भारत में संपूर्ण गरीबी यानी ‘एब्सोल्यूट पॉवर्टी’ का आंकड़ा 27 फीसदी से घट कर पांच फीसदी पर आ गया है। यह विश्व बैंक का आंकड़ा है। विश्व बैंक ने गरीबी का आकलन करने का पैमाना बदल कर बड़ा कर दिया। इसके बावजूद पिछले एक दशक में 22 फीसदी लोगों को गरीबी से निकाला गया है। इस तरह के अनगिनत काम निरंतर हो रहे हैं। परंतु इन 11 वर्षों में भी तीसरे कार्यकाल का पहला वर्ष अद्भुत और कई अन्य पैमानों पर ऐतिहासिक है।
कल यानी नौ जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार के एक साल पूरे हो रहे हैं। वैसे उनको भारत का प्रधानमंत्री बने 11 साल हो गए हैं। 26 मई 2025 को उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री 11 साल पूरे किए। उनकी तीसरी सरकार की शपथ नौ जून 2024 को हुई थी। सो, इस सरकार की पहली सालगिरह सोमवार, नौ जून को है। यह तीसरा कार्यकाल कई मायने में ऐतिहासिक है। पहला इतिहास तो चुनाव परिणामों के साथ ही बन गया था। आजाद भारत में सिर्फ पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लगातार तीन बार जीत हासिल करके सरकार बनाई थी। उनके बाद किसी भी प्रधानमंत्री को यह अवसर नहीं मिला। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगातार तीसरी बार सरकार बनाना एक ऐतिहासिक परिघटना थी। तीसरी बार सरकार बनाने के बाद आर्थिक, सामरिक और सामाजिक बदलावों के जैसे निर्णय हुए हैं और जो उपलब्धियां हासिल हुई हैं वह अभूतपूर्व हैं। वक्फ कानून में बदलाव से लेकर ‘एक देश, एक चुनाव’ तक की पहल इस वर्ष में हुई है।
इस एक वर्ष की उपलब्धियों पर चर्चा करने से पहले समग्र रूप से पिछले 11 वर्ष के कामकाज और उसकी निरंतरता को समझना होगा। प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले 11 साल से विकास कार्यों की निरंतरता को बनाए रखा है। पूरे देश में बुनियादी ढांचे का अभूतपूर्व विकास हुआ है। आम लोगों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के जरिए सम्मानपूर्वक जीने के अवसर मिले हैं। कारोबार सुगमता के जरिए उद्यमियों को ढेरों सुविधाएं दी गई हैं, जिससे भारत स्टार्टअप्स की राजधानी बन रहा है। कानूनों को सरल बनाया जा रहा है ताकि आम लोगों को इसका फायदा मिल सके। पिछले 11 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनथक प्रयास का परिणाम यह है कि भारत में संपूर्ण गरीबी यानी ‘एब्सोल्यूट पॉवर्टी’ का आंकड़ा 27 फीसदी से घट कर पांच फीसदी पर आ गया है। यह विश्व बैंक का आंकड़ा है। विश्व बैंक ने गरीबी का आकलन करने का पैमाना बदल कर बड़ा कर दिया। इसके बावजूद पिछले एक दशक में 22 फीसदी लोगों को गरीबी से निकाला गया है। इस तरह के अनगिनत काम निरंतर हो रहे हैं। परंतु इन 11 वर्षों में भी तीसरे कार्यकाल का पहला वर्ष अद्भुत और कई अन्य पैमानों पर ऐतिहासिक है।
तीसरी सरकार के पहले वर्ष को भारत के स्वर्णिम काल के तौर पर रेखांकित और परिभाषित किया जा सकता है। इस वर्ष में भारत का तेज और निखर कर आया है। यह भारत के शौर्य का वर्ष प्रमाणित हुआ है। यह उन समस्त कल्पनाओं और अवधारणाओं के साकार होने का वर्ष है, जो अभी तक अधूरी थीं या जिसका सपना आजादी के बाद हर पीढ़ी के लोगों ने देखा था। इस वर्ष में भारत दुनिया की सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं में से एक जापान को पीछे छोड़ कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। कोरोना महामारी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था को जो धक्का लगा था उसके बाद हर व्यक्ति इसमें संदेह जता रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री के मन में कभी शंका नहीं रही। वे इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अनथक प्रयास करते रहे और आज परिणाम सबके सामने है। भारत चार ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की अर्थव्यवस्था बन गया है और बहुत जल्दी यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी को पीछे छोड़ कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तब देश की अर्थव्यवस्था 11वें नंबर पर थी, आज वह चौथे स्थान पर है और जल्दी ही तीसरे स्थान पर आने वाली है। लेकिन वह भी अंतिम लक्ष्य नहीं, बल्कि एक पड़ाव होगा। बहुत जल्दी भारत की अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन डॉलर की होगी और उसके बाद शीर्ष की ओर बढ़ने का सफर जारी रहेगा। तभी 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का प्रधानमंत्री का सपना साकार होगा। जैसा कि उन्होंने देशवासियों से अपील की है कि लोग स्वदेशी अपनाएं तो भारत विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य 2047 से पहले भी हासिल कर सकता है।
अगर सामरिक व कूटनीतिक अपलब्धियों की बात करें तो यह वर्ष प्रधानमंत्री के लौह संकल्पों और भारतीय सेना के शौर्य का भी रहा। पाकिस्तान ने अपने पाले हुए आतंकवादियों के जरिए कश्मीर में 26 बेकसूर पर्यटकों की हत्या कराई। उसके दो दिन बाद 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री ने बिहार के मधुबनी में संकल्प जताया कि आतंकवादियों को मिट्टी में मिला देंगे। छह और सात मई की रात को भारतीय सेना ने उनके संकल्प को अपने शौर्य से पूरा किया। सेना ने पाकिस्तान की सरजमीं पर स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों को मिटा दिया। उसके बाद पाकिस्तान को बता दिया कि भारत ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाया है, सिर्फ आतंकवादियों के ठिकानों पर हमला किया है इसलिए पाकिस्तान को बीच में नहीं आना चाहिए। लेकिन पाकिस्तान माना नहीं और उसने हमले का जवाब देने का प्रयास किया। यह प्रयास उसे इतना भारी पड़ा, जिसकी उसने कल्पना नहीं की थी। भारतीय सेना ने उसके कई सैन्य ठिकानों को तहस नहस कर दिया और उसके अनेक लड़ाकू विमानों को मार गिराया। दशकों बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ आमने सामने संघर्ष का साहस किया और भारत ने उसको उसकी हैसियत दिखा दी। भारतीय सेना के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने बताया कि पाकिस्तान ने 48 घंटे में भारत को हराने की योजना के साथ हमला किया लेकिन भारतीय सेना ने उसे आठ घंटे में घुटनों पर ला दिया।
इसके बाद शुरू हुआ कूटनीतिक मिशन के जिसके जरिए विश्व बिरादरी में पाकिस्तान को अलग थलग करने का लक्ष्य हासिल किया गया। प्रधानमंत्री ने दलगत भेदभाव और वैचारिक मतभेद से ऊपर उठ कर राष्ट्रभक्ति को सर्वोच्च बनाया और सभी पार्टियों के नेताओं व सांसदों का डेलिगेशन दुनिया के देशों में भेजने का फैसला किया। इससे पहले भी विपक्षी नेता भारत का पक्ष रखने विदेश गए हैं लेकिन इतने बड़े पैमाने पर किसी कूटनीतिक मिशन की कल्पना नहीं हुई थी। अलग अलग पार्टियों के 51 नेताओं व सांसदों को सात डेलिगेशन में बांटा गया और सभी के साथ कम से कम एक राजदूत को शामिल किया गया। कुल 59 लोगों के सात डेलिगेशन 33 देशों की यात्रा पर गए। सभी डेलिगेशन लौट आए हैं और उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को अपने मिशन की जानकारी दी है। खुद प्रधानमंत्री भी सभी सदस्यों से मिल कर उनके अनुभवों की जानकारी लेंगे। इस मिशन ने दुनिया के सभी महत्वपूर्ण देशों को पाकिस्तान की वास्तविकता बताई और भारत के सैन्य अभियान यानी ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी दी। सभी देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का साथ देने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री अगले सप्ताह जी-7 की बैठक के लिए कनाडा और उसके अगले महीने ब्रिक्स की बैठक के लिए ब्राजील जाएंगे। वहां भी भारत का यह कूटनीतिक मिशन जारी रहेगा।
अगर विकास के पैमाने पर बात करें तो यह वर्ष उन तमाम अधूरी परियोजनाओं के पूरा होने का है, जिसका इंतजार दशकों से हो रहा था। अपनी तीसरी सरकार के एक साल पूरा होने से तीन दिन पहले छह जून को प्रधानमंत्री ने माता वैष्णो देवी के दरबार तक जाने वाली ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। अब जम्मू तक नहीं, बल्कि कटरा तक वंदे भारत ट्रेन जाएगी। प्रधानमंत्री ने चिनाब नदी पर बने सबसे ऊंचे पुल का भी उद्घाटन किया। यह कोई साधारण पुल नहीं है या यह भारत के राजनीतिक नेतृत्व की संकल्पशक्ति का प्रतीक है। इसका महत्व राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से असाधारण है। इससे पहले भारत को चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी और पाकिस्तान से लगती नियंत्रण रेखा यानी एलओसी तक अपनी सेना और सैन्य सामग्री पहुंचाने में 15 घंटे का समय लगता था। इस पुल के जरिए भारतीय सेना महज तीन घंटे में एलएसी और एलओसी दोनों जगह पहुंच जाएगी। इसका मतलब है कि अगर कभी भारत को एक साथ दो मोर्चों पर लड़ना पड़े तब भी सेना और सैन्य सामग्री की आवाजाही में कोई परेशानी नहीं होगी। भारत की सीमा पर आजादी के बाद से ही जिस तरह शत्रु राष्ट्र अपनी तैयारियां करता रहा है उसे देखते हुए भारत को यह काम बहुत पहले करना चाहिए था। परंतु यह महान कार्य भी प्रधानमंत्री के नेतृत्व में ही संपूर्ण हुआ। तभी जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह काम अंग्रेज भी नहीं कर पाए थे, जिन्होंने रेलवे का इतना विस्तार किया। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब वे सात-आठ साल के थे तब इस परियोजना की कल्पना की गई थी और आज जब वे 55 साल के हुए हैं तब यह पूरी हुई है। उनकी यह बात अपने आप प्रधानमंत्री के ‘संकल्प से सिद्धि’ तक की यात्रा को रेखांकित करती है।
अगर सामाजिक उपलब्धियों की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार का पहला कार्यकाल अभूतपूर्व फैसले वाला रहा। नरेंद्र मोदी की सरकार ने आजाद भारत में पहली बार जाति जनगणना कराने का फैसला किया। इसकी घोषणा भी कर दी गई है। एक मार्च 2027 तक जनगणना का काम पूरा होगा और उसके साथ ही जातियों की गिनती भी हो जाएगी। पिछले महीने हुई एनडीए के मुख्यमंत्रियों की बैठक में इसे लेकर एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें कहा गया कि आजादी के बाद इतने वर्षों में जो लोग अवसर से वंचित रह गए हैं और हाशिए में हैं उनको मुख्यधारा में लाने के लिए जाति जनगणना बेहद जरूरी कदम है। इस तरह चाहे आर्थिक उपलब्धि हासिल करना हो, गरीबी मिटाने के संकल्प को पूरा करना हो, सामरिक व कूटनीतिक क्षेत्र हो या सामाजिक विकास का मुद्दा हो, हर मोर्चे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार ने अपने पहले वर्ष में अभूतपूर्व कार्य किए हैं। (लेखक दिल्ली में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) के कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त विशेष कार्यवाहक अधिकारी हैं।)