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21-07-2025 Vol 19

हक की एकांगी व्याख्या

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “सार्वजनिक उद्देश्य” के लिए हुए अधिग्रहण में जमीन मालिक वैकल्पिक भूमि की मांग नहीं कर सकते। ऐसा करने का कानूनी हक उन्हें नहीं है। संविधान में उचित मुआवजे का प्रावधान है, लेकिन पुनर्वास का नहीं।

सुप्रीम कोर्ट की यह व्याख्या निराशाजनक है कि जमीन अधिग्रहण के मामलों में जमीन मालिकों को पुनर्वास मांगने का हक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि “सार्वजनिक उद्देश्य” के लिए हुए अधिग्रहण में जमीन मालिक वैकल्पिक भूमि की मांग नहीं कर सकते। ऐसा करने का कानूनी हक उन्हें नहीं है। दो जजों की खंडपीठ ने संविधान के अनुच्छेद 21 की व्याख्या करते हुए कहा कि संविधान में उचित मुआवजे का प्रावधान है, लेकिन पुनर्वास का नहीं। मुआवजा कानून या खास नीतियों के तहत तय किया जाना चाहिए। इसके तहत मुआवजा दे दिया गया हो, तो उसके बाद यह दलील नहीं दी जा सकती कि पुनर्वास के बिना किए गए अधिग्रहण से अनुच्छेद 21 में वर्णित आजीविका के अधिकार का हनन हुआ है।

अगर अधिग्रहण संबंधी किसी खास नीति में पुनर्वास का प्रावधान हो, तब भी यह लाभ सिर्फ उनको ही मिलना चाहिए, जिनकी जिंदगी अनिवार्यतः जमीन से जुड़ी हुई हो। कोर्ट ने “तुष्टिकरण से प्रेरित पुनर्वास योजनाओं” की आलोचना की और कहा कि ऐसी योजनाओं से अधिग्रहण प्रक्रिया में जटिलताएं पैदा होती हैं। साथ ही इनकी वजह से मुकदमे लंबे खिंचते हैं। कोर्ट के सामने मामला 1990 के दशक में हरियाणा में हुए जमीन अधिग्रहण का था। उसमें जमीन गंवाने वाले व्यक्तियों ने राज्य की 1992 की पुनर्वास नीति के तहत पुनर्वास के लिए वैकल्पिक भूमि की मांग की थी। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी गुजारिश ठुकरा दी है।

यानी राज्य सरकार की नीति में प्रावधान शामिल होने के बावजूद कोर्ट ने जमीन मालिकों का पुनर्वास करने का आदेश सरकार को नहीं दिया। जबकि कोर्ट से अपेक्षा थी कि वह राज्य सरकार से अपनी तत्कालीन नीति पर पालन करने का निर्देश देगा। अब चूंकि ऐसा नहीं हुआ है, तो किसानों और भूमि मालिकों के बीच यह शिकायत गहरा सकती है कि देश में संपत्ति के कानूनी अधिकार की व्याख्या में भेदभाव बरता जा रहा है। उद्योग जगत से संबंधित ऐसे मामलों में इस अधिकार को अक्षुण्ण माना जाता है, जबकि कृषि क्षेत्र में सरकारें खुद अपनी बनाई नीति पर अमल नहीं करतीं और न्यायपालिका से भी जमीन गंवाने वालों को राहत नहीं मिलती।

NI Editorial

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