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22-03-2025 Vol 19

‘नई’ राजनीति की इतिश्री?

delhi election bjp: तमाम संकेत हैं कि ‘आप’ ने जो वोट हासिल किए, उनमें ज्यादातर हिस्सा गरीब तबकों का है। यानी ‘आप’ के कल्याणकारी शासन के मॉडल का आकर्षण वंचित तबकों के एक बड़े हिस्से में अभी भी बना हुआ है।

साल 2011 में जब अन्ना आंदोलन हुआ और उसकी कोख से आम आदमी पार्टी ने जन्म लिया, तब उसके नेता अरविंद केजरीवाल, उनके प्रशंसकों और मीडिया के भी एक बड़े हिस्से ने उसे ‘नई’ राजनीति के रूप में पेश किया।(delhi election bjp)

हालांकि स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास और सियासत को पीछे संचालित करने वाली शक्तियों से परिचित लोग तब भी उस ‘नयेपन’ की हकीकत से वाकिफ थे, फिर भी यह सच है कि कम-से-कम राष्ट्रीय राजधानी के निवासियों ने नई पार्टी से ऊंची उम्मीदें जोड़ते हुए उसे अपना पूरा समर्थन दिया।

अब आम आदमी पार्टी और यहां तक कि अपने निर्वाचन क्षेत्र में केजरीवाल भी हार गए हैं, तो उनकी राजनीति के संभावना-विहीन हो जाने की धारणा बनना लाजिमी है।(delhi election bjp)

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ज्यादातर हिस्सा गरीब तबकों का(delhi election bjp)

मगर इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए कि 12 साल सत्ता में रहने के बावजूद दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस पार्टी ने 43.6 प्रतिशत हासिल किए, जो कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।(delhi election bjp)

यह नहीं भूलना चाहिए कि हर बार की तरह इस चुनाव में भी ‘आप’ का मुकाबला भाजपा के विकराल तंत्र से था। फिर भी तमाम संकेत हैं कि ‘आप’ ने जो वोट हासिल किए, उनमें ज्यादातर हिस्सा गरीब तबकों का है।

पार्टी की हार का प्रमुख कारण मध्य वर्ग एवं धनी तबकों में पार्टी के लिए घटा समर्थन है। इससे संकेत ग्रहण किया जा सकता है कि ‘आप’ के कल्याणकारी शासन के मॉडल का आकर्षण वंचित तबकों के एक बड़े हिस्से में अभी भी बना हुआ है।(delhi election bjp)

इस मॉडल की आलोचना ‘रेवड़ी’ बांटने का मॉडल कह कर की गई है। लेकिन ऐसी चर्चा के क्रम में यह प्रश्न अनुत्तरित रहता है कि नव-उदारवादी अर्थव्यवस्था की शुरुआत के बाद से बाकी पार्टियों ने इसके अलावा कौन-सा मॉडल अपनाया है?

केजरीवाल के मॉडल में तो फिर भी सरकारी स्कूलों को दुरुस्त करना और सार्वजनिक क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का पहलू शामिल रहा है।(delhi election bjp)

बहरहाल, यह सामने है कि इन सबके बावजूद ‘आप’ की बड़ी हार हुई है। ‘आप’ की सबसे बड़ी कमजोरी उसका विचारधारा-विहीन होना है। आशंका है कि यही पहलू अब उसके अस्तित्व के लिए घातक साबित हो सकता है।

NI Editorial

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