भाषा तथा अन्य राजनीतिक मु्द्दों पर दक्षिणी कोलाहल को दबाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी ने एक नया राजनीतिक हथकंड़ा अपनाया है, जिसे राज्यों की सीमा के परिसीमन से जोड़ा जा रहा है। (delimitation pm modi )
मोदी के इस हथकंडें से दक्षिणी राज्यों में घबराहट का माहौल पैदा हो गया है तथा दक्षिणी राज्यों के नेताओं में यह आशंका व्याप्त हो गई है कि यदि परिसीमन प्रक्रिया अपनाई जाती है तो उनके राज्यों में लोकसभा की सीटें कम हो जाएगी।
यद्यपि केन्द्र का फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नही है, सिर्फ राजनीतिक धमक है। किंतु अब यह मुद्दा ‘राष्ट्रीय मुद्दा’ बनाने की तैयारी अवश्य की जा रही है। (delimitation pm modi)
तमिलनाडू के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस मुद्दें को अधिक हवा दी और उन्होंने इस संभावना पर आधा दर्जन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक भी कर डाली, जिसमें केन्द्र के लिए प्रस्ताव पारित किया गया कि परिसीमन को पच्चीस साल के लिए टाला जाए तथा इस मामले पर संविधान में भी संशोधन किया जाए।
इस बैठक में पांच राज्यों के मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री सहित डेढ़ दर्जन नेताओं ने शिरकत की, बैठक में स्टालिन ने आशंका व्यक्त की कि यदि परिसीमन होता है तो न सिर्फ दक्षिण में लोकसभा की सीटें कम जो जाएगी बल्कि ‘हमारी’ पहचान भी खतरें में पड़ जाएगी। (delimitation pm modi)
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हर बार जनगणना को टाला जा रहा (delimitation pm modi)
यद्यपि यहां यह उल्लेखनीय है कि किसी भी राज्य में परिसीमन का मुख्य आधार वहां की जनसंख्या होती है और वह जनगणना लम्बे समय से प्रतीक्षित है, हर बार किसी न किसी बहाने जनगणना को टाला जा रहा है
यहां यह स्पष्ट है कि यदि जनसंख्या आधारित परिसीमन होता है तो दक्षिणी राज्यों में निश्चित रूप से लोकसभा की सीटें कम हो जाएगी, लेकिन फिलहाल तो यह तय ही नही हुआ है कि परिसीमन का आधार राज्य का क्षेत्रफल होगा या जनसंख्या? (delimitation pm modi)
इसलिए स्टालिन के इस कथन को फिलहाल उनका राजनीतिक हथकंडा ही माना जा रहा है और केन्द्र पर भी उसका फिलहाल कोई असर नजर नही आ रहा है।
वैसे भारत सरकार ने अब तक परिसीमन को बहुत गंभीरता से लिया है, इसलिए इसका नाम सुनते ही राजनीतिक क्षेत्र में घबराहट का वातावरण पैदा हो गया है। (delimitation pm modi)
जबकि केन्द्र ने फिलहाल ऐसे कोई संकेत नही दिए है, परिसीमन के पहले-पहले आयोग का गठन किया जाता है, जैसा कि भारत में अब-तक 1952, 1963, 1973 और 2002 में परिसीमन आयोग गठित हो चुके है, आखिरी बार 2008 में परिसीमन हुआ था।
अब केन्द्र द्वारा ये संकेत दिए जा रहे है कि लोकसभा सीटों के परिसीमन की प्रक्रिया 2026 से शुरू हो सकती है। वर्ष 2029 के चुनाव में करीब 78 सीटें बढ़ सकती है। किंतु इस प्रक्रिया से दक्षिणी राज्य भयभीत है, इसी वजह से सरकार समानुपातिक परिसीमन पर विचार कर रही है।
तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव (delimitation pm modi)
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दक्षिण के कुछ राज्यों के साथ तमिलनाडु में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे है और स्टालिन इन्ही को दृष्टिगत रखते हुए परिसीमन को अपनी राजनीति का माध्यम बना रहे है।
इस तरह वे अपने राज्य की जनता का ध्यान उन मुद्दों से भटकाना चाहते है, क्योंकि यह किसी से भी छिपा नही है कि स्टालिन परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरते जा रहे है (delimitation pm modi)
वे अब परिसीमन को मुद्दा बनाकर दक्षिण राज्यों की राजनीति की कमान अपने हाथों में लेना चाहते है, साथ ही विपक्षी दलों की राजनीति के सूत्रधार भी बनना चाहते है। जबकि ममता बैनर्जी और वाईएसआर कांग्रेस दोनों ने ही परिसीमन बैठक का बहिष्कार किया था।
यहां यह स्मरणीय है कि परिसीमन को पहले भी दो बार टाला जा चुका है और केन्द्र सरकार इसी को लेकर काफी सतर्क है, इसे आशंका है कि परिसीमन के मुद्दें पर स्टालिन व दक्षिण के उनके सहयोगी विभाजनकारी राजनीति भी शुरू कर सकते है।
इस प्रकार कुल मिलाकर यदि यह कहा जाए कि परिसीमन केन्द्र के लिए काफी कठिन मुद्दा है तो कतई गलत नही होगा, क्योंकि इसके पीछे की राजनीति देश के लिए घातक भी सिद्ध हो सकती है, इसलिए राष्ट्रहित में फिलहाल इसे टालना भी श्रेयस्कर होगा। (delimitation pm modi)