nayaindia Lok Sabha Election 2024 श्रेष्ठ भारत के लिए 370 सीट जरूरी

श्रेष्ठ भारत के लिए 370 सीट जरूरी

Lok sabha Election 2024
Lok sabha Election 2024

लोकसभा में 370 का बहुमत इसलिए भी जरूरी है ताकि देश में जनसंख्या नियंत्रण का मजबूत कानून बन सके। आज भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती आबादी की है और साथ ही आबादी के बिगड़ते अनुपात की है। एक के बाद एक राज्य में जिलावार जनसंख्या अनुपात बिगड़ता जा रहा है। हिंदू अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं। चाहे जन्म से हो या घुसपैठ से हो, आबादी का संतुलन बिगड़ रहा है। इसे रोकने के लिए सख्त कानून की जरुरत है। Lok Sabha Election 2024

-एस सुनील

केंद्र में सरकार बनाने के लिए बहुमत का जादुई आंकड़ा 272 लोकसभा सीटों का है। फिर सवाल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्यों 370 सीटें चाहिए? उन्होंने क्यों इस बार के चुनाव में भाजपा के लिए 370 और एनडीए लिए चार सौ सीटों का लक्ष्य तय किया है और उसे हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं? इसका जवाब मुश्किल नहीं है।

प्रधानमंत्री ने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का जो लक्ष्य तय किया है उसे प्राप्त करने के लिए अनेक ऐसे फैसले करने होंगे, जिनके लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। भारत को उसका प्राचीन गौरव लौटाने, उसकी महानता वापस दिलाने और आजादी की सौवीं वर्षगांठ तक यानी 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए एक बेहद मजबूत सरकार की जरुरत है। Lok Sabha Election 2024

यह भी पढ़ें: चुनावी बॉन्ड/भारत का चरित्र

प्रधानमंत्री ने 370 सीटों का लक्ष्य घोषित करते हुए एक विशेष प्रतीक का इस्तेमाल किया है। तीन सौ से ज्यादा सीटों के बहुमत वाली उनकी सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देकर उसे अलग थलग करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त किया था। इसलिए उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 में 370 सीटों का लक्ष्य तय किया ताकि लोगों को याद रहे कि उनकी पूर्ण बहुमत वाली मजबूत सरकार ने कैसे एक ऐतिहासिक गलती को सही किया था।

उन्होंने खुद कहा भी कि उनकी सरकार ने 370 खत्म किया है तो देश की जनता इतनी सीटें तो उनके टीके में यानी शगुन के तौर पर दे ही सकती है। यह देश के लोगों से एक अपील भी है कि अब उनकी बारी है। देश के नागरिकों ने प्रधानमंत्री मोदी को जनादेश दिया तो उन्होंने उसे सर आंखों पर लिया और उस जनादेश का सम्मान करते हुए वो तमाम वादे पूरे किए, जो पिछले छह या सात दशकों से लंबित थे। Lok Sabha Election 2024

यह भी पढ़ें: अंबानी-अडानी, खरबपतियों का चंदा कहां?

लोग सवाल पूछते हैं कि 2014 में भी तो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी लेकिन तब क्यों नहीं वो सारे फैसले हुए, जो 2019 में दोबारा सरकार बनने के बाद किए गए? इन सवालों में ही इसका जवाब छिपा है। नरेंद्र मोदी जब पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तब उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि वे दिल्ली के लिए बाहरी और अनजान थे। दिल्ली के एक प्रबुद्ध और संपन्न तबके का सत्ता के हर प्रतिष्ठान पर कब्जा था। यह तबका एक खास इकोसिस्टम का प्रतिनिधित्व करता था, जिसमें उनका हित और अपने पुराने आकाओ का हित सबसे ऊपर था।

वामपंथी रूझान वाले इस तबके से तमाम संस्थानों और प्रतिष्ठानों को मुक्त करना प्रधानमंत्री की पहली प्राथमिकता थी, जिसे उन्होंने पहले कार्यकाल में पूरा किया। वैधानिक व संवैधानिक संस्थाओं से लेकर प्रशासनिक और शैक्षणिक संस्थाओं में ऐसे संकल्पवान लोग नियुक्त हुए, जो इस देश की संस्कृति को जानते समझते थे और जिनके लिए राष्ट्र प्रथम था। पुराने राज का इकोसिस्टम बदलने के बाद ही प्रधानमंत्री मोदी ने दशकों से लंबित मामलों को हल करने का काम शुरू किया। Lok Sabha Election 2024

इसकी शुरुआत 2019 के अगस्त में अनुच्छेद 370 की समाप्ति से हुई। उसके बाद तो एक के बाद एक अनेक फैसले हुए। नागरिकता कानून में संशोधन करके सीएए बनाया, जिसके जरिए तीन इस्लामिक देशों से प्रताड़ित होकर आने वाले गैर मुस्लिमों को आसानी से भारत की नागरिकता देने की व्यवस्था बनाई गई। यह एक बड़ा काम था, जो बहुत पहले हो जाना चाहिए था। इसी तरह अयोध्या में भव्य राममंदिर का शिलान्यास हुआ, मंदिर का निर्माण हुआ और सदियों से वनवास झेल रहे रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा भी हुई।

यह भी पढ़ें: चंदा सत्ता की पार्टी को ही!

देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं का सम्मान और जीवन दोनों सुरक्षित रखने के लिए तीन तलाक को अपराध बनाने वाला कानून बना। अंग्रेजों के राज से चले आ रहे अपराध कानूनों को पूरी तरह से बदल दिया गया। आईपीसी, सीआरपीसी और इविडेंस एक्ट की जगह भारतीय समाज की जरुरतों के मुताबिक तीन नए कानून बनाए गए। बेकार होकर बोझ बन चुके डेढ़ हजार से ज्यादा कानूनों को समाप्त किया गया। अब देश भर में हर साल होने वाले चुनावों को खत्म करके ‘एक देश, एक चुनाव’ के विचार पर अमल की तैयारी हो रही है।

इमरजेंसी के समय संविधान के साथ हुए छेड़छाड़ को भी दुरुस्त करने की जरुरत है। इन तमाम सामाजिक, कानूनी और संवैधानिक बदलावों के साथ साथ देश को आर्थिक विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाया गया। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन चुका है, जो 10 साल पहले 11वें नंबर का देश था। Lok Sabha Election 2024

देश को अब इससे भी आगे ले जाना है। प्रधानमंत्री ने 2047 तक भारत को विकसित बनाने का बेहद महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। उससे पहले 2027 तक भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बनाना है। देश और नागरिकों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही भारत का गौरव और उसकी श्रेष्ठता भी पुनर्स्थापित करनी है ताकि भारत वास्तविक अर्थों में सोने की चिड़िया बनने के साथ साथ विश्व गुरू भी बने। आर्थिक विकास हो तो ज्ञान की गंगा भी हो।

यह भी पढ़ें: पूरा हिसाब अभी बाकी है

इसके लिए कुछ बहुत बड़े फैसले करने की जरुरत है। भारत को गुलामी के तमाम प्रतीकों से मुक्ति दिलाने की जरुरत है ताकि देश के नागरिक जीवन के हर पक्ष में स्वतंत्रता का अनुभव कर सकें। अभी सिर्फ अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण हुआ है लेकिन अनेक ऐसे धर्मस्थल ऐसे भी हैं, जहां वैज्ञानिक सर्वे हो रहे हैं और पता चल रहा है कि आतातायी शासकों ने हिंदू धर्मस्थलों का अतिक्रमण किया था या उन्हें नष्ट किया था। इन सब धर्मस्थलों को मुक्त कराने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को ज्यादा बड़े बहुमत की जरुरत है।

अदालत के आदेश से काशी-ज्ञानवापी, मथुरा-शाही ईदगाह और भोजशाला-कमल मौला मस्जिद के सर्वक्षण का काम शुरू हुआ है। अदालत के आदेश से 31 साल के बाद ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा शुरू हुई है। ऐसे तमाम धर्मस्थलों के रास्ते में 1991 का बना धर्मस्थल कानून बाधा है। इस कानून के दायरे से अयोध्या को बाहर रखा गया था तो वहां बिना किसी अड़चन के भव्य राममंदिर का निर्माण पूरा हो गया। लेकिन बाकी धर्मस्थलों की मुक्ति के लिए 1991 के धर्मस्थल कानून को बदलने की जरुरत होगी। लोकसभा में इसलिए 370 का बहुमत चाहिए ताकि धर्मस्थल कानून को बदला जा सके।

लोकसभा में 370 का बहुमत इसलिए भी जरूरी है ताकि देश में जनसंख्या नियंत्रण का मजबूत कानून बन सके। आज भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती आबादी की है और साथ ही आबादी के बिगड़ते अनुपात की है। एक के बाद एक राज्य में जिलावार जनसंख्या अनुपात बिगड़ता जा रहा है। हिंदू अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं। चाहे जन्म से हो या घुसपैठ से हो, आबादी का संतुलन बिगड़ रहा है। इसे रोकने के लिए सख्त कानून की जरुरत है।

यह भी पढ़ें: एजेंसियों के छापों से बॉन्ड वसूली

भाजपा की तीसरी बार सरकार बनाने के लिए 370 के बहुमत की जरुरत इसलिए ताकि समान नागरिक कानून बनाया जा सके। अभी टुकड़ों टुकड़ों में राज्यों में समान नागरिक कानून बनाया जा रहा है। एक साथ पूरे देश के स्तर पर ऐसे कानून की जरुरत है। विवाह से लेकर तलाक और संपत्ति के अधिकार तक सभी नागरिकों के लिए समान कानून होना चाहिए। अभी देश में पर्सनल कानून की वजह से बहुत भेदभाव है। एक एक राज्य इसे बदलने की कोशिश कर रहे हैं। उत्तराखंड में समान नागरिक कानून लागू हुआ है तो असम में बहुविवाह रोकने का कानून बन रहा है। केंद्र में 370 लोकसभा सीटों वाली सरकार होगी तो वह दशकों से लंबित समान नागरिक संहिता लागू करेगी।

ध्यान रहे संविधान निर्माताओं ने भी समान नागरिक कानून की जरुरत बताई थी। भारत को अपनी भौगोलिक सीमाओं को भी अतिक्रमण से मुक्त करना है। पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी भारत का अभिन्न अंग है, जिसे मुक्त कराना आवश्यक है। ऐसे अनगिनत काम हैं, जो अगले कुछ बरसों में नहीं हुए तो भारत को श्रेष्ठ और विकसित बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य पूरा करने की रफ्तार धीमी पड़ जाएगी।

यह भी पढ़ें: एक स्वयंसेवक के बेनूरीपन की फ़िक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो बार मिले जनादेश के दम पर तमाम बाधाओं को पार किया और भारत को आर्थिक, नैतिक, धार्मिक श्रेष्ठता के रास्ते पर आगे बढ़ाया है। उन्होंने अपने को इस महान यज्ञ में झोंका है और इस इस यज्ञ में आहूति के तौर पर अपना संपूर्ण जीवन और सर्वस्व प्रस्तुत किया है। अब देश के नागरिकों की बारी है। उन्हें अपनी भूमिका निभानी है।

अपने हिस्से की जिम्मेदारी पूरी करनी है। उन्हें सुनिश्चित करना है कि इस बार भाजपा को 370 सीटें मिलें ताकि गौरवशाली भारत की स्थापना के रास्ते में आने वाली हर बाधा को दूर किया जा सके।(लेखक सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) के प्रतिनिधि हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें