Wednesday

30-04-2025 Vol 19

हिंदुओं ने सभी को हरा दिया!

जो आस्थावान हैं वे परमहंस अवस्था में हैं। उन्हें मुक्ति मिली। मोक्ष के साथ स्वर्गलोक में स्थान पक्का! जीवन तथा जन्म धन्य। ऐसे कोई 66 करोड़ हिंदुओं ने मौका नहीं चुका है। इन्होंने कुंभ में डुबकी लगाई और पापों को पुण्य में बदला। जन्म-जन्मांतर से मुक्ति हुई। स्वर्ग (ब्रह्म में लीन) सुख की गारंटी पाई। दूसरी तरफ वे संसारजीवी हिंदू हैं, जो हैरानी से मन ही मन मान रहे हैं कि मार्केटिंग के रणनीतिकारों की कोई न कोई टोली, कोई थिंक टैंक है, जिसकी प्लानिंग से योगी और मोदी हिंदुओं में आस्था की सुनामी बनाते हुए हैं!

बकौल प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में- यह आयोजन, आधुनिक युग के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए, प्लानिंग और पॉलिसी एक्सपर्ट्स के लिए, नए सिरे से अध्ययन का विषय बना है। आज पूरे विश्व में इस तरह के विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं है, ऐसा कोई दूसरा उदाहरण भी नहीं है।…

सौ टका सही बात है। निश्चित ही डोनाल्‍ड ट्रंप व इलॉन मस्क सहित दुनिया के उन सभी कर्णधारों को अपने राजनीतिक-धार्मिक, कारोबारी रणनीतिकारों को हड़काते हुए आदेश देना चाहिए कि वे भारत जा कर योगी और मोदी के चरणों में बैठें, उनसे सीखें! इन्होंने 45 दिनों में पूरी दुनिया को पछाड़ दिया है। हिंदू आस्था की महाशक्ति के विश्व रिकॉर्ड बने हैं। सो, कहां गए हमारे धर्म के धर्माचार्य? हमें वेटिकन में भीड़ का रिकॉर्ड बनाना है। जाहिर है इस होड़ में सर्वाधिक घायल चीन ही होगा। इसलिए क्योंकि वह कम्युनिस्ट देश है। धर्म तथा आस्थाविहीन देश है। उसे मोदी के भारत ने पहले आबादी में पछाड़ा। अब आस्था की ताकत में भी पछाड़ा!

गौर करें कुंभ बाद सरकारी प्रेस रिलीज, मीडिया रिपोर्टों की इन बातों पर– 45 दिनों में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। अमेरिका सहित एक सौ देशों की आबादी से अधिक लोग कुंभ के दौरान प्रयागराज पहुंचे। यह संख्या मक्का और वेटिकन सिटी जाने वाले श्रद्धालुओं से भी अधिक है। सऊदी अरब के मक्का और मदीना जाने वाले हजयात्रियों से यह संख्या दो सौ गुना अधिक है। इस महाकुंभ ने इतिहास रचा है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में कई रिकॉर्ड बने हैं आदि, आदि।

मुख्यमंत्री योगी ने विधानसभा में बाकी धर्मों को पछाड़ने के दो टूक आंकड़े भी प्रस्तुत किए। उन्होंने महाकुंभ से तुलना में मक्का, मदीना का आंकड़ा बताते हुए कहा- मक्का में 24 दिन में एक करोड़ 40 लाख यानी करीब डेढ़ करोड़ लोग पहुंचे हैं। ईसाइयों के सबसे बड़े धार्मिक स्थल वेटिकन सिटी में 80 लाख पहुंचे हैं। लेकिन अयोध्या में इसके 12 गुना यानी 16 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे। वही महाकुंभ में 45 दिनों में 64 करोड़ लोगों ने संगम स्नान किया है।…इस्लाम, ईसाई या किसी अन्य धर्म में सनातन धर्म के इस वैश्विक आयोजन का कोई मुकाबला नहीं है।

जाहिर है इसकी वजह को भारत परम धाम प्राप्त है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा हैं- ये कुछ ऐसा हुआ है, जो बीते कुछ दशकों में पहले कभी नहीं हुआ। ये कुछ ऐसा हुआ है, जो आने वाली कई-कई शताब्दियों की एक नींव रख गया है।…144 वर्षों के बाद पड़े इस तरह के पूर्ण महाकुंभ ने भी हमें भारत की विकास यात्रा के नए अध्याय का संदेश दिया है। ये संदेश है- विकसित भारत का।

उन्होंने आगे कहा- आजादी के बाद भारत की इस शक्ति के विराट स्वरूप को यदि हमने जाना होता, और इस शक्ति को सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की ओर मोड़ा होता, तो ये गुलामी के प्रभावों से बाहर निकलते भारत की बहुत बड़ी शक्ति बन जाती। लेकिन हम तब ये नहीं कर पाए। अब मुझे संतोष है, खुशी है कि जनता जनार्दन की यही शक्ति, विकसित भारत के लिए एकजुट हो रही है।…

जाहिर है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आस्थावान हिंदुओं को परमहंस अवस्था में पहुंचा दिया है। इस अमृतकाल से भारत अमृतमय हो गया है और बाकी सभी धर्मों को पछाड़ दिया है। भारत विश्वगुरू है!

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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