nayaindia Lok Sabha election वादा करने के समय दावों की हुंकार

वादा करने के समय दावों की हुंकार

भोपाल। देश में कल छठवें चरण के और एक जून को सातवें चरण का चुनाव होना बाकी है। स्वाभाविक रूप से यह समय जनता से वादा करने का है लेकिन राजनीतिज्ञ का उतावलापन अब वादा करने के समय में भी जीत के दावे पर जोर दे रहे हैं। 4 जून को मतगणना होने के बाद स्पष्ट हो पाएगा किस दल के इरादों को पूरा करने के लिए उसके वादों पर भरोसा करके जनता ने किसके जीत के दावे को सही ठहराया है।

दरअसल, सात चरणों के लंबे चुनाव अभियान में राजनीतिक दल अपने-अपने शक्ति सामर्थ से चुनाव जीतने में कोई कम नहीं छोड़ रहे हैं। बयानों के तीर एक-दूसरे पर छोड़े जा रहे हैं। अब तो चुनाव आयोग को भी प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्षों को नोटिस देकर कहना पड़ा है कि भाषा का संयम रखें अभी दो चरणों के चुनाव बाकी है। छठवें चरण के कल वोट पड़ेंगे और अंतिम चरण के रूप में 1 जून को मतदान होगा। 1 जून की शाम को ही एग्जिट पोल के नतीजा प्रसारित होंगे और 4 जून को परिणाम आना है लेकिन अब सब बेसब्र होने लगे हैं। सभी अपनी-अपनी जीत के दावे ऐसे कर रहे हैं जैसे चुनाव खत्म हो गए हो और अब जनता से कोई वादा करना शेष नहीं बचा।

बहरहाल, एक तरफ जहां मौसम में हीटवेब का अलर्ट चल रहा है। देश के अधिकांश हिस्सों में पारा 45 को पार कर रहा है। दूसरी तरफ सियासत में भी नेताओं का पर हाय हो रहा है। चुनाव आयोग की दखलअंदाजी पर भी सवाल उठने से नहीं छूट रहे हैं। चुनाव आयोग ने 22 में को कांग्रेस अध्यक्ष को नोटिस भेजा जिसमें निर्देश दिया कि उनकी पार्टी अग्निवीर योजना जैसे मामलों पर सेना का राजनीतिकरण न करें। इस पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा कि चुनाव आयोग को यह निर्देश गलत है। अग्निवीर एक योजना है सरकार की नीति का उत्पादन है और किसी विपक्षी राजनीतिक दल का अधिकार है कि वह सरकार की किसी नीति की आलोचना करें। चुनाव आयोग ने भाजपा को भी नोटिस दिया है।

नेताओं के सियासी पारे का असर कस्बा और गांव तक पहुंच रहा है। जहां जीत-हार को लेकर बहस चलना शुरू हो गई है। प्रदेश में भाजपा ने सभी 29 सीटों को जीतने का टारगेट लेकर चुनाव लड़ा है और कांग्रेस ने लगभग एक दर्जन सीटों को फोकस करके चुनाव अभियान चलाया। अब अधिकांश राजनीतिक विश्लेषक लगभग आधा दर्जन सीटों पर कड़ा मुकाबला बता रहे हैं। वहीं दूसरी ओर चुनाव परिणाम के बाद बनने वाली परिस्थितियों को लेकर भी प्रदेश में सियासी चर्चाएं चाय चौपाल से लेकर वल्लभ भवन तक चल रही है। प्रदेश से किस दल को कितनी सीटें मिलना है और फिर कौन प्रदेश से मंत्री बनेगा इसको लेकर चर्चाएं तो है ही राजनीतिक दलों के अंदर होने वाले परिवर्तनों को लेकर भी चर्चाएं चल पड़ी है।

कुल मिलाकर 4 जून के बाद किसके इरादे पूरे होते हैं किसके वादो पर जनता ने मोहन लगाई है और किसके जीत के दावे सच होंगे और उसके बाद बनने वाले सियासी समीकरणों को लेकर मौसम की तरह पारा चढ रहा है।

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