जैसे इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडोकी चमकी।

चीन-रूस की धुरी पर पूरा दक्षिण एशिया

पूर्वी, दक्षिण पूर्वी और मध्य एशियाई देशों की तरह अब पूरा दक्षिण एशिया भी चीन की धुरी पर घूमने लगा है।

रूस से कारोबार करें या उसका विरोध!

दुनिया दो खेमे में बंटगई है। भारत रूस के साथ जुड़ा हुआ है। पिछले एक साल में कारोबार के मामले में रूस से बहुत लेन-देन हो गया है।

जयशंकर की बड़बोली कूटनीति!

विदेश मंत्री एस जयशंकर आजाद भारत के सर्वाधिक बड़बोले विदेश मंत्री हो गए हैं। याद करें उनकी तरह बोलता हुआ विदेश मंत्री पहले कौन था?

भला भारत में राजनीति से संन्यास!

रायपुर के कांग्रेस अधिवेशन में सोनिया गांधी ने ‘पारी खत्म’ होने की बात कही। राजनीति से रिटायर होने का संकेत दिया। पर क्या यह संभव है?

खड़गे जी, बात नहीं करके दिखाएं!

शायद ही कोई सियासी जानकार हो जो नगालैंड में मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण के इन वाक्यों पर चौंका नहीं हो कि 2024 में केंद्र में गठबंधन सरकार होगी।

राहुल से काम लें तो जयराम व कन्हैया एंड पार्टी पर अंकुश बनाएं!

रायपुर अधिवेशन के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के रियल मालिक हैं।

कांग्रेस की चुनाव की मशीनरी कहां है?

विपक्षी पार्टियों के बीच गठबंधन बनाने से पहले मल्लिकार्जुन खड़गे की सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस में चुनाव लड़ने वाली मशीनरी के नहीं होने की है।

मुद्दा एक ही है- अदानी का, उसे घर घर पहुंचाएं

राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा में बार बार वैकल्पिक दृष्टि देने की बात कर रहे थे। लेकिन वह वैकल्पिक दृष्टि क्या है?

वाह! यूक्रेन का मानव जज्बा, सलाम

कुल मिलाकर यूक्रेन मानव जज्बे की नई मिसाल है तो यूरोपीय संघ और ब्रिटेन, अमेरिका की पश्चिमी सभ्यता के इरादों का खुलासा भी है।

अपने ‘दोस्त’ टोनी नहीं रहे

यही शुभब्रत भट्टाचार्य का मैसेज (We lost our friend Tony Jesudasan) था।

गुलाम संस्कारों के हिंदुओं के लोकतंत्र की क्यों अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन चिंता करें?

दिल्ली में बीबीसी पर छापे के दिन एयर इंडिया के विमान खरीद सौदे के मौके पर अमेरिका के बाइडेन, फ्रांस के मैक्रों और ब्रिटेन के ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री...

सच्चा सिर्फ मॉर्निंग कंसल्ट है

अमेरिका की एक तकनीकी कंपनी है डिलॉयट। इसने कुछ साल पहले एक बिजनेस इंटेलीजेंस यूनिट बनाई थी। इसका नाम है मॉर्निंग कंसल्ट।

बीबीसीः बकवास, भ्रष्ट कॉरोपोरेशन!

हे भारत माता! इतने झूठों के बाद भी धरती क्यों नहीं फटती!

दुनिया झूठी, संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, ब्रिटेन सभी तो भारत विरोधी साजिशकर्ता!

पिछले आठ सालों में संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों, अमेरिका-ब्रिटेन की संसदीय समितियों या इनके विदेश मंत्रलाय की रिपोर्टों में भारत कितना बदनाम हुआ?

संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी संस्थाएं झूठीं

संयुक्त राष्ट्र संघ की वर्ल्ड हैपीनेस रिपोर्ट में दुनिया के 146 देशों में से भारत किस स्थान पर है?

भूख, कुपोषण, पर्यावरण की रिपोर्टे भी झूठी!

कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थंगरहिल्फ हर साल ग्लोबल हंगर इंडेक्स तैयार करते हैं। इसमें विभिन्न देशों में भूख और कुपोषण को लेकर रिपोर्ट तैयार की जाती है।

ताजा तीन इंडेक्स का भारत सत्य

फ्रीडम इन द वर्ल्ड इंडेक्स में भारत की स्थिति इतनी खराब बताई गई है कि भारत अब आंशिक रूप से स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश की श्रेणी में है।

पहले जुगाड़, अब आगे मशीनी दिमाग तब भारत का भविष्य में बनना क्या है?

यों मसला वैश्विक है। मगर मेरी चिंता भारत है। वह भारत जो अब दुनिया की सर्वाधिक 140 करोड़ आबादी लिए हुए है। जहां दिमाग और बुद्धि का न्यूनतम उपयोग...

एक अकेला अदानी सब पर भारी!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गलत कहा। गुरूवार को राज्यसभा में विपक्ष की ‘मोदी-अदानी भाई-भाई’ की नारेबाजी पर उनका स्टैंड सही नहीं था।

सन् 1723 में जगत सेठ और 2023 में इंडिया इज अदानी!

जगत सेठ की संपदा ब्रितानी आर्थिकी से ज्यादा थी तो सन् 2023 के गौतम अदानी भी दुनिया के तीसरी बड़े खरबपति का रिकॉर्ड लिए हैं।

तो अदानी पर लगे आरोप सही हैं!

संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुल मिलाकर कोई तीन घंटा बोले लेकिन उन्होंने एक बार भी अदानी का नाम नहीं लिया।

आपत्तियों के बावजूद अदानी को हवाईअड्डे

अदानी समूह की मौजूदा सरकार से नजदीकी को लेकर कई मिसालें सामने आ रही हैं। राहुल गांधी ने कई सवाल उठाए, जिनकी जांच की जरूरत है।

राहुल और खड़गे उभरे, विपक्ष एकजुट हुआ

लोकसभा में प्रधानमंत्री ने कहा है कि उनको लगता था क् राजनीति और चुनाव के कारण विपक्ष एकजुट होगा लेकिन ईडी ने विपक्ष को एकजुट कर दिया।

दुनिया का क्या है भारत नजरिया? विश्व में भारत पहचान क्या? क्या बन रही होगी भारत आइडेंटिटी?

ये सवाल नरेंद्र मोदी और गौतम अदानी की वजह से आज प्रासंगिक है? भारत में जो हुआ है और जो होता हुआ है उस सबमें भारत को ले कर...

मोदी-शाह समझें, अदानी से छुड़ाएं पिंड, अब और न पालें!

मोदी को भी अपना भरोसा खूटे पर टांग कर अदानी ग्रुप की पड़ताल वैसे ही करानी चाहिए जैसे विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी आदि की हुई है। 

मोदी के सपने तार-तार

विशालकाय हाथी, मतलब दुनिया का नंबर दो अमीर अदानी! और हाथी की पीठ के हौदे पर बैठे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी!

अदानी को बचाने कौन आया?

सवाल है गौतम अदानी की कंपनी का एफबीओ सब्सक्राइव नहीं हो रहा था तब कौन उनको बचाने आया?

अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से ज्यादा दिक्कत

आमतौर पर जब कोई बड़ा वित्तीय घोटाला खुलता है तो सरकार की कानून प्रवर्तन एजेंसियां सक्रिय हो जाती हैं और जांच शुरू होती है।

पूंजी में ठगी के बाद कमाई के लिए लूट होगी

दुनिया का मीडिया लिख रहा है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला खुला है।

अदानी को बचाने या तो आज सरकार उढेलेगी पैसा या…..

आज या तो मोदी सरकार अपने बैंकों तथा एलआईसी से अदानी ग्रुप के शेयरों की अंधाधुंध खरीद करवाएगी या बैंकों-एलआईसी की बरबादी रोकने के लिए उन्हें अदानी के शेयरों...

यदि अदानी सच्चे हैं तो अमेरिकी कोर्ट में हिंडनबर्ग पर मुकदमा करें!

भारत की गरिमा व उसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख दांव पर है तो खुद गौतम अदानी का वैश्विक खरबपति होने का रूतबा भी दांव पर है!

चमका रहेगा चांदी का अदानी जूता!

क्या हिंडनबर्ग रिसर्च से अदानी ग्रुप के बाजे बजेंगे? कतई नहीं। इसलिए क्योंकि पहली बात भारत लूटने के लिए है।

क्या जवाब देंगे अदानी?

दुनिया की प्रतिष्ठित रिसर्च संस्था की ओर से लगाए गए आरोपों का बिंदुवार जवाब दें।

धन शोधन और वित्तीय गड़बड़ी के आरोप गंभीर

शेयर बाजार में अपनी कंपनियों के शेयरों के भाव बढ़ाने के लिए जोड़-तोड़ करने के आरोप न अदानी समूह पर नए हैं और न ऐसा है कि यह पहली...

भारतीय एजेंसियां कुछ नहीं करेंगी!

लाख टके का सवाल है कि हिंडनबर्ग रिसर्च में हुए खुलासे के बाद भारत की एजेंसियां क्या करेंगी? मेरा मानना है कुछ नही।

दिल्ली सत्ता है ही हिंदूओं की गुलामी के लिए!

सत्ता के अनुभव का ऐसा इतिहास। तभी कौम को क्या यह सामूहिक संकल्प नहीं बनाना चाहिए कि कुछ भी हो जाए वे दिल्ली की सत्ता को सर्वशक्तिमान नहीं बनने...

और 400 दिन, चुनाव के!

सत्ता, पैसे और लाठी का चाहे जो सुख और वैभव मिला हो मगर हैं तो सब राजा नरेंद्र मोदी की पालकी उठाए कहार।